मैसूर में ”कांग्रेस के किले” पर भाजपा की नजर, जेडीएस भी दे रही टक्कर

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मैसूर, 11 अप्रैल (मंगल पांडेय)| मैसूर कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यह मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या का गृह क्षेत्र भी है। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मैसूर में जेडीएस को पछाड़ कर जबरदस्त जीत हासिल की थी। उस चुनाव में यहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। भाजपा इस बार मैसूर में कांग्रेस के किले में सेंध लगाने में जुटी है। साथ ही जेडीएस भी पूरा जोर लगा रही है। वैसे देखा जाए तो मैसूर में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जेडीएस के बीच है। इस चुनाव में बीजेपी जो भी हासिल करेगी वो पार्टी के लिए बोनस जैसा होगा। मैसूर जिले में कुल 11 विधानसभा की सीटें हैं। तीन मैसूर शहर में और आठ ग्रामीण इलाके की सीटें हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में इन 11 सीटों में भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। नौ पर कांग्रेस और दो पर जेडीएस ने जीत का परचम लहराया था। लेकिन इस बार कर्नाटक की सत्ता में वापसी का सपना देख रही भाजपा मैसूर इलाके में काफी जोर लगा रही है। पार्टी मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या को उनके गृह क्षेत्र में रोकने की कोशिश कर रही है। बताते चलें कि 2013 में कांग्रेस के मैसूर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन के कारण ही जेडीएस से कांग्रेस में आये सिद्धारमैय्या मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। पहले इस इलाके के मजबूत नेता डी शिवकुमार मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने सिद्धारमैय्या पर भरोसा जताया और सत्ता का सेहरा उनके सिर पर बांध दिया। भाजपा का प्लान कर्नाटक चुनाव के ऐलान से काफी पहले से भाजपा मैसूर इलाके को लेकर गंभीर रही है। मैसूर दौरे पर आये पीएम मोदी ने इस इलाके लिए सौगात की झड़ी लगा दी थी। उन्होंने मैसूर-बेंगलुरु रेलवे लाइन का उद्घाटन किया। मैसूर से उदयपुर तक के लिए क्वीन हमसफर एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मैसूर से बेंगलूरू के बीच नेशनल हाइवे को छह लेन करने का भी ऐलान किया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद भी मैसूर का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान अमित शाह ने मैसूर के वाडियार शाही परिवार से मुलाकात की। मुलाकात के बाद से ही वाडियार शाही परिवार के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गयी। शाह ने महाराज यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार और राजमाता प्रमोदा देवी वाडियार से मुलाकात कर राजनीति सहित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। टीपू सुल्तान का तुष्टीकरण भी मैसूर में मुद्दा 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान इस बार के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। भाजपा टीपू सुल्तान को मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के प्रतीक के तौर पर पेश कर रही है। बीजेपी नेता अनंत कुमार और शोभा करंदलाजे ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। उन्होंने टीपू सुलतान को एक बर्बर शासक करार दिया था। उसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी। बीजेपी ने कई बार अपने मंच से ये आरोप लगाया कि कर्नाटक की सिद्धारमैय्या के नेतृत्व वाली सरकार टीपू जयंती मनाकर तुष्टीकरण की राजनीति को हवा दे रही है। सीधा मुकाबला कांग्रेस और जेडीएस के बीच पूरे मैसूर क्षेत्र की बात करें तो यहां के चामराजनगर, हासन, मांडया, मैसूर, तुमकुर और चिक्कबल्लपुर जिले हैं। मैसूर के क्षेत्र के 52 विधानसभा की सीटों में वोक्कालिगा समाज की संख्या सबसे अधिक है। उसके बाद नंबर आता है दलित वोटरों की। यहां वोक्कालिगा और दलित वोटर ही जीत-हार का फैसला करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा हासन के रहने वाले हैं। सिर्फ हासन ही नहीं बल्कि पूरे मैसूर के वोक्कालिगा समुदाय पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री देवेगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमार स्वामी का काफी प्रभाव है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी शिवकुमार और केएच मुनियप्पा भी इसी इलाके से आते हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस अपने मैसूर के किला को कितना बचा पाती है और जेडीएस कांग्रेस को कितना टक्कर दे पाती है। वहीं भाजपा सेंधमारी कर लेती है तो पार्टी के लिए उपहार ही होगा।


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