बुश से जीवीएल नरसिम्हा राव तक: 2008 के बाद से जूता फेंकने की प्रमुख घटनाएं
नई दिल्ली, 18 अप्रैल (हि.स.)। राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में जब गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव पर जूता फेंका गया तो यह पिछले कुछ सालों में हुई कई ऐसी घटनाओं की याद दिला गया, जिन्होंने मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं।
साल 2008 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश पर जूता फेंक कर इराकी पत्रकार मुंतधर अल जैदी पहली बार दुनिया के मीडिया में चर्चा में आए थे। इस घटना के बाद से यूरोप, अमेरिका, भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन आदि में इसी तरह की कई घटनाएं सामने आई थीं।
साल 2008 के बाद से जूता फेंकने की कुछ प्रमुख घटनाएं:
जॉर्ज डब्ल्यू बुश:
14 दिसम्बर, 2008 को इराकी पत्रकार मुंतधर अल-जैदी ने बगदाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की ओर एक के बाद एक अपने ‘10 नम्बर’ के जूते फेंके। जिस समय यह घटना हुई, अमेरिकी राष्ट्रपति इराकी प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के साथ एक संवाददाता सम्मेलन कर रहे थे और दोनों आपस में हाथ मिलाने वाले थे।
हमलावर ने अपने जूते उतारे और एक-एक कर बुश के सिर को लक्ष्य कर दे मारे। हालांकि निशाना चूक जाने के कारण जूते नेताओं के पीछे दीवार में जा लगे। जैदी मिस्र की राजधानी काहिरा स्थित इराकी टेलीविजन चैनल अल बगदादिया के लिए काम करता था। इस घटना से कमरे में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया, जिसके बीच बुश ने कहा कि इस बारे में चिंता मत करो।
हमलावर पत्रकार ने जूते फेंकते हुए अरबी भाषा में कहा, “यह आप जैसे कुत्ते को विदाई का चुम्बन है।” घटना के बाद कमरे में मौजूद अधिकारियों और कर्मियों ने इस पत्रकार को घेर लिया। सुरक्षा अधिकारियों ने हमलावर को जमीन पर गिरा दिया और फिर उसे वहां से दूर ले गए, जिसके बाद कालीन पर ताजा खून की एक लकीर दिखाई दी।
इस कृत्य के लिए उसे जेल की सजा हुई लेकिन अच्छे चाल-चलन के कारण उसे सिर्फ नौ महीने बाद ही साल 2009 में रिहा कर दिया गया। वह वर्तमान में अल-जैदी फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं, जो मानवीय कार्यों में संलग्न है।
पी चिदंबरम:
दिल्ली में अप्रैल 2009 में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता जरनैल सिंह, जो उस समय एक पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे, ने सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को लोकसभा टिकट देने के लिए तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम पर अपना जूता फेंका। दोनों 1984 के सिख विरोधी दंगों में आरोपित (सज्जन कुमार फिलहाल जेल में हैं) हैं।
जरनैल सिंह बाद में आप में शामिल हो गए और दिल्ली में विधायक बन गए लेकिन बाद में उन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया।
मनमोहन सिंह:
2009 जूता फेंकने वालों का साल लग रहा था। अप्रैल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अहमदाबाद में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उसी दौरान उन पर जूता फेंका गया। हालांकि जूता निशाने से चूक गया और बीच में ही गिर गया।
जूता फेंकने वाला इंजीनियरिंग का एक छात्र था, जिसे सुरक्षाकर्मियों द्वारा तत्काल हिरासत में ले लिया गया। हालांकि डा. मनमोहन सिंह ने उसे माफ करने के लिए कह दिया। छात्र ने किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े होने से इनकार किया और कहा कि उसने यह केवल एक प्रचार स्टंट के रूप में किया है।
लालकृष्ण आडवाणी:
2009 में भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी ने आम चुनावों के दौरान लालकृष्ण आडवाणी पर 2009 में लकड़ी का खड़ाऊं फेंका। बाद में उसकी पहचान पावस अग्रवाल के रूप में हुई। पूछताछ के दौरान उसने कहा कि आडवाणी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खुद को पेश कर रहे थे लेकिन वह ‘नकली लौह पुरुष’ हैं और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लायक नहीं थे।
टोनी ब्लेयर:
पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर पर सितम्बर 2010 में आयरलैंड के डबलिन में बुक-साइनिंग इवेंट के दौरान जूतों के साथ-साथ अंडों से भी हमला किया गया था।
राहुल गांधी :
जनवरी 2012 में देहरादून में एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी जूता फेंका गया था। हमले के जवाब तब राहुल ने कहा था, “अगर कुछ लोगों को लगता है कि जूता फेंकने से मुझे डराया जाएगा और मुझे भागने के लिए मजबूर किया जाएगा, तो वे गलत हैं।”
परवेज मुसर्रफ:
मार्च 2013 में कराची में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर ताजमहल लोधी नाम के एक वकील ने अपना जूता फेंका। वकील ने बाद में कहा कि उसने जूता इसलिए फेंका, क्योंकि वह मुशर्रफ से पाकिस्तान में लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश के लिए नफरत करता था। जूता मुशर्रफ की नाक पर लगा था। उसी साल फरवरी में एक अन्य व्यक्ति ने दोबारा ऐसी ही घटना को अंजाम दिया, जब मुशर्रफ लंदन के वाल्टहम्सो में एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
अरविंद केजरीवाल:
सार्वजनिक जीवन में आने के बाद इस तरह के हमलों का एक बड़ा अनुभव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ है। उन्हें अप्रैल 2014 में एक चुनाव अभियान के दौरान थप्पड़ मारा गया था। इससे पहले नवंबर 2013 में एक अन्य घटना में उन पर स्याही फेंकी गई थी।
9 अप्रैल, 2016 को आम आदमी पार्टी के एक सदस्य ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में पहले एक सीडी और उसके बाद केजरीवाल पर जूता फेंका। हालांकि जूता निशाना चूक गया। उस व्यक्ति ने अपनी पहचान वेद शर्मा के रूप में बताई, जो आम आदमी पार्टी से टूटे हुए एक गुट के सदस्य थे। वह केजरीवाल के सामने टेबल पर गिरे जूते को उछालने से पहले सीएनजी घोटाले पर एक स्टिंग ऑपरेशन के बारे में कुछ चिल्लाया। पुलिस द्वारा हिरासत में लिये जाने से पहले सचिवालय के अधिकारियों द्वारा हमलावर को मारपीट कर गिरफ्त में ले लिया गया। साल 2018 में एक बार फिर केजरीवाल पर सचिवालय में एक व्यक्ति ने लाल मिर्च पाउडर भी फेंका था। हालांकि उसे वहीं पर सचिवालय कर्मियों ने दबाेच लिया था।