मौनी अमावस्या : गंगा तट से मां विंध्यवासिनी के आंगन तक आस्था का संगम

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मीरजापुर, 01 फरवरी (हि.स.)। मौनी अमावस्या और मंगलवार का दिन…। हर-हर गंगे… व मां विंध्यवासिनी की जयकारे के बीच गंगा तट से लेकर मां विंध्यवासिनी के आंगन तक आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और दान-पुण्य भी किया।

देश के कोने-कोने से विंध्यधाम पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के बाद मां विंध्यवासिनी की चौखट पर श्रद्धा-भाव से शीश नवाया। भोर में मंगला आरती के बाद दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हुआ, जो अनवरत चलता रहा। कुंभ स्नान के बाद लोगों के विंध्याचल पहुंचने का सिलसिला चलता रहा। मौनी अमावस्या पर मां विंध्यवासिनी का अद्भुत श्रृंगार किया गया था। नारियल, चुनरी, माला-फूल प्रसाद के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु जयकारा लगाते मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। हर कोई मां विंध्यवासिनी की झलक पाने को बेताब था। घंटा-घड़ियाल, शंख व पहाड़ा वाली के जयकारे से वातावरण देवीमय हो रहा था। कोई झांकी तो कोई गर्भगृह पहुंच मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन किया। इसके बाद मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं को नमन किया। हवन कुंड की भी परिक्रमा की। वापस लौटते समय मां विंध्यवासिनी के पताका को नमन कर सुख-समृद्धि की कामना की।

मां विंध्यवासिनी के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं ने विंध्य पर्वत पर विराजमान मां अष्टभुजा व मां काली का दर्शन-पूजन त्रिकोण परिक्रमा की। वहीं विंध्य पर्वत पर बना पूर्वांचल के पहले रोप-वे का भी लुत्फ उठाया। मौनी अमावस्या पर गंगा तट से लेकर विंध्याचल की ओर जाने वाले मार्ग पर मेले जैसा दृश्य रहा। उधर पुलिस-प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। नगर के फतहां घाट, कचहरी घाट, बरियाघाट, पक्का घाट, नारघाट से लेकर विंध्याचल तक गंगा घाटों पर ठंड के बावजूद भोर से ही स्नान करने का सिलसिला शुरु हुआ। दोपहर धूप खिली तो गंगा तट पर स्नानार्थियों की संख्या और बढ़ गई। ऐसा लगा मानो हर कोई गंगा में आस्था की डुबकी लगाने को बेताब था। गंगा स्नान के लिए भोर से ही दान-पुण्य के लिए सामग्री, पूजन सामग्री व वस्त्र लेकर श्रद्धालु घर से निकल पड़े थे। क्या बूढ़े, क्या बच्चे, क्या महिलाएं सभी आस्था में लीन दिखे।
गंगा घाटों पर मेले जैसा दृश्य, बच्चों ने उठाया लुत्फ
नगर के गंगा घाटों पर मेला लगा रहा। मेले में खाने-पीने से लेकर गृहस्थी तक के सामान की दुकानें सजी थीं। कई ठेलों पर जलेबी और समोसा के साथ चने व आलू की घुघुनी भी बिकी। छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़ों तक ने मेले में आनंद उठाया। खिलौनों और गुब्बारों की दुकानें भी सजी थीं। नहाने के बाद जब बच्चे माता-पिता के साथ घर लौटने लगे तो उन्होंने इन दुकानों से अपने मनपसंद की चीजें खरीदी। महिलाओं ने भी गृहस्थी के लिए जरूरत की सामानें खरीदी। दिनभर नगर में चहल-पहल बनी रही।


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