भारत के समृद्ध अतीत को फिर से खोजने में इंडोलॉजी की बड़ी भूमिका : राष्ट्रपति

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प्राग/नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को प्राग में चार्ल्स विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास, दर्शन और पुरातन साहित्य को जानने-समझने से जुड़ा शास्त्र ‘इंडोलॉजी’ न सिर्फ भारत और चेक गणराज्य को एक साथ लाया बल्कि आधुनिक भारत के निर्माण और भारत के समृद्ध अतीत को फिर से खोजने में इसकी एक बड़ी भूमिका रही है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि 1850 में चार्ल्स विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग की स्थापना के साथ शुरु हुए इंडोलॉजी की प्राग में एक बहुत पुरानी परंपरा है। प्रोफेसर लेस्नी इंडोलॉजी के चेक स्कूल के संस्थापक पिता थे। वह पहले यूरोपीय इंडोलॉजिस्ट थे, जिन्होंने अंग्रेजी के मध्यस्थ के रूप में अंग्रेजी का उपयोग करने की बजाय सीधे बंगाली से चेक में रवींद्रनाथ टैगोर की कविता का अनुवाद किया था।
उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों के बीच सहयोग प्राचीन भारतीय ज्ञान के पहलुओं को फिर से खोजने का एक शानदार अवसर प्रस्तुत करता है, जो हमारी कई समकालीन समस्याओं को हल कर सकता है। उन्होंने कहा कि योग पर किए गए अध्ययनों ने मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव की पुष्टि की है। उन्होंने योग और आयुर्वेद में चेक गणराज्य में भारी समर्थन और रुचि प्राप्त करने में खुशी व्यक्त की।
कोविंद ने कहा कि आज इंडोलॉजी का दायरा बहुत व्यापक हो गया है और यह बताता है कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की गहरी समझ प्रदान करने के लिए विषयों में विशेषज्ञ अक्सर कैसे आते हैं।
बाद में राष्ट्रपति ने प्राग में ईएलआई बीमलाइन इंटरनेशनल लेजर रिसर्च सेंटर का दौरा किया। उन्हें यहां अत्याधुनिक संस्थान, लेजर प्रौद्योगिकी और शोध के विश्व केंद्रों में से एक के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई।
राष्ट्रपति साइप्रस, बुल्गारिया और चेक गणराज्य की अपनी तीन देशों की यात्रा पूरी करके रविवार को नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे। प्राग छोड़ने से पहले राष्ट्रपति रवींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में नामित ठाकुरोवा पार्क जाएंगे और कवि को श्रद्धांजलि देंगे।


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