बरकरार रहेगी कमल की ताजगी या हंसुआ काटेगा कमल और लालटेन की लौ

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बेगूसराय,30 अप्रैल (हि.स.)। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और प्रखर राष्ट्रवादी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की उम्मीदवारी के कारण देश भर में चर्चित हो चुके बेगूसराय लोकसभा सीट का चुनाव संपन्न हो चुका है। रात भर लगातार जारी गहमागहमी के बाद मंगलवार की दोपहर सभी 1944 मतदान केंद्रों के ईवीएम सेट बाजार समिति के वज्रगृह में जमा करा लिये गए हैं । यहां 62.32 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर दस प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद किया है। यहां पुरुष से अधिक महिलाओं ने चुनावी महापर्व में हिस्सा लिया।
डीपीआरओ आशीष आनंद ने मंगलवार को यहां बताया कि लाइन में लगे सभी मतदाताओं ने लेट तक वोटिंग की तथा कुल 62.32 प्रतिशत वोट पड़े हैं। 19 लाख 58 हजार 382 में से 614002 (67.13 प्रतिशत) महिला, 603983 (58.09 प्रतिशत) पुरुष तथा तीन (4.69 प्रतिशत) थर्ड जेंडर ने मतदान किया। इसमें चेरिया वरियारपुर में 62.39, बछवाड़ा में 63.20, तेघड़ा में 62.99, मटिहानी में 62.67, साहेबपुर कमाल में 62.63, बेगूसराय में 59.22 तथा बखरी(सु) में 63.70 प्रतिशत मतदाताओं ने भागीदारी की है। मतदाताओं ने धूप की परवाह नहीं कर जमकर वोटिंग की। इसका प्रतिफल है कि यहां बिहार में चौथे चरण के तहत हुए चुनाव में सबसे अधिक वोट पड़े।
कुछ आंकड़ों में कन्हैया कुमार को तीसरे नंबर पर भेज कर गिरिराज सिंह एवं तनवीर हसन के बीच टक्कर बतायी जा रही है, तो कुछ आंकड़ों में तनवीर हसन को तीसरे स्थान पर भेज कर गिरिराज सिंह एवं कन्हैया कुमार के बीच टक्कर दिखायी जा रही है। राजनीति गुना-भाग के कथित पंडित जाति, धर्म, संप्रदाय, विकास, घोषणा, सरकार के काम तथा दलगत आधार पर मतों का विभाजन कर रहे हैं जबकि हकीकत है कि इस चुनाव में बेगूसराय में सभी तरह का समीकरण फेल हो चुका है। यहां ना तो राष्ट्रवाद चला और ना ही देशद्रोह और सामाजिक न्याय। मतदाताओं ने सभी तरह के समीकरण से अलग हटकर वोटिंग की है। हालांकि बेगूसराय में हुए मतदान में सोशल मीडिया के माध्यम से उड़ाई गई अफवाह ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
नामांकन के पूर्व से यहां लगातार अफवाहों का दौर शुरू हो गया था। मतदान की पूर्व संध्या तथा मतदान के दिन भी सोशल मीडिया ने कहना शुरू कर दिया कि महागठबंधन के राजद प्रत्याशी तनवीर हसन ने कन्हैया कुमार को समर्थन दे दिया जिसके बाद वोटिंग का रूख कुछ बदला और जानकारी मिलते ही तनवीर हसन ने इसका खंडन किया। यहां कांग्रेस पार्टी के लोग महागठबंधन को लेकर तनवीर हसन का प्रचार- प्रसार कर रहे थे लेकिन अंतिम समय में कुछ लोग बदल भी गये। यही हाल एनडीए का भी रहा है। लेकिन सीपीआई के कैडर तटस्थ रहे। फिलहाल अब देखना यह है कि 23 मई को ईवीएम से निकलने वाला जिन्न कमल की ताजगी को बरकरार रखता है या फिर हंसुआ लालटेन की लौ को काटकर अपनी पहचान बनाता है।


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