बेटी को केन्द्र में मंत्री बनवाने चन्द्रशेखर राव राजग में शामिल होने को बेचैन

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नई दिल्ली, 06 अगस्त (हि.स.) । टीआरएस प्रमुख व तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव अपनी लोकसभा सांसद बेटी के.कविथा को केन्द्र में मंत्री बनवाना चाहते हैं। इसके लिए वह भाजपा के साथ गठबंधन करने को बेचैन हैं। इसके लिए वह हर तरह का उपक्रम कर रहे हैं। बजट सत्र के दौरान टीआरएस पर राजग सरकार के इशारे पर सदन में हंगामा करके सदन नहीं चलने देने का आरोप कांग्रेस, माकपा, तृणमूल व अन्य विपक्षी दलों ने लगाया था। उस समय कांग्रेस व अन्य कई दलों ने मोदी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया हुआ था और उसे स्वीकार करके बहस कराने की मांग कर रहे थे। तेदेपा प्रमुख व आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू भी आन्ध्र प्रदेश के विकास के लिए, नई राजधानी के लिए पर्याप्त फंड नहीं देने का आरोप मोदी सरकार पर लगाकर अपने सांसदों के मार्फत संसद नहीं चलने दे रहे थे। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि इन दोनों की काट के लिए मोदी सरकार ने चन्द्रशेखर राव व उनकी पार्टी टीआरएस तथा जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस का उपयोग किया । उसके बाद टीआरएस प्रमुख चन्द्रशेखर राव ने गैरभाजपा, गैर कांग्रेस गठबंधन करने के लिए अन्य राज्यों के राजनीतिक दलों से मिलने का उपक्रम शुरू किया। जिसके बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने कहना शुरू कर दिया कि उनकी यह कबायद मोदी सरकार के इशारे पर चल रही है। यह बात फैलते ही उनका उपक्रम जो वैसे भी परवान नहीं चढ़ने वाला था फुस्स हो गया। इसके बाद अब राव ने भाजपा के साथ मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने का उपक्रम शुरू कर दिया है। इनके विश्वासपात्र एक सांसद का कहना है कि इसीलिए उन्होंने 04 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। इस बारे में आन्ध्र प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार वेंकटेश पारसा का कहना है कि चन्द्रशेखर राव की कोशिश किसी भी तरह से अपनी बेटी के कविथा को केन्द्र में मंत्री बनवाना है। उनकी बेटी लोकसभा सांसद है। इसके लिए उन्होंने 2014 में बहुत कोशिश की थी। लेकिन मोदी ने उनकी बेटी को मंत्री नहीं बनाया। अब चन्द्रशेखर राव चाहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करके लड़ेंगे तो उनकी बेटी के लिए केन्द्र में मंत्री का पद पक्का हो जायेगा। इसके अलावा राव को यह भी डर है कि कांग्रेस का गठबंधन चन्द्रबाबू नायडू की पार्टी तेदेपा से हो सकता है। यह होने पर टीआरएस को नुकसान हो सकता है। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के साथ अंदर-अंदर भाजपा का समीकरण बन गया है। मोदी-शाह व भाजपा बस एक डर से खुलकर समझौता नहीं कर रहे हैं। वह है जगन मोहन रेड्डी पर महाभ्रष्टाचार का आरोप। जिस पर सीबीआई, ईडी की जांच चल रही है। जगन अभी मोदी सरकार की कृपा से ही बेल पर हैं।
सूत्रों का कहना है कि जगन जेल से बाहर रहने की शर्त पर भाजपा को किसी भी तरह का सहयोग करने को तैयार हैं। यदि भाजपा ने 2019 के लोक सभा चुनाव में आन्ध्र प्रदेश में देतेपा को हराने के लिए शर्म – लाज छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से गठबंधन कर लिया, तब तो आन्ध्र प्रदेश व तेलंगाना दोनो ही जगह वह वाईएसआर के साथ सीटों का बंटवारा करके चुनाव लड़ेगी। ऐसे में टीआरएस के लिए गुंजाइश कम बन रही है। इसके बावजूद टीआरएस के मालिक अपनी बेटी के.कविथा को केन्द्र में मंत्री बनवाने के लिए कुछ भी कुर्बानी देने को तैयार हैं, तो उनको भाजपा व वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लिए तेलंगाना में लोक सभा व विधान सभा की सीटें छोड़नी पड़ेगी।यदि भाजपा ने वाईएसआर कांग्रेस से केवल अंदर-अंदर समझौता किया ( जो चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए साथ हो सकते हैं), तब तो तेलंगाना में टीआरएस के साथ भाजपा समझौता कर सकती है।
इस बारे में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि फिलहाल सबको वेटिंग में रखा गया है। लोकसभा चुनाव से पहले टीआरएस या वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से गठबंधन करने से बहुत फायदा नहीं है। क्योंकि ऐसा करने से 2019 चुनाव बाद सरकार में इनके सांसदों को मंत्री बनाना पड़ेगा और ये लोग दबाव बनाकर अधिक सीटें मांगेंगे। यह नहीं होने पाये इसके लिए चुनाव के पहले इनसे गुडी-गुडी चलती रहेगी, अन्दर-अन्दर सीटों का तालमेल होगा। जरूरत पड़ी तो चुनाव बाद इनको साथ ले लिया जायेगा। चुनाव के पहले अभी इनको गले लगाने की कोई मजबूरी नहीं है, उल्टे ये भाजपा के लिए बलाय हो सकते हैं। विशेषकर भ्रष्टाचार वाली छवि के चलते वाईएसआर कांग्रेस पार्टी व उसके नेता जगन मोहन रेड्डी ।
जहां तक तेलंगाना का सवाल है, तो यहां लोकसभा की कुल 17 सीटें हैं। 2014 में 11 पर टीआरएस, 02 पर कांग्रेस , 01 पर भाजपा , 01 पर तेदेपा , 01 पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी व 01 पर एआईएमआईएम जीती थी। ऐसे में टीआरएस बची 6 सीटों, जिसमें से 01 भाजपा के पास है ही, को उसके लिए छोड़ सकती है।
वैसे भी, मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू से अलगाव होने, उनकी पार्टी तेदेपा के राजग से अलग होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में मानसून सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए तेलंगाना के विकास की प्रशंसा करके एक तरह से टीआरएस व उसके प्रमुख चन्द्रशेखर राव को पुचकारा है। इससे भी उत्साहित होकर राव ने शनिवार 04 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। कहने के लिए तो इस मुलाकात में राज्य की लगभग एक दर्जन योजनाओं/समस्याओं पर चर्चा हुई, फंड की मांग की गई, लेकिन यह तो रूटीन वाला काम है। असल काम बेटी के. कविथा को मंत्री बनवाना और उसके लिए राजग में शामिल होना, मिलकर चुनाव लड़ना है। जिस पर बहुत से कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि जिस खानदान वाद/परिवार वाद का विरोध किया जा रहा है, विरोध करके वोट मांगा जा रहा है, उसी को पनपाने, बढ़ाने के लिए चन्द्रशेखर राव की बेटी को मंत्री बना खाद-पानी दिया जायेगा ?


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