ललित कला अकादमी ने ‘महात्मा गांधी एंड वर्ल्ड पीस’ प्रदर्शनी से बापू को किया स्मरण

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नई दिल्ली, 30 जनवरी (हि.स.)। इस साल देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। ऐसे में ललित कला अकादमी उनको व उनके शांति और अहिंसा के सिद्धांतों को स्मरण करते हुए अक्टूबर, 2018 से नियमित विविध कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। इसी क्रम में अकादमी ने रबीन्द्र भवन स्थित कला दीर्घाओं में ‘महात्मा गांधी एंड वर्ल्ड पीस’ प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
ललित कला अकदामी ने इस अदभुत प्रदर्शनी का आयोजन मुंबई के सर जेजे स्कूल के साथ मिलकर किया है। प्रदर्शनी में दीपक शिंदे, अनिल नायक, चंद्रकांत चंगे, पॉल कोली और श्रीकांत जाधव सहित 75 कलाकारों की पेंटिंग लगाई गई हैं। प्रदर्शित कृतियों के माध्यम से कलाकारों ने गांधी जी और विश्व शांति पर उनके विचारों को कलापरक रूप में प्रस्तुत कर अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। प्रदर्शनी को देखने के लिए काफी संख्या में कला प्रेमी और कला समीक्षक जुट रहे हैं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन केन्द्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने किया। इसके मौके पर पद्म भूषण से सम्मानित मूर्तिकार राम वी. सुतार, अकादमी के अध्यक्ष उत्तम पाचारणे मौजूद रहे।
इस अवसर पर संस्कृति मंत्री ने कहा, ” प्रधानमंत्री के नेतृत्व में महापुरुषों के जीवन मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का अनोखा प्रयास शुरू हुआ है। राष्ट्र की आजादी से लेकर देश के लोगों के उन्नयन में महात्मा गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। भारत आज देश के साथ साथ विश्व के कोने-कोने में गांधी जी की 150वी वर्षगांठ मना रहा है। पेंटिंग के माध्यम से गांधी जी और उनके आदर्शों का चित्रण एक अच्छा प्रयास है।”
अपने उद्घाटन भाषण में अकादमी के अध्यक्ष उत्तम पाचारणे ने महात्मा गांधी के अहिंसा के मार्ग और विश्व को शांति की शिक्षा देती उनकी जीवन यात्रा का पुनर्स्मरण करते हुए कहा, “सारी दुनिया ने जिनके स्वतंत्रता का संघर्ष देखा है, शांति का संदेश देने के लिए गांधीजी ने अपना पूर्ण जीवन बिताया आज उनकी याद में यह चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ है। हमारी अपेक्षा है कि इन चित्रों द्वारा दर्शक खुद को उनके अनुभवों से जोड़ सकेंगे।”
पद्म भूषण से सम्मानित राम वी. सुतार ने इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त की और अकादमी के प्रयास की सराहना की।उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों व जीवन मूल्यों पर कलाकारों के बीच अपने विचार प्रकट किए और कहा, “मैं बचपन से ही गांधी जी के विचारों से प्रेरित था। 1948 में पहली बार गांधी जी की मूर्ति बनाने का मौका मिला। उसके बाद मैंने गांधी जी की कई मूर्ति बनाई। मैं ललित कला अकादमी को प्रदर्शनी के आयोजन के लिए बधाई देता हूं।” उल्लेखनीय है कि यह प्रदर्शनी 12 फऱवरी तक अकादमी के रवीन्द्र भवन में चलेगी।


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