रेलवे इंजीनियरिंग का करिश्मा, 1914 का ‘फायर इंजन’ फिर दौड़ा दिया

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नई दिल्ली  (हि.स.)। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय रेल ने एक और करिश्मा कर दिखाया है। आने वाली पीढ़ी को ‘छुक-छुक, छुक-छुक रेलगाड़ी चलती है ये पटरी पर’ ये कविता केवल किताबों और यू-ट्यूब पर ही नहीं मिले वे इसे प्रत्यक्ष देख भी सकें, इसके लिए प्रयासरत भारतीय रेलवे के इंजीनियरों ने 1914 में बने जॉन मोरिस एजेक्स फायर इंजन को फिर से दौड़ने में सक्षम बना दिया है।
रेलवे अधिकारियों की प्रेरणा और इंजीनियरों के कौशल के चलते पांच साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से जॉन मोरिस एजेक्स फायर इंजन रविवार को दिल्ली में आयोजित हुई 53वीं द स्टेट्समैन विंटेज एंड क्लासिक कार रैली में न केवल शामिल हुआ बल्कि 50 किलोमीटर का सफर भी तय किया।
रेलवे बोर्ड के सदस्य(रोलिंग स्टॉक) राजेश अग्रवाल ने सोमवार को राष्ट्रीय रेल संग्राहालय में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि रेलवे ने भाप इंजन से लेकर ट्रेन-18 तक का सफर तय कर लिया है। उन्होंने कहा कि विकासात्मक कार्यों के बीच भी रेलवे अपनी धरोहर को सहेजने में पीछे नहीं है। उन्होंने बताया कि सौ साल का सफर पूरा करने पर इस फायर इंजन को साल 2014 में सेवामुक्त कर दिया गया था।
नेशनल रेल म्यूजियम के निदेशक अमित सौराष्ट्री ने बताया कि जॉन मोरिस एजेक्स फायर इंजन विश्व का सबसे पुराना चलता फिरता फायर इंजन है। इसे 1914 में यूके की कंपनी जॉन मोरिस ने बनाया था। रेलवे से पहले हैदराबाद के निजाम रेलवे ने अपनी वर्कशॉप में आग बुझाने के लिए इसे मंगाया था। उन्होंने बताया कि यह स्टेट्समैन विंटेज एंड क्लासिक कार रैली में पिछले 38 साल से चल रहा था। पांच साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से इसने रैली में हिस्सा लेकर 50 किमी. का सफर तय किया। उन्होंने बताया कि दक्षिण मध्य रेलवे की लल्लागुडा वर्कशॉप इसकी देखभाल करती है। 


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