यही हाल रहा तो भारत में होंगे सबसे ज्यादा मुसलमान
अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार 40 वर्षों बाद भारत सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा। प्यू रिसर्च सेंटर की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ रही है, उससे वर्ष 2060 तक हिन्दुस्तान में मुसलमानों की जनसंख्या 33 करोड़ पार हो जाएगी। मतलब पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में होंगे। विश्व की कुल मुस्लिम आबादी का 11 प्रतिशत केवल हिन्दुस्तान में होगा। पड़ोसी देश पाकिस्तान करीब 29 करोड़ मुस्लिम आबादी के साथ दूसरे नंबर आ जाएगा। 2060 तक पाकिस्तान की कुल आबादी में 96.5 प्रतिशत आबादी मुस्लिम होगी। दुनिया की कुल मुस्लिम आबादी में पाकिस्तान के मुसलमानों की तादात 9.5 प्रतिशत होगी। नाइजीरिया की मुस्लिम आबादी 28.31 करोड़ होगी और मुस्लिम आबादी वाले देशों की सूची में यह तीसरे स्थान पर आ जाएगा। इस सूची में चौथे स्थान पर इंडोनेशिया होगा जिसकी मुस्लिम आबादी 25.34 करोड़ होगी।
अभी सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया है। वहां 22 करोड़ मुसलमान रहते हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर भारत में 19.4 करोड़ और तीसरे स्थान पर पाकिस्तान में 18.4 मुसलमान रहते हैं। चौथे स्थान पर बांग्लादेश और पांचवें स्थान पर नाइजीरिया है।
हाल ही के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में ईसाई आबादी 2.3 अरब है। मुस्लिम आबादी 1.8 अरब है। प्यू रिसर्च के अनुसार के 2060 तक यह फर्क खत्म हो जाएगा। 2060 तक दुनिया में 3 अरब ईसाई और करीब 3 अरब ही मुस्लिम आबादी होगी। इसकी एक वजह यह है कि ईसाइयों की तुलना में मुस्लिम आबादी युवा है और उनकी वृद्धि दर ज्यादा है।
यदि हम केवल भारत के परिवेश की बात करें तो कुछ मुसलमान हमारे देश का विश्वास यह कहकर तोड़ देते हैं कि हम यहां असुरक्षित हैं, जबकि जितनी सुविधाएं व आजादी के साथ वे अपना जीवन यहां व्यतीत करते हैं, उतनी सुविधा कहीं और नहीं मिलती जो यह तय करती है कि बाहरी मुसलमान हमारे देश में आने को तैयार हैं। दुर्भाग्य यह कि हमारे देश में धर्म के कुछ फर्जी ठेकेदारों ने विचारों की लड़ाई को धर्म की लड़ाई बनाकर नफरत का जहर घोल दिया है। वर्तमान सरकार को मुसलमान विरोधी बताकर राजनीति के मायने अपनी सुविधानुसार सेट कर लिए हैं। पिछली सरकारों की अपेक्षा मुसलमानों को जितना मौका इस सरकार में दिया गया है, वैसा पूर्व में देखने को नहीं मिला। व्यापारिक व शिक्षा के स्तर पर मुस्लिमों ने उल्लेखनीय कामयाबी पाई है। कुछ दिनों पहले सिविल सर्विस के रिजल्ट आए हैं। इसमें जकात फाउंडेशन के 18 लड़के-लड़कियां आईएएस व आईपीएस बने हैं। इसके अलावा तमाम ऐसे उहाहरण हैं। यदि सरकार मुसलमानों के साथ कुछ गलत सोचती या करती तो क्या इन बच्चों को यह मौका मिलता? शायद कभी नहीं। इसलिए जरूरत आज कौम को कट्टरवादी सोच से निकलने की है। आतंकी संगठन मुस्लिम युवाओं के दिमाग पर इस्लाम के नाम पर दशहत फैलाने का अर्थ जन्नत मिलना बताकर उनके भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं।
ध्यान रखिये धर्म कोई बुरा नहीं होता। केवल कुछ लोगों की सोच घटिया होती है। खासतौर पर भारत में रह रहे मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि वे विश्व के सबसे बेहतर देश में रह रहे हैं। तमाम योजनाओं का लाभ लेने वाले भारतीय मुसलमान आज अपने जीवन का निर्वाह अच्छे से कर रहे हैं। लेकिन ज्यादातर मुसलमान कुछ मुल्ला-मौलवियों के बहकावे में अपनी जिंदगी को जहन्नुम बना लेते हैं। इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण जम्मू-कश्मीर में रह रहे अलगाववादी नेता हैं जो धर्म के नाम पर युवाओं को बड़े-बड़े उपदेश देते हैं और अपनी सियासत चमका रहे हैं। हमारे देश का मुसलमान इस बात को समझ ही नहीं पा रहा कि वह कितनी घटिया राजनीति का शिकार होता जा रहा है। अलगाववादी नेताओं के बच्चे दूसरे देशों में शानदार जिंदगी जीते हैं। न तो उनको बुर्के की जरुरत होती है और न ही उन सब कानूनों की जो धर्म के फर्जी ठेकेदार आम मुसलमानों पर थोपते रहते हैं। जिहाद के नाम पर मुसलमानों को भड़का कर धर्म की राजनीति से अपनी दुकान चलाने वालों के खेल को समझना और उनको बेनकाब करना होगा।
अक्सर मुसलमानों के फर्जी आका मुसलमानों को जनसंख्या बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। भोले-भाले मुसलमान उनकी बातों में आकर अक्सर ऐसा करते भी हैं। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वह परिवार आर्थिक तौर पर कभी सुखी नहीं रहता। न तो उनके बच्चों को उचित शिक्षा मिलती है न ही अच्छा जीवन। बात सीधी-सी है। जितना खर्च आप दो बच्चों पर करते हैं ,उतना ही खर्च यदि आप पांच या छह बच्चों पर करेंगे तो जिंदगी अच्छे से नहीं कटेगी, क्योंकि आय तो सीमित ही है। इसलिए ऐसे किसी भी ठेकेदारों के बहकावे में नहीं आना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)