युद्धाभ्यास ”विजय प्रहार” सम्पन्न, 25 हजार सैनिक हुए शामिल
बीकानेर, 09 मई (हि.स.)। रेगिस्तान के रेतीले धोरों पर पिछले डेढ़ माह से चल रहे सप्त शक्ति कमान के युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ का बुधवार को समापन हुआ। युद्धाभ्यास में 25 हजार सैनिकों ने अपने पूरे हथियारों एवं साजो-सामान के साथ भाग लिया। युद्धाभ्यास में सैनिकों ने जमीन और आसमानी युद्ध कौशल की तकनीक पर काम करते हुए परमाणु हमले से मुकाबले का अभ्यास किया। इस दौरान वायुसेना और थलसेना में जबरदस्त तालमेल देखने को मिला। सैनिकों ने भविष्य में युद्ध के दौरान रासायनिक और परमाणु हथियारों के हमले से निबटने के लिए रेतीले धोरों में न्यूक्लियर प्रोटेक्शन सूट पहनकर अभ्यास किया। युद्धाभ्यास में कई नवीन तकनीकें देखने को मिली। आर्मी के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा ने बताया कि यह युद्धाभ्यास राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सम्पन्न हुआ। अंतिम चरण में लेफ्टिनेन्ट जनरल चेरिश मैथसन, जनरल ऑफिसर कमाण्डिंग-इन-चीफ, सप्त शक्ति कमान ने अभ्यास का अवलोकन किया और सैनिकों के युद्ध कौशल की सराहना की। जनरल ऑफिसर मैथसन ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मैंने इस युद्ध अभ्यास के लिए विभिन्न प्रकार के कठिन मापदण्ड तय किए थे और अपने सैनिकों द्वारा हासिल किए गए नतीजों से पूरी तरह संतुष्ट हूं। उन्होंने आगे कहा युद्धाभ्यास विजय प्रहार का प्रारंभ एक आक्रामक रणनीति के तहत वायु एवं पृथ्वी में समन्वित युद्ध के तौर पर पूरी खुफिया जानकारी का इस्तेमाल करते हुए हुआ था। इस अभ्यास में एयर कैवेलरी रणनीति का पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया और उसे सफल पाया गया है साथ ही सभी सैनिक परमाणु दूषित वातावरण में किसी भी प्रकार की आक्रामक कार्रवाई करने के लिए अब पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं। रसद पहुंचाने की जस्ट इन टाइम तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हमारी सेना अब दुश्मन के इलाके में गहराई तक जाकर मार कर सकने में सक्षम है। इस युद्ध अभ्यास में वायुसेना के साथ भी बेहतर किस्म का समन्वय स्थापित हुआ। जनरल चेरिश मैथसन ने भीषण गर्मी एवं आंधी के वातावरण में जवानों द्वारा पूरी वीरता एवं निष्ठा से किए गए इस युद्ध अभ्यास की सराहना की