रेगिस्तानी जहाजों के नाम रहा मरु महोत्सव का तीसरा दिन, वायु सैनिकों की ड्रिल ने किया मंत्रमुग्ध
जैसलमेर, 15 फ़रवरी (हि.स.)। पीत पाषाणों की प्रस्तर कला और लहरदार मखमली रेतीले धोरों के लिए मशहूर सरहदी शहर जैसलमेर में चल रहे चार दिवसीय मरु महोत्सव आयोजनों के तीसरे दिन मंगलवार को महोत्सव की अधिकांश गतिविधियां शहर के डेडानसर मैदान में केन्द्रित रही। इसमें जहां रेगिस्तान के जहाज ऊंटों से जुड़ी कई स्पर्धाओं ने हजारों दर्शकों का मन मोह लिया, वहीं रोमांच और साहस भरे करतबों से परिचय कराया। इसमें वायु सैनिकों के पराक्रम और कलात्मक शौर्य प्रदर्शन के साथ ही लोक कलाकारों द्वारा दी गई मनोहारी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को अभिभूत किए रखा।
मैदान पर देशी पर्यटकों के साथ विदेशी पर्यटक भी नजर आए। इस दौरान ऊंट श्रृंगार, शान-ए-मरुधरा, रस्साकशी, पनिहारी मटका रेस, कैमल पोलो मैच, कबड्डी मैच (पुरुष वर्ग) एवं बीएसएफ की ओर से कैमल टेटू शो आदि विभिन्न रोमांचक एवं आकर्षक स्पर्धाएं हुईं, जिनमें विजेताओं व टीमों को अतिथियों ने ट्रॉफी, पुरस्कार राशि के चेक तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। रेगिस्तान के जहाज कहे जाने वाले ऊंट करतब में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की ओर से प्रस्तुत कैमल टेटू शो का आयोजन दर्शकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा।
उप समादेष्टा मनाहरसिंह खींची इन्द्रोका के नेतृत्व में इस कंटीजेंटी श्रृंगारित ऊंटों के कारवे ने कैमल टेटू शो का शानदान प्रदर्शन किया। इस शो में विश्व के आठ अजूबे माउन्टन बैण्ड द्वारा राजस्थानी लोक गीतों की मधुर धुनों पर विभिन्न आकार-प्रकारों का दिग्दर्शन कराते हुए मनोहारी प्रदर्शन की झलक दिखायी। सीमा सुरक्षा बल की एरोबेटिक टीम द्वारा शानदार पीटी का प्रदर्शन भी किया। मरु महोत्सव में पहली बार सीमा सुरक्षा प्रहरियों ने ऊंटों पर हथियारों को प्रदर्शन कर सीमाओं की सुरक्षा का जीवन्त संदेश मुखर किया। सीमा सुरक्षा बल की ऑर्केस्ट्रा टीम के राजेन्द्र दमामी एवं उनकी टीम द्वारा ढोलक-हारमोनियम के साथ ही बजने वाले साजो सामान से ‘हम सीमा के प्रहरी हैं, फिदा इसपे हो जाएंगे, हे वतन! हमको तेरी कसम, तुझ से जहां तक लूटा जाएंगे’ देशभक्ति गीत पेश कर समूचे मैदान को देशभक्ति रस से सराबोर कर दिया।
महोत्सव का एक और आकर्षण भारतीय वायुसेना के वायु योद्धा कवायद टोली द्वारा हैरतअंगेज एयर वारियर ड्रील का रोमांचक प्रदर्शन देखकर दर्शक अचंभित करने का रहा। पूरा मैदान उनके प्रदर्शन पर तालियों की गड़गड़़ाहट से गूंजता रहा। इस ड्रिल का आदर्श वाक्य ‘ड्रिल टू थ्रिल’ है। टीम लीडर रवि कुमार एवं प्रियांशु दीक्षित के नेतृत्व में जहां पलक झपकते ही हथियार की अदला-बदली का कौशल एवं समय के समन्वय को दर्शाता अनूठा प्रदर्शन किया, वहीं दोनों तरफ की पंक्तियों की ओर से चल रहे हथियारों के बीच से गुजरने का साहसिक प्रदर्शन देख हर कोई वाह-वाह कर उठा। कैमल पोलो व कबड्डी मैच के साथ ही तीसरे दिन के कार्यक्रम पूरे हुए। शाम को हेरिटेज वॉक के साथ ही सायं कालीन कार्यक्रमों की शुरुआत होगी जो गड़ीसर झील पर रात्रिकालीन कार्यक्रमों के साथ समाप्त होगी।