पुतिन ने अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र पूर्वी यूक्रेन के रूप में दी मान्यता
मास्को/कीव, 22 फरवरी (हि.स.)। यूक्रेन-रूस के बीच विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सुरक्षा परिषद के साथ बैठक में अलगाववादी गणराज्यों को स्वतंत्र पूर्वी यूक्रेन के रूप में मान्यता दे दी है। क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में फ्रांसीसी और जर्मन नेताओं को सूचित किया था।
क्रेमलिन का यह बयान पुतिन के राष्ट्रीय संबोधन से पहले कहा है। बयान में कहा गया कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्ज ने पुतिन के साथ फोन कॉल पर इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की थी। पूर्वी यूक्रेन में कीव और रूस समर्थक विद्रोहियों के बीच संघर्ष में फ्रांस और जर्मनी मध्यस्थ हैं।
पश्चिम देशों ने बार-बार रूस को अलगाववादियों को मान्यता नहीं देने की चेतावनी देत हुए कहा था कि यह एक ऐसा कदम है जो इस क्षेत्र की शांति प्रक्रिया को भंग कर सकता है।
इससे पहले सोमवार को पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों के विद्रोही नेताओं ने पुतिन से उन्हें स्वतंत्र के रूप में मान्यता देने की अपील की थी।
क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि विद्रोहियों ने यूक्रेनी अधिकारियों द्वारा सैन्य आक्रमण कर डोनबास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गोलाबारी की, जिससे यहां के नागरिकों को परेशानी हुई है।
इससे पहले पुतिन ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से सुरक्षा प्रस्ताव पर बात की थी। उसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की जेनेवा में बैठक के दौरान अमेरिका को सुरक्षा प्रस्ताव का मसौदा दिया गया। लेकिन अमेरिका और नाटो ने सुरक्षा प्रस्ताव को अपमानजनक तरीके से खारिज कर दिया। इस प्रस्ताव में यूक्रेन को नाटो में शामिल न किए जाने और पूर्वी व मध्य यूरोप से नाटो के हथियारों की तैनाती हटाए जाने की मांग थी। फ्रांस के राष्ट्रपति की कोशिश है कि यूक्रेन मसले का शांतिपूर्वक समाधान निकल आए, इसीलिए नाटो में शामिल नेताओं में वह सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। वह पुतिन से तीन बार फोन बात करने के साथ ही मास्को जाकर मुलाकात भी कर चुके हैं। मैक्रों ने रविवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी बात की थी।