मजदूरों के पलायन से कारोबार हुआ चौपट, होगा राजस्व का नुकसान: कैट
नई दिल्ली, 21 मई (हि.स.)। देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के पलयान कारण व्यापार एवं उद्योग धंधे संकट में पड़ गए हैं। यही नहीं देशभर में उद्योग एंव दुकानें खुलने के बाद भी कारोबार समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है। दरअसल मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन कारोबार के अस्तित्व के लिए एक बड़ा विषय बन गया है। यह बात कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने गुरुवार को कही ।
कैट ने कहा कि मजदूरों के पलायन के लिए केंद्र के साथ-साथ कई राज्य सरकारें भी जिम्मेदार है। कैट ने कहा कि यदि राज्य सरकारें केंद्र सरकार से बातचीत कर इस मामले की गंभीरता को समझते हुए शुरू से ही इस मामले को संभालती तो मजदूरों का इतने बड़े पैमाने पर पलायन नहीं होता। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि मजदूरों के जाने से कारोबार बिलकुल नहीं हो रहा, जिसकी वजह से केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजस्व की बड़ी चपत लगेगी।
खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान लॉकडाउन की अवधि में छूट दिए जाने के बाद पिछले दो दिनों से दिल्ली सहित देशभर में व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले हैं, लेकिन कारोबार आंशिक रूप से ही शुरू हो पाया है। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में मजदूरों के पलायन के कारण व्यापार एवं उद्योग धंधे को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कोरोना-19 के संक्रमण के डर के कारण ग्राहक भी बिलकुल बाजार में नहीं आ रहा है। खंडेलवाल ने कहा कि देशभर के व्यापारी अपने व्यापार और कारोबार को लेकर बेहद चिंतित है।
खंडेलवाल ने कहा की दिल्ली में लगभग 30 लाख मजदूर व्यापारियों के यहां काम करते थे और ज्यादातर दिल्ली में प्रवासी मजदूर थे। इन मजदूरों में से लगभग 26 लाख मजदूर अपने गांव को चले गए। वहीं, लगभग 4 लाख मजदूर दिल्ली के स्थानीय निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मजदूर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर काम के लिए नहीं आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि दरअसल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, नोएड,फरीदाबाद,गुडगांव, बल्लबगढ़, सोनीपत रहने वाले लगभग 4 लाख मजदूर प्रतिदिन दिल्ली आते हैं जो वर्तमान में राज्यों के बॉर्डर पर जारी प्रतिबंध की वजह से दिल्ली नहीं आ पा रहे हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि मजदूरों की कमी और ग्राहकों के बाजार में न आने के कारण से व्यापारियों का व्यापार बिलकुल न के बराबर चल रहा है। यदि यही हाल रहा तो राजधानी दिल्ली के व्यापार बड़ी गिरावट आएगी, जिसका सीधा असर केंद्र एवं राज्य को जाने वाले जीएसटी के कर संग्रह पर पड़ेगा। खंडेलवाल ने कहा कि लगभग यही स्तिथि देश के हर राज्य में है। कैट महामंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को अविलंब राज्य सरकारों से बातचीत कर मजदूरों को वापस लाने के लिए एक ठोस योजना बनानी चाहिए। यदि मजदूर वापस काम पर नहीं लौटे तो व्यापार एवं उद्योग धंधा कोरोना के बाद एक बड़े दुष्चक्र में फंस जाएगा।