बिहार झारखंड के जैन तीर्थस्थलों को जैन सर्किट से जोड़ने का सपना होगा साकार:दीपक
नवादा, 11 मार्च(हि. स.)। बिहार और झारखंड के जैन तीर्थस्थलों को जैन सर्किट से जोड़ने का सपना जल्द पूरा होगा है। यह जानकारी समाजसेवी दीपक जैन ने शुक्रवार को दी है।प्रस्तावित योजना के पूर्ण होने पर जैन धर्मस्थलों के दर्शनार्थ देश के कोने-कोने से बिहार और झारखंड आने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा सुगम और आनंददायी हो जाएगी।
बताया जाता है कि देश के विभिन्न प्रमुख जैन तीर्थस्थलों में से अधिकांश तीर्थस्थल बिहार और झारखंड राज्य में अवस्थित है। इन पवित्र तीर्थस्थलों में झारखंड अवस्थित जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणस्थली परम पावन श्री सम्मेदशिखर जी (गिरिडीह) के साथ ही बिहार स्थित बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की निर्वाणस्थली मंदारगिरी (बांका), उनकी गर्भ, जन्म, तप व कैवल्य ज्ञानस्थली चम्पापुर (भागलपुर), चौबीसवें व अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की कैवल्य ज्ञानस्थली मलयागिरी (जमुई), श्वेताम्बर जैन मान्यतानुसार भगवान महावीर की जन्मस्थली लछुआड़ (जमुई), जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की कैवल्य ज्ञानस्थली जैन जल मंदिर व निर्वाणस्थली श्री गोणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र (नवादा), अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की निर्वाणस्थली पावापुरी (नालंदा), भगवान महावीर की प्रथम देशनास्थली और बीसवें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ की जन्मस्थली राजगृह (नालंदा), दिगम्बर जैन मान्यतानुसार भगवान महावीर की जन्मस्थली कुण्डलपुर (नालंदा), महामुनि सेठ सुदर्शन की निर्वाणस्थली कमलदह (पटना), भारतीय इतिहास के अनुसार भगवान महावीर की जन्मस्थली कुण्डग्राम (वैशाली) के साथ ही जैन धर्मनगरी आरा शामिल है। इन धर्मस्थलों के वंदनार्थ देश भर के जैन धर्मावलंबियों का सालों भर तांता लगा रहता है। इन धर्मस्थलों को जैन सर्किट के तहत आपस में जोड़े जाने को लेकर जैन धर्मावलंबी पुरजोर आवाज उठाते रहे हैं। बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने जैन धर्मावलंबियों के इन मांगों पर संज्ञान लिया है, जिससे मांगों के पूर्ण होने को लेकर उनकी उम्मीदें काफी बढ़ गई।
जैन समाज के हक और हुकूक के लिए बुलंद आवाज उठाने वाले तेज-तर्रार नेता और समाजसेवी दीपक जैन कहते हैं कि जैन धर्मस्थलों के दृष्टिकोण से बिहार और झारखंड का एक विशिष्ट स्थान है। इन धर्मस्थलों को जैन सर्किट के तहत आपस में जोड़े जाने की मांग को केंद्र की पूर्ववर्ती सरकार ने ठंढे बस्ते में डाल रखा था, लेकिन अब हमारी मेहनत रंग ला रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी मांगों को संज्ञान में लिया है। सारे धर्मस्थलों के जैन सर्किट के तहत आपस में जोड़े जाने की प्रक्रिया जैन तीर्थयात्रियों की यात्रा सुलभ, सुविधादायक और आनंददायी बनाने के साथ ही भारतीय संस्कृति के संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
वे कहते हैं कि प्रस्तावित योजना के पूर्ण होने पर जैन धर्मावलंबियों का सपना साकार तो होगा ही, यात्रा सुगम होने से श्रद्धालुओं के श्रद्धाभाव को भी पंख लग जाएंगे। पर्यटन के बढ़ावे के साथ ही सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा। दीपक जैन ने मोदी सरकार के प्रति आभार जताते हुए संबंधित प्रस्ताव के क्रियान्वयन को द्रुत गति देने के लिए सरकार को पुनः अनुरोध पत्र भेजे जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार निश्चित तौर पर जैन धर्मावलंबियों को निराश नहीं करेगी।