बेगूसराय लोकसभा: टिकट के लिए हालत एक अनार-सौ बीमार जैसी
बेगूसराय,08 मार्च(हि.स.)। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में अब चंद दिन ही बाकी रह गये हैं। कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसको लेकर सभी दल के नेता लोकसभा चुनाव की तैयारी में जी-जान से लग गए हैं। बिहार में राजनीति काफी उफान पर है। लेकिन कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इसकी घोषणा किसी पार्टी ने नहीं की है। किसी भी दल या गठबंधन ने शेयरिंग सीट की घोषणा नहीं की है। इसलिए दलों के अंदर भी एक सीट पर कई प्रत्याशी टिकट लेने के लिए अपनी-अपनी डफली बजा रहे हैं। चुनाव की इस कड़ी में बेगूसराय लोकसभा सीट बिहार में काफी हॉट सीट बन चुकी है। यहां चुनाव से पहले टिकट के लिए ही मारामारी की हालत है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ कन्हैया कुमार के लड़ने की घोषणा कर चुकी है। कन्हैया भी पूरी तरह से चुनावी मोड में हैं। राजद भी किसी हालत में यह सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। विगत चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे डॉ तनवीर हसन हर जोर आजमाइश कर रहे हैं। हालांकि 2008 की तरह राजद यहां से किसी अनजान नाम की घोषणा भी कर सकती है। कांग्रेस ने भी इस सीट से अपना दावा नहीं छोड़ा है। कांग्रेस इसे अपनी परंपरागत सीट मानते हुए यहां से लड़ने के लिए बेताब है। कई बड़े दावेदार भी हैं। यहां के सांसद रहे भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता डॉ भोला सिंह के निधन के बाद से ही भाजपा में दावेदारी करने वाले प्रत्याशियों की होड़ लग गई है। हालांकि अभी तक इस बात की घोषणा भी नहीं हुई है कि इस सीट से कौन पार्टी चुनाव लड़ेगी। बीच में हुआ था कि मुंगेर सीट जदयू के पाले में चले जाने के बाद वहां के सांसद वीणा देवी लोजपा के चुनाव चिह्न पर बेगूसराय से चुनाव लड़ेंगी। लेकिन अब यह चर्चा भी बदल गई है। कहा जा रहा है कि वीणा देवी नवादा से चुनाव लड़ेंगी और बेगूसराय से भाजपा के कोई प्रत्याशी होंगे। इस बात को बल तब भी मिला जब बीते चार मार्च को राज्यसभा सांसद प्रो राकेश सिन्हा ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि यहां भाजपा और भाकपा में कोई टक्कर ही नहीं है। भाजपा तीन लाख वोट से जीतेगी। फिलहाल भाजपा के प्रत्याशियों की लंबी लिस्ट में सबसे ऊपर नाम आ रहा है गिरिराज सिंह का। पार्टी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व द्वारा गिरिराज सिंह के बेगूसराय से चुनाव लड़ने की बातें लगभग तय है। गिरिराज सिंह इसके लिए तैयार हो चुके हैं। उनका कहना है पार्टी जहां से टिकट देगी वह चुनाव लड़ेंगे। हालांकि भाजपा में भी टिकट के दावेदारों की लाइन लगातार लंबी होती जा रही है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के अंदर बातचीत का दौर अभी जारी है। भाजपा में हो रहे नामों की चर्चा में एक नया नाम पूर्व मंत्री जमशेद अशरफ का भी जुड़ गया है। चर्चा है कि 2009 के चुनाव में जिस तरह से एनडीए ने सवर्णों के इस परंपरागत सीट पर डॉ मोनाजिर हसन को टिकट देकर दांव खेला तथा वे संसद पहुंच गए। उसी तरह से इस बार भी नया दांव खेला जा सकता है, क्योंकि बेगूसराय में मुस्लिम समुदाय की आबादी दूसरे नंबर पर हैं। एक तरफ जहां भूमिहार मतदाताओं की संख्या करीब तीन लाख 30 हजार के करीब है। वहीं, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग ढाई लाख के आसपास है। उनके समर्थकों का दावा है कि मुस्लिम बिरादरी के बीच मुहिम चलाकर जमशेद अशरफ ने मुस्लिम समुदाय के 50 हजार से अधिक लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम किया है। संभव यह भी है कि पिछड़ा हित का दांव खेलते हुए भाजपा पूर्व विधायक सुरेंद्र मेहता को टिकट दे दे। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री विधान पार्षद रजनीश कुमार, मेयर उपेन्द्र प्रसाद सिंह, पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सह भाजपा के प्रदेश मंत्री रामलखन सिंह, भोला बाबू की पुत्रवधू वंदना सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जयराम दास, पूर्व गन्ना मंत्री अशोक महतो के भी नामों की चर्चा चल रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बेगूसराय लोकसभा सीट से कन्हैया से मुकाबले के लिए कौन दल, किसे चुनाव मैदान में उतारता है।