भाजपा के 100 सांसदों का कट सकता है टिकट

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नई दिल्ली, 20 सितम्बर (हि.स.)। भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह 2019 के चुनाव में भी अन्य दलों के सांसदों, नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में लाएगी और चुनाव लड़ाएगी। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जो 284 सीटें जीती ,उसमें से लगभग 100 सांसद अन्य दलों से टूटकर भाजपा में आए थे और इसके टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस बार भी यह होने वाला है।
सूत्रों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा लगभग 100 सांसदों का टिकट काटेगी। उनमें वे सांसद जिनका काम-काज ठीक नहीं है वे तो हैं ही , वे सांसद भी हैं जिनका काम तो ठीक है लेकिन पार्टी के सर्वोच्च व उनके कुछ कीर्तनी आधार विहिन पदाधिकारियों का कीर्तन नहीं करते, अपने काम से काम रखते हैं। वे सांसद जिनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक हो गई है का टिकट काटने की बात तो सरकार बनने के बाद से ही चल रही है, अब देखना है कि वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटा जाता है या नहीं । ऐसे जिनके भी टिकट काटे जाएंगे, इनकी जगह पार्टी के नए लोगों, अन्य पार्टी से लाए जाने वाले नेताओं को टिकट दिया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि इसके लिए सहयोगी पार्टी के सांसदों तक पर डोरे डाले जा रहे हैं। लोकसभा में शिवसेना के मुख्य सचेतक चंद्रकांत खैरे सहित 03 सांसदों से बातचीत चल रही है। इसी तरह से तेलुगु देशम पार्टी के 02 सांसदों , कांग्रेस के 05 सांसदों , बीजद के 02 सांसदों , तृणमूल के 02 सांसदों ,जदएस के दो पूर्व सांसदों व अन्य कई पार्टी के नेताओं से बात चल रही है। अन्य दलों के बहुत से ऐसे नेता जो सांसद नहीं हैं लेकिन राज्य की राजनीति में प्रभावी हैं और जातीय समीकरण में अपनी जाति के वोट पर असर रखते हैं, उनको भी पटाने की कोशिश चल रही है।
इस बारे में भाजपा सांसद लालसिंह बड़ोदिया का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि अन्य पार्टी के सांसद या नेता या पदाधिकारी अपने पार्टी के नेताओं से मतभेद के कारण या तरजीह नहीं दिए जाने के कारण अन्य पार्टी में चले जाते हैं। यह सभी पार्टी में होता रहता है।
इस मुद्दे पर पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि कई पार्टी ऐसी हैं जो अन्य दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में लेने , उनको टिकट देने में दस बार सोचती हैं। लेकिन भाजपा अपना विस्तार करने के लिए , अधिक से अधिक लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभा की सीटें जीतने के लिए बहुत ही आक्रामक तरीके से अन्य दलों से नेताओं को लाने, टिकट देने का उपक्रम कर रही हैं। शायद यह उसकी आक्रामक संगठन व सत्ता विस्तारवादी नीति के कारण है या इस तरह से सर्व समाजी, सर्व वर्गीय बनने की राजनीतिक योजना के तहत है और इसके लिए वह किसी भी स्तर पर जा रही हैं। इसे राजनीतिक जंग में अब जायज भी माना जाने लगा है।


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