मिशन शक्ति से उपजे मलबे से अंतरिक्ष में खतरे की आशंका को भारत ने किया खारिज

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नई दिल्ली, 06 अप्रैल (हि.स.)। भारत ने अमेरिका के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संस्थान(नासा) सहित विभिन्न पक्षों को आश्वस्त किया है कि अंतरिक्ष में उपग्रह नष्ट करने वाले परीक्षण ‘मिशन शक्ति’ से बचा हुआ मलबा पैंतालिस दिन में साफ हो जाएगा। सबसे अधिक सतर्कता वाले 10 दिन का समय पहले ही बिना किसी घटना के बीच चुका है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) के प्रमुख जी. सतीष रेड्डी ने अमेरिकी संस्था नासा की ओर से जाहिर की गई आशंका को निर्मूल बताते हुए कहा कि परीक्षण इस तरह तय किया गया था कि मलवे की मात्रा कम से कम हो और यह जल्दी से जल्दी साफ हो जाए।
रेड्डी ने कहा कि परीक्षण के बाद अब तक बहुत सा मलबा नष्ट हो गया है और 45 दिन में यह पूरी तरह साफ हो जाएगा।
उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज शरण ने कहा कि भारत नासा के संपर्क में है। अमेरिका को हमारे परीक्षण के बारे में जानकारी है और वह इस बात से भी संतुष्ट है कि भारत को यह परीक्षण क्यों करना पड़ा।
नासा के प्रमुख जिम ब्रिडेंस्टाइन ने भारत के उपग्रह विरोधी परीक्षण को भयंकर बताया था। उनके अनुसार नष्ट किए गए उपग्रह के मलवे में चार सौ टुकड़े शामिल हैं। करीब 60 टुकड़ों का आकार 6 इंज से अधिक है। उनके अनुसार टुकड़ों से अंतरिक्ष में स्थापित अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को भी खतरा बढ़ गया है।
इस बीच नासा प्रमुख ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के अध्यक्ष के शिवन को लिखे गए एक पत्र में कहा है कि नासा और इसरो के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान संबंधी सहयोग जारी रहेगा। समझा जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय की ओर से नासा को यह निर्देश मिला है कि वह इसरो के साथ सहयोग जारी रखे।
डीआरडीओ के अध्यक्ष सतीश रेड्डी ने परीक्षण के बारे में बताया कि पृथ्वी से छोड़ा गया मिसाइल एक हजार किमी तक मार कर सकता था। हमने अपने मिसाइल की मारक क्षमता 300 किमी तक सीमित की ताकि अंतरिक्ष में स्थापित किसी संपत्ति को नुकसान न पहुंचे।
रेड्डी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की परीक्षण के बारे में की गई आलोचना के संबंध में कहा कि इसे गोपनीय रखना संभव नहीं था। दुनियाभर में फैले कई अनुसंधान केन्द्र अंतरिक्ष पर निगरानी रखते हैं। परीक्षण के पहले विभिन्न पक्षों को एहतियात के रूप में सूचना भी देनी होती है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने गत 27 मार्च को उपग्रह विरोधी मिसाइल के जरिए पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में धरती से 300 किमी ऊपर एक निष्क्रीय उपग्रह को मार गिराया था। इस परीक्षण के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथी अंतरराष्ट्रीय महाशक्ति बन गया है।


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