ममता सरकार के रवैए पर राज्यपाल ने भेजी रिपोर्ट, संविधान विशेषज्ञ की राय: राज्य में लग सकता है राष्ट्रपति शासन
कोलकाता (हि.स.)। अरबों रुपये के सारदा और रोज वैली चिटफंड घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई को लेकर पुलिस और सीबीआई के बीच तकरार और बढ़ गई है। पूरे मामले को लेकर सड़क से संसद तक राजनीतिक हंगामा जारी है। सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है तो ममता सरकार हाई कोर्ट। करीब 20 से अधिक राजनीतिक पार्टियों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन किया है। सभी का कहना है कि सीबीआई ने केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर सारदा चिटफंड मामले को चुनावी फायदे के लिए उठाया है। सीबीआई का कहना है कि राजीव कुमार से सारदा चिटफंड मामले में पूछताछ के लिए गई थी, क्योंकि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे हैं। दोनों मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी, इसलिए अब सभी की निगाहें कल पर टिकी हैं। उधर राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है।हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में सोमवार को वयोवृद्ध संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने दावा किया है कि ममता बनर्जी ने एक आरोपी काे बचाने के लिए जो स्थितियां तैयार कर दी है, उससे किसी भी पल राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि रविवार को कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से बातचीत करने के लिए उनके लाउडन स्ट्रीट स्थित आवास पर सीबीआई की टीम पहुंची थी। उस टीम को कोलकाता पुलिस के अधिकारियों ने पहले धक्का दिया। उसके बाद कॉलर पकड़कर घसीटते हुए पुलिस की गाड़ी में डाल दिया। गर्दन पकड़कर उन्हें घसीटते हुए थाने ले जाया गया। वहां घंटों बैठाए रखा। साथ ही सीजीओ कंपलेक्स स्थित सीबीआई मुख्यालय को भी पुलिस ने घेर लिया था और सीबीआई के किसी भी अधिकारी को निकलने नहीं दिया जा रहा था। सीबीआई के पूर्वी क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव के आवास को भी पुलिस ने घेर लिया था और उनके नौकर तक को घर से नहीं निकलने दिया गया था। बाद में मंगलवार को श्रीवास्तव जैसे-तैसे दिल्ली पहुंच गए।
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया कि राष्ट्र के संघवाद का इतना विकृत रूप पहले कभी नहीं देखा गया, जब राज्य सरकार की एजेंसियों ने केंद्रीय एजेंसियों के दफ्तर को घेर लिया हो। इस पूरे घटनाक्रम के बीच ममता बनर्जी ने सीबीआई कार्रवाई को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा निर्देशित करार देते हुए धर्मतल्ला के मेट्रो चैनल पर जाकर धरने पर बैठ गई हैं। उनके इस रुख का असर ऐसा हुआ कि राज्य भर में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने भाजपा और केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। रेल सेवा रोक दी गई। सड़कों पर जाम लगा दिया गया। कोलकाता में भाजपा कार्यालय में हमले किए गए हैं और वहां जो भी मिला, उसे मारा-पीटा गया है। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने भी अपनी रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति काबू में नहीं है। यहां हालात बदतर हो गए हैं और संविधान के नियमों को दरकिनार कर कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में राज्यपाल ने स्पष्ट किया है कि संविधान के निर्देशों के अनुसार ही सीबीआई की टीम कार्रवाई करने पहुंची थी, लेकिन कोलकाता पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से अधिकारियों के साथ बर्ताव किया और इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। राज्यपाल की रिपोर्ट के बाद स्थिति राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ चली है।
उधर आग में घी डालते हुए कोलकाता पुलिस ने सोमवार को सीबीआई के पूर्वी क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली और उन्हें नोटिस भेजकर कोलकाता पुलिस मुख्यालय में पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा है। इस पूरे घटनाक्रम को राष्ट्रपति शासन लगाने का आसार बताते हुए संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का दावा है कि अब पश्चिम बंगाल में जो हालात बने हैं, उसे देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की आशंका है। सुभाष कश्यप ने बताया कि हमारे संविधान में राज्यों और केंद्र सरकारों के बीच समन्वय बनाने के लिए तीन प्रमुख