बिहार में मॉडल गांव का केंद्र बिंदु बनेगा बेगूसराय, शुरू हुआ अभियान
बेगूसराय, 07 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के बांदा जिला में आईएएस अधिकारी डॉ. हीरा लाल द्वारा प्रयोग किया गया मॉडल गांव का प्रारूप बिहार में भी लागू होगा तथा बेगूसराय को मॉडल गांव का केंद्र बिंदु बनाया जाएगा। इसके लिए विश्वमाया चैरिटेबल ट्रस्ट के सहभागिता से प्रयास शुरू किया गया है। आईपीएस अधिकारी विकास वैभव का लेट्स एंस्पायर भी इसमें सहभागी बनेगा। बेगूसराय में मॉडल गांव को लेकर आज उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी डॉ. हीरा लाल, मॉडल गांव के अध्यक्ष डॉ. मनीष, डॉ. रमण कुमार झा तथा मॉडल गांव के कांसेप्ट को लेकर विभिन्न विधाओं के लोगों के साथ वर्चुअल बैठक किया गया। बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, वित्तीय समावेशन एवं महिला सशक्तिकरण सहित अन्य मुद्दों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई है।
बैठक में आईएएस अधिकारी हीरा लाल ने विलेज मेनिफेस्टो से गांव को कैसे बेहतर किया जाए। समाज से समाज का बेहतर कैसे हो सकता है और अपने विधाओं को अपने गांव में कैसे इंप्लीमेंट किया जाए, कैसे बदलाव हो सकता है को लेकर चर्चाएं की गई। उन्होंने कहा कि भारत गांवों में रहता है, भारत को विकसित और खुशहाल बनाने के लिए गांव का विकास ही एक मात्र रास्ता है। कृषि को कृषि व्यवसाय में बदलकर, ग्रामीणों को जागरूक कर विकसित करना है। जिससे किसानों की आय, उपज, ज्ञान, मनोभाव आदि में एक बड़ा बदलाव होगा। यह बदलाव एक मॉडल बनेगा, गांव का नाम मॉडल गांव के रूप में रोशन होगा। ज्ञान शक्ति है, ग्रामवासियों द्वारा गांव विकास के मुद्दों और गतिविधियों पर बहस कर, ग्रामवासियों को जानकार बनाकर उनका सशक्तीकरण करना है। गांव में विकास का मुद्दा विलेज मेनीफेस्टो के माध्यम से स्थापित करना है। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से गांव को कृषि व्यापार में बदलना है, तभी गांव की लाचारी, गरीबी और बेरोजगारी कम होगी।
पूर्व में इस मॉडल को प्रयोग के तौर पर उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद में लागू किया गया था, जिसके सकारात्मक परिणाम रहे। विकसित गांव बनाने के लिए उपरोक्त प्रयोग को पूरे प्रदेश में गांव घोषणा पत्र (विलेज मेनीफेस्टो) के माध्यम से लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए सामाजिक सहभागिता द्वारा बगैर किसी पूंजी लागत के मॉडल गांव बनाने के लिए 25 बिंदु तय किए गए हैं। सफाई, पढ़ाई, दवाई, कमाई, बिजली, पानी, रोजगार, संवाद तंत्र, विज्ञान, जैविक उत्पाद, आत्मनिर्भर का विवाद रहित खुशहाली वाला गांव, गांव का नियम, लेखा-जोखा, गांव का बायोडाटा, सूचना, जनसंख्या, किसान उत्पादक संगठन, प्रवासी ग्रामवासी संपर्क सहायता, कुपोषण, वृक्षारोपण, खेल, कला, संस्कृति विकास, महिला विकास, प्रतिभा चयन, विकास की समस्या और समाधान, देश एवं प्रदेश सरकार के कार्यक्रमों में लागू करना, गांव स्थापना दिवस आदि पर काम किया जाएगा। सभी कार्यक्रमों को गांव में बेहतर करने की सोच के साथ मॉडल गांव बनाने के लिए निर्णय लिया गया है कि गांव को गांव ही रहने दिया जाए। भरवारी और खम्हार गांव को मॉडल गांव के एक प्रेरक के रूप में सामने लाया जाएगा। विश्वमाया चैरिटेबल ट्रस्ट और आईसीआईसीआई फाउंडेशन के द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में इसकी योजना बनाई गई है। बिहार में पहली बार यह प्रयोग किया जा रहा है। बेगूसराय को इसका केंद्र बिंदु बनाकर काम शुरू किया जाएगा। विश्वमाया चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. रमण कुमार झा ने बताया कि मॉडल गांव बनाने की दिशा में काम करने के साथ ही क्षेत्र के सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए भी लगातार मुहिम चलाई जा रही है।