पहले 30 फिर 100 ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ चलेंगी: पीयूष गोयल
नई दिल्ली, 15 फरवरी (हि.स.)। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ‘मेड इन इंडिया’ के तहत स्वदेश में भारतीय इंजीनियरों द्वारा तैयार पहली सेमी हाई स्पीड ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ को भारतीय रेलवे में एक नए युग की शुरुआत बताया।
दिल्ली से रवाना होने से पहले निरीक्षण के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्रेन में दिव्यांग यात्री सुविधाओं को देखकर अभिभूत हो गए। उन्होंने दिव्यांग यात्रियों के लिए शौचालय और सामान रखने के लिए बने रैक, प्रत्येक सीट के ऊपर हवाई जहाज की तर्ज पर रीडिंग लाइट की प्रशंसा की। उन्होंने ट्रेन के चालक के लिए विपरीत मौसम में दृश्यता बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की सलाह दी।
ट्रेन में पत्रकारों के साथ यात्रा कर रहे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 30 ट्रेन सेट को पटरी पर उतारने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके बाद स्वर्णिम चतुर्भुज रेल नेटवर्क पर भी ऐसी 100 रेलगाड़ियों को चलाने की योजना है।
गोयल ने कहा कि नई दिल्ली-वाराणसी के बीच शुरू हुई इस ट्रेन की टॉप स्पीड 180 किमी. प्रतिघंटा है। हालांकि ट्रैक की क्षमता को देखते हुए इसे 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चलाया जा रहा है। उन्होंने इसे अन्य रेलगाड़ियों से सुरक्षा और सुविधा के मामलों में खास बताते हुए कहा कि इससे 13 घण्टों का सफर 8 घंटों में पूरा होगा।
जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए गोयल ने कहा कि भारत के जवान और सरकार कभी आतंकवाद के आगे झुकेगा नहीं। रेलवे बोर्ड के सदस्य जीके पिल्लई ने ट्रेन के किराये को राजधानी और गतिमान से 40 प्रतिशत कम बताया। यहां राजधानी की एसी2 और एसी3 और ट्रेन 18 का एग्जीक्यूटिव और चेयरकार का किराया ऐड कर दो।
लोगों में दिखा जबरदस्त उत्साह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सवा ग्यारह बजे ट्रेन को रवाना किया। शिवाजी ब्रिज, तिलक ब्रिज सहित तमाम स्थानों पर स्थानीय लोग ट्रेन को देखने के लिए मौजूद रहे। कई स्थानों पर लोग तिरंगा झंडा लेकर भारत माता का जयघोष करते तो सड़क और फ़्लाईओवरों पर खड़े लोग मोबाइल से वीडियो बना रहे थे। 3:23 बजे ट्रेन जब कानपुर पहुंची तो वहां भारत माता की जय और वन्दे मातरम की जय के नारे लगाकर उसका स्वागत किया गया। इस मौके पर यहां मुरली मनोहर जोशी भी मौजूद रहे। हवाई जहाज की तर्ज पर ट्रेन कैप्टन अनिल मोला आगामी स्टेशन और वहां ट्रेन के ठहराव के समय आदि की सूचनाएं देते रहे। ट्रेन मेट्रो की तर्ज पर दरवाजे बंद होने के बाद ही चलती है।