अनुच्छेद हैं। इनमें से एक अनुच्छेद है 256, इसके अनुसार राज्य सरकार की किसी भी एजेंसी को यह अधिकार नहीं है कि वह केंद्र सरकार की कर्तव्यरत एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई करे और काम में बाधा डाले। ऐसा करने पर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर मानी जाती है और ऐसा माना जाता है जैसे राज्य सरकार ने केंद्र के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यह परिस्थिति आपातकाल मानी जाती है और राष्ट्रपति शासन लगाने के अनुकूल भी। दूसरा अनुच्छेद है 257, इसके अनुसार केंद्र सरकार की एजेंसियों, संचार के साधन, रेलवे और अन्य परिवहन व्यवस्थाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। जब इन एजेंसियों पर राज्य सरकार की सुरक्षा एजेंसियां ही हमला करने लगे तो हालात आपातकालीन हो जाते हैं और राष्ट्रपति शासन का माहौल बनता है। कोलकाता में हालात ऐसे हैं कि सीबीआई और ईडी के अधिकारी और कर्मचारी डरे हुए हैं। उनकी सुरक्षा में सेंट्रल फोर्स को लगाना पड़ा है, यह दूसरे देश में अपने लोगों को बचाने जैसा है। तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद है वह अनुच्छेद है 365, इसके अनुसार केंद्र सरकार के निर्देशानुसार अगर राज्य सरकार काम नहीं करती है और संविधान के नियमों को दरकिनार कर अपने तरीके से शासन व्यवस्था संभालती हैं तो केंद्र सरकार राज्य की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा सकती है।
सुभाष कश्यप ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में रविवार को जो हुआ, वह भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है। केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों को गर्दन पकड़कर घसीटते हुए पुलिस गाड़ी में नहीं डाल सकती है। वह भी तब जब वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोई कार्रवाई करने पहुंचे थे। अगर उन्हें पुलिस कमिश्नर के घर में नहीं घुसने दिया जाना चाहिए था तो पुलिस को उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से वहां से ले जाना चाहिए था और मामले को कोर्ट के संज्ञान में ले आना चाहिए था, लेकिन कोलकाता पुलिस ने ऐसा नहीं किया।
दूसरी सबसे विकट परिस्थिति यह है कि ऐसे हालात में राज्य की मुख्यमंत्री अथवा संबंधित गृह विभाग इस तरह से करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करता है। लेकिन ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ गृह मंत्री भी हैं और उन्होंने न केवल पुलिस कमिश्नर या कोलकाता पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया बल्कि सीबीआई के खिलाफ धरने पर बैठ गई हैं जो विकट परिस्थिति है।
कश्यप ने कहा कि मैं ममता बनर्जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस सुन रहा था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर सभी पुलिस वालों को केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया जो देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है। ऐसी परिस्थिति में अगर केंद्र सरकार चुप रहती है अथवा ठोस कार्रवाई नहीं करती है तो निश्चित तौर पर यह देश के संविधान के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ होगा। उन्होंने कहा कि पुलिस ने आधिकारिक तौर पर जो बयान जारी किया है, उसमें सीबीआई के अधिकारियों को संदिग्ध व्यक्ति के तौर पर चिन्हित किया है। अब इससे अधिक संवैधानिक संकट किस राज्य में नहीं हो सकता और केंद्र सरकार अगर ठोस फैसला लेती है तो निश्चित तौर पर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने का माहौल बन गया है।
फिलहाल, पूरे मामले को लेकर सड़क से संसद तक राजनीतिक हंगामा जारी है। सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। उसने अवमानना की याचिका दायर की है। कोलकाता में कार्यरत संयुक्त निदेशक (सीबीआई) पंकज श्रीवास्तव भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। ममता सरकार हाई कोर्ट गई है। बीस से अधिक राजनीतिक पार्टियों ने भी ममता बनर्जी का समर्थन किया है। सभी का कहना है कि सीबीआई ने केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर सारदा चिटफंड मामले को चुनावी फायदे के लिए उठाया है। सीबीआई का कहना है कि राजीव कुमार से सारदा चिटफंड मामले में पूछताछ के लिए गई थी, क्योंकि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे हैं। दोनों मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी, इसलिए अब सभी की निगाहें कल पर टिकी हैं।