(राउंड-अप) भविष्य उस समाज का होगा जो स्वास्थ्य सेवा में निवेश करता है : प्रधानमंत्री मोदी
देश में चिकित्सकों की कमी पर पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं दिया ध्यान
– शास्त्रीय तमिल के लिए नया भवन तमिल भाषा को और लोकप्रिय बनाएगा
– मैं हमेशा तमिल भाषा और संस्कृति की समृद्धि पर मोहित रहा हूं
नई दिल्ली, 12 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र की अनदेखी करने को लेकर कांग्रेस सहित अन्य दलों पर निशाना साधते हुये कहा कि देश में चिकित्सकों की कमी से सभी परिचित थे लेकिन इस समस्या पर पूर्ववर्ती सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य उन समाजों का होगा जो स्वास्थ्य सेवा में निवेश करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुये 11 नए मेडिकल कॉलेजों और चेन्नई में 24 करोड़ रुपये की लागत निर्मित केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान के नए परिसर का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जीवन में एक बार आई कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र के महत्व की फिर से पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस क्षेत्र में कई सुधार लाई है। महामारी से सीखते हुए हम अपने सभी देशवासियों को समावेशी, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान के रूप में गरीबों के पास उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि देश में घुटना प्रत्यारोपण और स्टेंट की लागत पहले के मुकाबले एक तिहाई हो गई है।
प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में 9 मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन का जिक्र करते हुये कहा कि मेडिकल शिक्षा के लिए उनकी सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि 2014 में देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे। पिछले सात वर्षों में ही यह संख्या बढ़कर 596 मेडिकल कॉलेज हो गई है। यह 54 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने आगे जोड़ा कि 2014 में देश में लगभग 82 हजार मेडिकल अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटें थीं। पिछले सात सालों में यह संख्या बढ़कर करीब एक लाख 48 हजार सीटों पर पहुंच गई है। यह करीब 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में सिर्फ सात एम्स थे। लेकिन 2014 के बाद स्वीकृत एम्स की संख्या 22 हो गई है। साथ ही, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए विभिन्न सुधार किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में मैं भारत को गुणवत्ता और सस्ती देखभाल के लिए जाने-माने गंतव्य के रूप में देखता हूं। भारत में मेडिकल टूरिज्म का हब बनने के लिए जरूरी हर चीज मौजूद है। मैं यह हमारे डॉक्टरों के कौशल के आधार पर कह रहा हूं। मैं चिकित्सा बिरादरी से टेलीमेडिसिन को भी देखने का आग्रह करता हूं।
प्रधानमंत्री ने अपने तमिल प्रेम का उल्लेख करते हुये कहा कि मैं हमेशा तमिल भाषा और संस्कृति की समृद्धि पर मोहित रहा हूं। मेरे जीवन के सबसे सुखद क्षणों में से एक था जब मुझे संयुक्त राष्ट्र में दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल में कुछ शब्द बोलने का मौका मिला। उल्लेखनीय है कि 2019 में प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में तमिल कवि कणियन पूकुन्नार का जिक्र किया था।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में तमिल अध्ययन पर ‘सुब्रमण्य भारती पीठ’ स्थापित करने का भी सम्मान मिला है। मेरे संसदीय क्षेत्र में स्थित, यह तमिल के बारे में अधिक उत्सुकता पैदा करेगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ विविधता में एकता की भावना को बढ़ाने और हमारे लोगों को करीब लाने का प्रयास करता है। जब हरिद्वार में एक छोटा बच्चा तिरुवल्लुवर की मूर्ति को देखता है और उसकी महानता के बारे में जानता है, तो एक युवा मन में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का बीज डाला जाता है।
प्रधानमंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जिक्र करते हुये कहा कि हम मातृभाषा और स्थानीय भाषा में शिक्षा को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान के नए परिसर के उद्घाटन के संबंध में कहा कि शास्त्रीय तमिल के लिए नया भवन तमिल भाषा को और लोकप्रिय बनाएगा।
कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रोन के कारण बढ़ रहे मामलों को लेकर प्रधानमंत्री ने एक बार फिर से देशवासियों को टीकाकरण के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह करता हूं। भारत का टीकाकरण अभियान उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। मैं सभी पात्र लोगों से टीकाकरण कराने का आह्वान करता हूं।
प्रधानमंत्री ने इससे पूर्व अपने संबोधन की शुरुआत पोंगल और मकर संक्रांति की शुभकामनाओं से की।
तमिलनाडु में 11 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित होने से एमबीबीएस की 1450 सीटें बढ़ जाएंगी। नए मेडिकल कॉलेज लगभग 4,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें से लगभग 2,145 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और बाकी तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रदान किए गए हैं। जिन जिलों में नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं उनमें विरुधुनगर, नमक्कल, नीलगिरी, तिरुपुर, तिरुवल्लूर, नागपट्टिनम, डिंडीगुल, कल्लाकुरिची, अरियालुर, रामनाथपुरम और कृष्णागिरी जिले शामिल हैं।