लोकसभा चुनाव को लेकर रालोद की बेचैनी बढ़ी, गठबंधन में तलाश रहे रास्ते
बागपत, 21 फरवरी(हि.स.)। बागपत के लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। राष्ट्रीय लोक दल(आरएलडी) ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। रालोद नेताओं की लोकसभा चुनाव को लेकर बेचैनी बढ़ गई है। गठबंधन में घुसने के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। पार्टी के हाईकमान की बसपा-सपा गठबंधन और कांग्रेस के साथ लगातार बातचीत जारी है। जयंत चौधरी लगातार ज्योतिराज सिंधिया और अखिलेश यादव के संपर्क में हैं।
बागपत लोकसभा चुनाव में अजीत सिंह अपनी सीट ही नहीं बल्कि अपनी विरासत बचाने के भी प्रयास में लगे हैं। यही कारण है कि अभी तक उन्होंने गठबंधन में चुनाव लड़ने का अपना विकल्प खुला रखा है। सपा बसपा गठबंधन में उनको फायदा मिलता दिख रहा है। लेकिन सीट मनचाही न मिलना उनको कांग्रेस के पास जाने को भी मजबूर कर रहा है। चूंकि अजित सिंह हमेशा से सत्ता के साथ समझौता करने के लिए बदनाम रहे हैं, इसलिए अखिलेश यादव और मायावती उनको कोई ज्यादा सीट देने की फिराक में नहीं हैं।
राजनीतिक विश्लेषक सतवीर राठी के अनुसार अजीत सिंह आज भी पश्चिम में अपना वजूद रखते हैं, यही कारण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हिन्दू मुस्लिम चुनाव और मोदी की आंधी होने के बाद भी अजित सिंह ने करीब दो लाख वोट हासिंल किये थे। जबकि विजेता चौधरी सत्यपाल सिंह को चार लाख 23 हजार वोट मिले और इस चुनाव में कई पार्टियों को पानी तक नसीब नहीं हुआ। पिछले 2009 में भी अजित सिंह को दो लाख से अधिक वोट मिलने पर जीत हांसिल हुई थी, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि दो लाख वोट उनकी जेब में है, लेकिन उनके साथ और वोट कैसे जुड़े, यह उन्हें और उनके रणनीतिकारों को परेशानी में डाल रहा है। कहा कि बसपा-सपा गठबधन में अगर उनको जगह मिलती है तो बागपत से लड़ने पर उनकी जीत कोई नहीं रोक सकता, लेकिन अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ तो मुकाबला तीनों में होगा और बीजेपी भारी पड़ सकती है।