मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दो और अभियुक्तों पर आरोप तय

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नई दिल्ली, 06 मार्च (हि.स.) । दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में आज दो और अभियुक्तों पर आरोप तय कर दिए हैं। अब तक कोर्ट ने सात आरोपितों के विरुद्ध आरोप तय किये जा चुके हैं। एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने आज जिन आरोपितों पर आरोप तय किए, वे हैं चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के चेयरमैन दिलीप कुमार वर्मा और सदस्य विकास कुमार। कोर्ट बाकी आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर कल (सात मार्च को) दलीलें सुनेगा।

कोर्ट को इस मामले के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 13 आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करना बाकी है। कोर्ट ब्रजेश ठाकुर की राजदार शाइस्ता परवीन ऊर्फ मधु के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। पिछले पांच मार्च को इस मामले के ब्रजेश ठाकुर समेत 20 आरोपित कोर्ट में पेश हुए थे।

पिछले 27 फरवरी को सीबीआई ने कोर्ट के बताया था कि इस मामले में दो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त कर दिए गए हैं। सीबीआई ने इस मामले में अमित जिंदल और आरएन सिन्हा को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किया है।

पिछले 25 फरवरी को कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो दो दिनों के अंदर स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त करे। पिछले 23 फरवरी को इस मामले के सात आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया था। सातों आरोपितों को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ की कोर्ट में पेश किया गया था। 23 फरवरी को जिन आरोपितों को साकेत कोर्ट में पेश किया गया उनमें शाइस्ता प्रवीण ऊर्फ मधु, मोहम्मद साहिल ऊर्फ विक्की, मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर का चाचा रामानुज, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, शेल्टर होम के मैनेजर रामाशंकर सिंह , अश्विनी कुमार और कृष्णा कुमार राम शामिल हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक वो इस मामले की सुनवाई छह महीने में पूरा करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सात फरवरी को इस मामले को साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की छह महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुजफ्फरपुर ट्रायल कोर्ट से इस केस के सभी दस्तावेज साकेत कोर्ट में पहुंच गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 12 फरवरी को इस मामले में सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी करार दिया था। नागेश्वर राव पर आरोप था कि उन्होंने इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी एके शर्मा का तबादला बिना कोर्ट की अनुमति के कर दिया था।


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