मध्य प्रदेश-2021 की उपलब्धियां: पेंच नेशनल पार्क को मिला देश में पहला स्थान
भोपाल,1 जनवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश के लिए वर्ष 2021 अनेक क्षेत्रों में बड़ी उपलब्धियां देकर गया है। नवाचारों और अपनी अथक मेहनत से प्रदेश ने देश भर में अपनी अलग पहचान बनाई है। विविध क्षेत्रों में राष्ट्रीय उद्यानों की दृष्टि से राज्य का पेंच नेशनल पार्क देश में पहला स्थान प्राप्त करने में सफल रहा। इस उपलब्धि के साथ ही प्रदेश सरकार ने पार्क प्रबंधन, पर्यटन सुविधा व्यवस्था एवं वन सुरक्षा में अपना अद्वितीय योगदान करने वाले वन श्रमिकों के सम्मान में प्रदेश के सभी नेशनल पार्क में प्रतिवर्ष पार्क-डे मनाने का भी निर्णय लिया। प्रत्येक वन श्रमिक का परिवार इस दिन अपने परिवार के साथ पार्क सफारी का लुत्फ उठा रहा है ।
सबसे ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में
दरअसल, राष्ट्रीय उद्यान एक ऐसा संरक्षित क्षेत्र होता है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक वनस्पति और जानवरों का संरक्षण है, जिनके विलुप्त होने का खतरा है। विलुप्त होने वाली या खतरे में आने वाली प्रजातियों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय उद्यान बनाए जाते हैं। इन उद्यानों में किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधि नहीं होती हैं । भारत में इस समय कुल 106 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनमें 52 बड़े टाइगर रिजर्व हैं । भारत में सबसे ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में है, यहां कुल 12 राष्ट्रीय उद्यान है । भारत में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में स्थित हैं, उसके बाद कर्नाटक में हैं, इसलिए उनके संरक्षण के लिए सबसे अधिक उद्यानों के माध्यम से प्रयास मध्य प्रदेश में दिखाई भी देते हैं ।
देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क है, जिसकी स्थापना 1936 में की गई। यह उत्तराखंड में है। सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान साउथ बटन है, जोकि अंडमान निकोबार द्वीप समूह में है। वहीं, भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान, हेमिस राष्ट्रीय उद्यान है, जोकि लद्दाख में स्थित है। इसी प्रकार से एशियाई शेर गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात में हैं । रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक स्थान सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान है।
उपलब्धि वन श्रमिकों के अतुलनीय योगदान का परिणाम
वन मंत्री कुंवर विजय शाह का कहना है कि देश के नेशनल पार्कों में मध्य प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त होने का गौरव मिला, यह उपलब्धि विभागीय अधिकारियों के साथ वन श्रमिकों का अतुलनीय योगदान का परिणाम है। दिन-रात मैदानी स्तर पर सक्रिय रूप से अपनी सेवाएं दे रहे कर्मचारी ही सही मायनों में पार्क की नींव हैं। शाह कहते हैं कि राज्य का वन विभाग अपने वन श्रमिकों और उनके परिवार के कल्याण के लिए तमाम योजनाएं बनाकर उनके कल्याण के लिए सतत प्रयासरत हैं।
मध्य प्रदेश के ये हैं राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। यह मंडला और बालाघाट जिले में लगभग 940 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। इसे 1933 में वन्यजीव अभ्यारण्य तथा 1955 में नेशनल पार्क बनाया गया। इस उद्यान को 1974 में बाघ परियोजना में शामिल किया गया। वहीं, माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी जिले में स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 375 वर्ग किलोमीटर है। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1958 में हुई थी। जार्ज कैसल नामक भवन इसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। यहां बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान उमरिया और कटनी जिलों में आता है। इसका क्षेत्रफल लगभग 449 वर्ग किमी है। बांधवगढ़ की स्थापना 1968 में हुई थी। इसे 1993 में बाघ परियोजना में शामिल किया गया। इस राष्ट्रीय उद्यान में सफेद शेर पाए जाते हैं।
फॉसिल जीवाश्म भी है यहां
इसे साथ ही फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान डिंडोरी जिले में है। इसका क्षेत्रफल लगभग 0.27 वर्ग किमी. है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी। कहना होगा कि यह फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है। इस उद्यान में पादपों तथा जन्तुओं के जीवाश्म हैं। यहां एक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल महानगर से जुड़ा हुआ है, जिसका कि क्षेत्रफल लगभग 4.45 वर्ग किलोमीटर है। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1979 में की गई थी। संजय राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सीधी जिले में है। क्षेत्रफल लगभग 467 वर्ग किमी. है। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में की गई थी। यहां पन्ना राष्ट्रीय उद्यान पन्ना और छतरपुर जिले में फैला हुआ है। क्षेत्रफल लगभग 543 वर्ग किमी. तक का है। स्थापना 1981 में की गई थी और इसे 1994 में बाघ परियोजना में शामिल किया गया था ।
सतपुड़ा के जंगलों में है मोगली लैंड और विश्व प्रसिद्ध कृष्ण मृगों का पार्क
इसी प्रकार से यहां का सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान होशंगाबाद जिले के 529 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक फैला हुआ है। यह नेशनल पार्क कृष्ण मृगों के लिए अपनी एक विशिष्ट पहचान विश्व भर में रखता है । इसे 1983 में स्थापित किया गया था। वहीं, प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान को सिवनी और छिन्दवाड़ा जिले के साथ ही महाराष्ट्र के कुछ हिस्से तक विस्तार दिया गया है। 1983 में स्थापित इस उद्यान का क्षेत्रफल 293 वर्ग किमी. के करीब है। उद्यान का नामकरण इसके बीच से बहने वाली पेंच नदी के नाम पर है। यह वही क्षेत्र है जिसे मोगली लैंड भी कहा जाता है। यहां कृष्ण मृग सर्वाधिक संख्या में हैं।
डायनासोर जीवाश्म पार्क भी यहां की विशेषता
इनके अलावा मध्य प्रदेश में तीन अन्य महत्वपूर्ण उद्यान हैं, जिनमें 2004 में स्थापित ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान खण्डवा जिले के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल लगभग 293 वर्ग किमी. है। एक अलग से डायनासोर जीवाश्म उद्यान भी यहां पर बनाया गया है । डायनासोर जीवाश्म उद्यान मध्य प्रदेश के धार जिले के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल लगभग 0.89 वर्ग किमी. है। इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 2010 में की गई थी। ऐसे ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है, इसकी स्थापना 2018 में की गई। कूनो राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 749 वर्ग किमी. है। गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान से कुछ एशियाई शेरों यानी बब्बर शेरों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।