नेटफ्लिक्स एवं अमेजन प्राइम जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग खारिज

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नई दिल्ली (हि.स.)। नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो और बाकी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने वाली याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए न तो लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और न ही वे कंटेंट को रेगुलेट करते हैं। विधि और न्याय मंत्रालय ने बताया कि यह मसला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है। सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग ने कहा कि इंटरनेट पर कंटेंट को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत रेगुलेट किया जा सकता है। हालांकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसके तहत नहीं आता है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट का निर्धारण आईटी एक्ट की धारा 66ई, धारा 67 और धारा 67बी का पालन करते हुए करना चाहिए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एच.एस. होरा ने कहा था कि सरकार ने यह स्वीकार किया है कि ऑनलाइन कंटेंट के रेगुलेशन के लिए कोई गाइडलाइनै। उन्होंने कहा था कि ये जानकारी उन्हें आरटीआई के जरिए मिली थी।याचिका एक एनजीओ जस्टिस फॉर राइट्स ने दायर की थी। याचिका में प्लेटफार्म को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया था कि नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कंटेंट धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले होते हैं। याचिका में कहा गया था कि रेगुलेशन में कमी की वजह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कंटेंट कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं। इनके कंटेंट भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन करने के साथ महिलाओं की वल्गर छवि भी पेश करते हैं।

उल्लेखनीय है कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होने वाले सैकरेड गेम्स के खिलाफ भी एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी। हालांकि जब याचिका दायर की गई थी उस समय इसके आठ सीरिज प्रसारित हो चुके थे। कोर्ट ने कहा था कि सीरिज में अभिनेता और अभिनेत्रियों के संवाद के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहाराया जा सकता है।


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