नियामक नहीं, अब आर्थिक चिंतक के रूप में खड़ा होना चाहता है आरबीआई
नई दिल्ली, 5 जनवरी(हि.स.)। रिजर्व बैंक (आरबीआई) से उर्जित पटेल की विदाई और शक्तिकांत दास के आगमन के बाद नियामक की भूमिका निभाने वाला आरबीआई अब अपने को आर्थिक चिंतक के रूप में खड़ा करना चाहता है।
आरबीआई सूत्र से मिल रही जानकारी के मुताबिक बैंकर्स, छोटे व बड़े उद्यमी और गैर बैंकिंग फायनेंस कंपनियों के प्रतिनिधि आरबीआई गवर्नर से जल्द ही मिलने वाले हैं। इस दौरान वे उन प्रतिबंधों से छूट की मांग करेंगे जिन्हें पटेल के काल में लागू किए गए थे। गैर बैंकिंग फायनेंसिंग कंपनियों के तरलता की परेशानी व उद्योगों के लिए साख की अनुपलब्धता को देखते हुए दास ने उद्यमी संगठनों, सूक्ष्म वित्तीय कंपनियों, गैर बैंकिंग फायनेंस कंपनियों व चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों को बुलाया है। इस दौरान वह यह जानने का प्रयास करेंगे कि इन वित्तीय संस्थानों के काम करने में क्या कठिनाई आ रही है। उल्लेखनीय है कि दास ने प्रभार ग्रहण करते ही निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यकारी अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस दौरान इन कार्यकारी अधिकारियों ने आरबीआई की ओर से पिछले 12 फरवरी को जारी सर्कुलर, प्राम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) व गैर बैंकिंग कंपनियों के लिए साख की उपलब्धता की चर्चा दास से की थी।
आरबीआई के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि पूर्व गर्वनर पटेल ने आईएलएफएस (इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फायनेंस सर्विसेज) की घटना के बाद इसके प्रतिनिधि से मिलने से साफ मना कर दिया था| मौजूदा गवर्नर ने खुद उन्हें आमंत्रण देकर बुलाया है। स्पष्ट है कि दास के नेतृत्व में आरबीआई आर्थिक चिंतक रूप में के रूप में दिखना चाहता है।
यहां आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य द्वारा दिए गए भाषण की चर्चा करना जरूरी है। आचार्य ने कहा था कि नियामक की स्वायत्तता के साथ खेलना विनाशकारी होगा। दूसरी तरफ गवर्नर पटेल न तो सरकार की सुनने को तैयार थे न ही उद्यमियों की। बैंकरों व उद्यमियों को लगने लगा था कि आरबीआई कहीं खलनायक की भूमिका में तो नहीं खड़ा है। इसके बाद चर्चा होने लगी कि उर्जित पटेल की विदाई हो सकती है। फिर पिछले माह पटेल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर अपना इस्तीफा सौंप दिया।
यहां बता दें कि बैंकों के कार्यकारी अधिकारियों ने भी दास से मिलने पर आरबीआई की ओर से फरवरी में लागू पीसीए को लेकर छूट की ही चर्चा की थी। उल्लेखनीय है कि पीसीए के कर्ज चुकता करने की समय सीमा के एक दिन बाद ही बैंकों की ओर से कर्जदार को डिफॉल्टर घोषित करने की घोषणा करने का प्रावधान है। इतना ही नहीं इसके तहत कर्ज समाधान की संभावनाओं को नकार दिया गया है। यहां जिक्र योग्य है कि उक्त सर्कुलर को पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद लागू किया गया था। हालांकि आरबीआई की पिछली बोर्ड बैठक के दौरान छूट के मामले पर विचार करने के लिए आरबीआई के वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड को जिम्मेदारी दी गई थी।
इस बाबत जब आरबीआई के प्रवक्ता जोश कटूर से बात की गई तो उन्होंने उक्त जानकारी से इनकार नहीं किया।