मेरठ दक्षिण पर भाजपा के सामने हैट्रिक की चुनौती
मेरठ, 03 फरवरी (हि.स.)। 2012 में नए परिसीमन में खरखौदा विधानसभा सीट खत्म हो गई और मेरठ दक्षिण के नाम से नया विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। तब से इस सीट पर भाजपा के विधायक काबिज हैं। डॉ.सोमेंद्र तोमर भाजपा से दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन उनके सामने भाजपा की हैट्रिक की चुनौती है।
मेरठ दक्षिण सीट को पहले खरखौदा और उससे पहले मेरठ देहात के नाम से जाना जाता था। मेरठ देहात विधानसभा क्षेत्र पर केवल एक बार 1962 में चुनाव हुआ। उस समय कांग्रेस के हरि सिंह विधायक चुने गए। 1974 में मेरठ देहात के स्थान पर खरखौदा विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ। उस चुनाव में कांग्रेस के प्रेम सुंदर नारायण सिंह त्यागी विधायक चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के अब्दुल हलीम खान ने खरखौदा से जीत हासिल की। 1980 में कांग्रेस के दामोदर शर्मा खरखौदा सीट से विधायक बने। 1985 में कांग्रेस के राजेंद्र शर्मा तो 1989 में जनता दल के प्रभुदयाल ने जीत हासिल की। 1991 में खरखौदा सीट पर मतगणना नहीं हो पाई। 1993 और 1996 में भाजपा के जयपाल सिंह को खरखौदा से विधायक बनने में सफलता मिली। 2002 में खरखौदा सीट बसपा के खाते में चली गई और याकूब कुरैशी विधायक चुने गए। 2007 में भी बसपा के लखीराम नागर यहां से विधायक बने। नए परिसीमन में 2012 में खरखौदा की जगह मेरठ दक्षिण सीट अस्तित्व में आई। 2012 के चुनाव में भाजपा के रविंद्र भड़ाना को यहां पर जीत मिली तो 2017 में भी भाजपा के डॉ.सोमेंद्र तोमर विधायक चुने गए। अब उनके सामने भाजपा की जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है।
मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र मेरठ जनपद का सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 04 लाख 74 हजार 512 है। इनमें से 02 लाख 57 हजार 976 पुरुष, 02 लाख 16 हजार 515 महिला और 21 अन्य मतदाता है। इस बार भाजपा से वर्तमान विधायक डॉ. सोमेंद्र तोमर, सपा-रालोद गठबंधन से आदिल चौधरी, बसपा के कुंवर दिलशाद अली चुनाव मैदान में है।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की शुरूआत मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से ही हो रही है। इसके अलावा रैपिड रेल भी इसी विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजर रही है। बंद हो चुकी सरकारी परतापुर कताई मिल भी इसी क्षेत्र में आती है। ऐतिहासिक गगोल तीर्थ स्थल भी मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में है। वेदव्यास पुरी का आईटी पार्क भी इसी क्षेत्र का हिस्सा है।