नीतीश व मांझी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गयी लोकसभा सीट

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गया, 08 अप्रैल (हि.स)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के लिए गया लोकसभा सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है। मुख्यमंत्री कुमार लगभग प्रत्येक दिन गया संसदीय चुनाव क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए आ रहे हैं। हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के साथ राजद नेता पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी तेजस्वी यादव ने भी मोर्चा संभाल रखा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए गया लोकसभा सीट क्या मायने रखती है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘थ्री सी’ अपराध-अपराधी, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के साथ कोई समझौता नहीं यानी जीरो टॉलरेंस का दावा रहा है। लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सह सांसद गया शहर में वार्ड पार्षद अबरार अहमद उर्फ भोला मियां के यहां पहुंच गए।भोला अंडरवर्ल्ड की दुनिया में किसी पहचान का मोहताज नहीं है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने बेलागंज में 5 अप्रैल की चुनावी सभा में युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विधायक अभय कुशवाहा के खिलाफ बिंदेश्वरी यादव उर्फ बिंदी यादव ने अपशब्दों की बौछार कर दी। नीतीश कुमार ने विधायक अभय कुशवाहा को इशारा कर किनारे हटाया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिंदी यादव के साथ दूसरे दिन 6 अप्रैल को बाराचट्टी में आयोजित चुनावी सभा में शिरकत की। उल्लेखनीय है कि बिंदी यादव बहुचर्चित रोडरेज में मारे गए आदित्य सचदेवा हत्याकांड में जेल जा चुका है। नक्सलियों को प्रतिबंधित गोली आपूर्ति करने के कारण देशद्रोह के आरोप में काफी समय तक वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद रहा है।
लेकिन गया लोकसभा सीट अंतर्गत बाराचट्टी और मोहनपुर थाना क्षेत्र में बिंदी यादव वोट ट्रांसफर कराने की झमता रखता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए राजद के आधार वोटबैंक में बिंदी यादव की मजबूत पकड़ ने अपने ही थ्री सी के साथ जीरो टॉलरेंस की नीति अभी बेमानी होकर रह गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी सभा गया में हुई जबकि गया से भाजपा प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की सभा पास के जिला औरंगाबाद में हुई होती तो औरंगाबाद के साथ- साथ काराकाट एवं झारखंड के पलामू और चतरा लोकसभा सीट पर भाजपा के ही प्रत्याशी जो एनडीए के उम्मीदवार हैं उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी सभा से ज्यादा फायदा होता।
दूसरी ओर जीतनराम मांझी अपने नौ महीने के मुख्यमंत्री कार्यकाल में गया के लिए किए गए कार्यों और लिए गए निर्णय के आधार पर वोट देने की अपील कर रहे हैं। मांझी के समर्थक नीतीश कुमार को गया विरोधी होने का दावा कर रहे हैं।वे नागरिकों के बीच जाकर दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का मुद्दा उठा रहे हैं।जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया के स्थान पर मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने के लिए बिहार विधान मंडल से प्रस्ताव पारित करा दिया था।गया से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल नीतीश कुमार से मिलने गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रतिनिधिमंडल की जो बात हुई थी।उसे महागठबंधन प्रत्याशी जीतनराम मांझी के समर्थक जोर-जोर से मतदाताओं के बीच रख रहे हैं। परैया में लंबित पुल परियोजना को पूरा कराने के साथ- साथ आईआईएम बोधगया के लिए भूमि आवंटित करने की बात कही जा रही है। गया में लाइफलाइन फल्गु नदी पर बियर बांध बनाने का निर्णय लिया गया था जो जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद अधर में लटक गया।
गया लोकसभा चुनाव परिणाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के राजनैतिक कैरियर पर व्यापक असर तय है।


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