मुख्यमंत्री ने ‘ऑयल इंडिया-द पाइपलाइन सागा’ पुस्तक का किया विमोचन

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गुवाहाटी, 02 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरम ने जनता भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘ऑयल इंडिया-द पाइपलाइन सागा’ पुस्तक का बीती रात विमोचन किया। यह पुस्तक भारत की अग्रणी क्रॉस-कंट्री पाइपलाइन के जन्म और यात्रा पर आधारित है। इस पाइपलाइन का निर्माण ऊपरी असम में नहरकटिया से बिहार के बरौनी तक 1158 किलोमीटर की दूरी पर गुवाहाटी और बरौनी में नवनिर्मित सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरियों में अपरी असम क्षेत्र में उत्पादित कच्चे तेल के परिवहन के लिए 1960 के दौरान किया गया था।

‘ऑयल इंडिया – द पाइपलाइन सागा’ पाइपलाइन के निर्माण में किये गए महत्वपूर्ण प्रयासों को साकार करना चाहता है। उस समय एशिया में दूसरी सबसे लंबी और पूरी तरह से स्वचालित होने वाली पहला पाइपलाइन असम, पश्चिम बंगाल और बिहार से होकर गुजरती थी। शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र सहित 78 प्रमुख नदियों को पार करती है। पाइपलाइन की योजना 1958 में शुरू हुई। निर्माण नवंबर 1960 में शुरू हुआ। अप्रैल 1962 में गुवाहाटी रिफाइनरी तक कमीशन किया गया। फरवरी 1963 में बरौनी रिफाइनरी तक परिचालन रूप से तैयार किया गया। ऑयल इंडिया पाइपलाइन परियोजना के निर्माण का वर्णन करते हुए यह पुस्तक इसकी विरासत को बताती है।

मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने ओआईएल समाज विशेषकर ओआईएल (पाइपलाइन) टीम और पुस्तक के लेखक अरूप कुमार दत्ता ने इस पुस्तक को प्रकाशित करने के श्रमसाध्य प्रयासों के लिए कहा कि यह पुस्तक छह दशक पुरानी नहरकटिया बरौनी क्रूड ऑयल पाइपलाइन के गौरवशाली अतीत को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने की एक सराहनीय पहल है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह पुस्तक निश्चित रूप से पेट्रोलियम इतिहास के भंडार को समृद्ध करेगी और इच्छुक लेखकों, शोध साथियों और पूर्वोत्तर के पाइपलाइनों और हाइड्रो कार्बन क्षेत्र के तकनीकी पहलू का अध्ययन करने के इच्छुक छात्रों की मदद करेगी।” इस पाइप लाइन के माध्यम से असम से बरौनी तक कच्चे तेल के परिवहन से लेकर राज्य के बाहर से कच्चे तेल को असम लाने तक की घटनाओं के बारे में बताते हुए डॉ. सरमा ने कहा कि पाइप लाइन तेल उद्योग के लिए एक जीवनरेखा साबित होती है।

मुख्यमंत्री ने अरूप दत्ता को बधाई दी। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक के दौरान जब भारत में बच्चों के पास केवल पश्चिमी साहसिक उपन्यासों तक पहुंच थी, अरूप कुमार दत्ता को भारत में मनोरंजक उपन्यासों की एक नई शैली बनाने का श्रेय दिया जाता है। द आहोम्स, द काजीरंगा ट्रेल और अन्य फिक्शन और नॉन-फिक्शन किताबों के साथ दत्ता देश और विदेश के पाठकों को असम के गौरवशाली इतिहास और संसाधनों से परिचित कराने में सक्षम हुए हैं।

सीएमडी ओआईएल एससी मिश्रा, एमडी एनआरएल भास्कर फुकन, निदेशक ओआईएल पीके गोस्वामी, लेखक अरूप दत्ता और कई अन्य लोग इस अवसर पर उपस्थित रहे।


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