बिहार को मिला दो पद्म सम्मान, बेगूसराय को गर्व है अपने अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता पर
गिरिराज सिंह ने कहा- उत्कृष्ट योगदान का सम्मान करती है नरेन्द्र मोदी सरकार
बेगूसराय, 26 जनवरी (हि.स.)। बिहार में बेगूसराय के सुप्रसिद्ध चिकित्सक और रंगमंच, संस्कृतिक, साहित्य एवं समाजिक समृद्धि के अधिष्ठाता डॉ. पी. गुप्ता (पीयूषेंदु गुप्ता) के पुत्र और बिहार के सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता को पद्म पुरस्कार दिए जाने से हर ओर खुशी का माहौल है। केन्द्र सरकार ने जब पद्म पुरस्कार की घोषणा की तो पद्मश्री की सूची में शैवाल गुप्ता (मरणोपरांत) का नाम देखकर लोग गौरवान्वित हो गए। पद्म की घोषणा पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि पहले सरकार पार्टी और समर्थन को देखकर पद्म सम्मान देती थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पारदर्शिता के साथ सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वालों का चयन और सम्मान करती है। बिहार से आचार्य चंदना जी एवं स्व. शैवाल गुप्ता को पद्म श्री के लिए नामित किया गया। आचार्य चंदना जी 53 साल से राजगीर विरायतन में सेवा दे रही हैं। जबकि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं आद्री के पूर्व निदेशक शैवाल गुप्ता को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री के लिए नामित किया गया।
समाजिक कार्यकर्ता रामकृष्ण ने कहा है कि बिहार से दो लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में पद्मश्री मिल रहा है, यह बड़ी बात है। लोग कुछ कह दे, लेकिन नरेन्द्र मोदी दलीय-दलगत भावना नहीं, विचार को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसका सशक्त उदाहरण है कि उत्कृष्ट कार्य करने के कारण वामपंथी विचारधारा के व्यक्ति और आजीवन कॉमरेड रहे महान चिकित्सक पी. गुप्ता के पुत्र शैवाल गुप्ता को पद्म सम्मान के लिए नामित किया जाना। नरेन्द्र मोदी वाद को मवाद नही बनने देते हैं, आज के दौर में यह बडी़ बात है। उल्लेखनीय है कि बेगूसराय में रंगमंच की बुनियाद मजबूत करने वाले, दिनकर भवन के संस्थापकों में से एक, विप्लवी पुस्तकालय को ऊंचाई प्रदान करने वाले, ज्ञान भारती उच्च विद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान जैसे समाज के तमाम क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले डॉ. पी. गुप्ता के घर 1953 में शैवाल गुप्ता का जन्म हुआ था। प्रारंभिक स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया में हुई तथा 1977 में पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स बने। 1981 में अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी कर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान पटना संकाय के सदस्य बनाए गए। 28 जनवरी 2021 पटना में अपने मृत्यु होने से पहले तक बिहार की अर्थव्यवस्था में बदलाव को लेकर हमेशा प्रयास करते रहे सामाजिक वैज्ञानिक और राजनीतिक अर्थशास्त्री शैवाल गुप्ता के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के आर्थिक सुधारों के लिए किए गए योगदानों का जिक्र किया था।
शैवाल गुप्ता ने 1991 में बिहार में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान पर केंद्रित एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (आद्री) की स्थापना किया तथा बिहार सरकार द्वारा स्थापित सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस (सीईपीपीएफ) के निदेशक रहे। उन्होंने अपने शोध में बिहार की अर्थव्यवस्था की संरचना के साथ-साथ राजनीतिक अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से बिहार में विभिन्न विकास मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। बिहार के औद्योगिक क्षेत्र का भी अध्ययन किया और शासन मॉडल और विकास के बीच संबंध की समझ को चलाने के लिए बिहार और मध्य प्रदेश आदि राज्यों के राजनीतिक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना की। रघुराम राजन की अध्यक्षता में राज्यों के लिए समग्र विकास सूचकांक विकसित करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए गुप्ता ने प्रति व्यक्ति आय, विद्युत कनेक्टिविटी, शिशु मृत्यु दर और महिला साक्षरता जैसे अन्य बिंदुओं को शामिल करने पर बल दिया था। विकास अध्ययन संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, विश्व बैंक और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ विभिन्न शोध परियोजनाओं पर कार्य करने वाले तथा आंध्र बैंक के निदेशक रह चुके शैवाल गुप्ता भारत सरकार के एनएलएम के कार्यकारी समिति सदस्य, बिहार राज्य वित्त आयोग के सदस्य, भूमि अधिग्रहण समिति, वित्तीय संसाधनों पर समिति और योजना आयोग के भारत सरकार विशेषज्ञ समूह सहित विभिन्न सरकारी समितियों में सलाहकार पदों पर कार्य किया। शैवाल गुप्ता ने 24 मई 2017 को बेगूसराय के विप्लवी पुस्तकालय गोदरगावां के मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंच साझा करते हुए जब साहित्य की बात कही थी तो अर्थशास्त्री का साहित्यिक भाषण चर्चा का विषय था।