मप्रः कमलनाथ मंत्रिमंडल का हुआ विस्तार

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भोपाल, 25 दिसम्बर (हि.स.)(अपडेट)। मध्यप्रदेश में मंगलवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में आयोजित भव्य शपथग्रहण समारोह में मंत्रिमंडल में शामिल 28 विधायकों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। मंच पर मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मौजूद रहे।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शपथ ग्रहण के बाद सभी नवनिर्वाचित मंत्रियों को गुलदस्ते भेंट कर उन्हें बधाई दी। जिन मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली, उनमें विजय लक्ष्मी साधौ, सज्जन सिंह वर्मा, हुकम सिंह काराड़ा, डॉ गोविन्द सिंह, बाला बच्चन, आरिफ अकील, बृजेन्द्र सिंह राठौर, प्रदीप जायसवाल, लाखन सिंह यादव, तुलसी राम सिलावट, गोविन्द सिंह राजपूत, इमरती देवी, ओंकार सिंह मरकाम, प्रभुराम चौधरी, प्रियव्रत सिंह, सुखदेव पांसे, उमंग सिंधार, हर्ष यादव, जयवर्धन सिंह, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, पीसी शर्मा, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सचिन यादव, सुरेन्द्र सिंह बघेल और तरुण भानोट शामिल हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पांच दिनों तक राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से विचार-विमर्श कर अंतत: अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। इसमें सभी वर्गों और सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है। साथ ही, क्षेत्रीय, जातीय और गुटीय संतुलन एवं लोकसभा चुनाव का भी ध्यान रखा गया है। मंत्रिमंडल में उन्होंने जहां युवाओं और महिलाओं को स्थान दिया है, वहीं अनुभवी व वरिष्ठ विधायकों को भी शामिल किया गया है।
मंत्रिमंडल में शामिल वियजलक्ष्मी साधौ महेश्वर से विधायक बनी हैं। वे 33 साल से राजनीति में सक्रिय हैं और कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव, पूर्व राज्यसभा सदस्य और मंत्री रही हैं। लम्बा राजनीतिक अनुभव और कई विभागों में मंत्री रहना उनकी ताकत मानी जाती है। सज्जन सिंह वर्मा इस बार सोनकच्छ सीट से चुनाव जीते हैं। वे दिग्विजय सिंह की सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वो सांसद भी रह चुके हैं और पार्टी में राष्ट्रीय सचिव की बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मालवा-निमाड़ की राजनीति में उनका बड़ा नाम है।
हुकूम सिंह कराड़ा शाजापुर से विधायक हैं। वे पहले ऊर्जा मंत्री रहे और मालवा का बड़ा चेहरा हैं। लम्बे समय से पार्टी से जुड़े होने के नाते उनके पास लम्बा राजनीतिक अनुभव है।
डॉ गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार सीट से सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। उनका राजनीति में 30 साल का अनुभव है। वे वर्ष 1990 से लगातार विधायक रहे। बाला बच्चन बड़वानी की राजपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। इसके पहले ये चार बार विधायक और इसी दौरान स्वास्थ राज्यमंत्री रह चुके हैं। सत्ता और संगठन में कई बड़े पदों पर रहने से उन्हें अनुभव है। चुनाव मैनेजमेंट में भी वे माहिर माने जाते हैं। तुलसी सिलावट सांवरे से विधायक हैं। वे पहले मंत्री रह चुके हैं और उनकी कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है। वे लगातार जनता की समस्याओं को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। अपनी राजनीतिक अनुभव और लोगों से जुड़ाव को उनकी ताकत है।
जीतू पटवारी राऊ से विधायक चुने गए हैं, वे कांग्रेस के साथ लंबे समय से जुड़े रहे हैं। राऊ विधानसभा बनते ही इन्हें पहली बार टिकट दिया गया और इस बार वे दूसरी बार विधायक बने। उनके पास कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम है। क्षेत्र में लोगों से उनका लगातार जुड़ा है, इसके साथ ही छात्र राजनीति और किसानों में भी पटवारी की अच्छी पैठ मानी जाती है। उमंग सिंघार गंधवानी से तीसरी बार चुनाव जीते हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे हैं और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। हर्ष यादव देवरी से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। ये भी दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधितत्व करते हैं।
जयवर्धन सिंह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे हैं। दूसरी बार राघौगढ़ से विधायक चुने गए हैं। ये कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं और प्रदेश में युवा नेता के तौर पर पहचान है। कमलेश्वर पटेल पूर्व मंत्री इंद्रजीत पटेल के बेटे हैं। सिहावल से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। ये भी दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं। लखन घनघोरिया अनुसूचित जाति से प्रतिनिधित्व करते हैं। कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं और जबलपुर पूर्व से दूसरी बार विधायक बने हैं। महेंद्र सिंह सिसौदिया बमौरी से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। सिंधिया के करीबी माने जाते हैं। पार्टी में क्षत्रिय चेहरा हैं। पीसी शर्मा भोपाल की दक्षिण पश्चिम सीट से भाजपा के मंत्री उमाशंकर गुप्ता को हराकर विधायक बने हैं। वे कांग्रेस में ब्राह्मण चेहरा हैं। इससे पहले भी दो बार विधायक रह चुके हैं और दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं।
प्रद्युम्न सिंह तोमर ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के माने जाते हैं। पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को हराकर विधायक बने हैं। ग्वालियर से दूसरी बार विधायक बने हैं। सचिन यादव साफ सुथरी छवि के नेता हैं। वे प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रहे दिवंगत नेता सुभाष यादव के बेटे और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के भाई हैं। उन्हें कैबिनेट का हिस्सा बनाने के लिए अरुण यादव ने पूरी ताकत लगा दी थी। सुरेन्द्र सिंह बघेल कुक्षी सीट से दूसरी बार विधायक बने, उन्होंने भी मंत्री पद की शपथ ली। सुरेन्द्र सिंह पूर्व मंत्री प्रताप बघेल के पुत्र हैं। तरुण भनोट महाकौशल क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं। पार्टी में ब्राह्मण चेहरा हैं और कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं।
प्रभुराम चौधरी सांची से तीसरी बार विधायक बने हैं। वे अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। सुखदेव पांसे मुलताई से तीसरी बार विधायक चुने गए। वे युवा चेहरा हैं और कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं। ओमकार सिंह मरकाम डिंडौरी से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। उनकी आदिवासियों में अच्छी पकड़ है कमलनाथ के समर्थक हैं। ब्रजेंद्र सिंह राठौर पृथ्वीपुर से पांचवीं बार विधायक चुने गए। वे दिग्विजय सिंह गुट के माने जाते हैं और बुंदेलखंड का बड़ा चेहरा हैं। लाखन सिंह यादव ग्वालियर की भितरवार विधानसभा से लगातार चौथी बार विधायक बने। सिंधिया गुट में माने जाते हैं। आरिफ अकील कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और भोपाल उत्तर से लगातार छठी बार जीते हैं। अल्पसंख्यक कल्याण एवं गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री रह चुके हैं।


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