नशे पर सरकार की रिपोर्ट, 16 करोड़ हैं शराब के आदी
नई दिल्ली (हि.स.)। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में शराब पीने वालों की संख्या 16 करोड़ है। यह आंकड़ा 10 से 75 साल की उम्र वाले लोगों का है। देश के तीन राज्यों (बिहार, गुजरात और नागालैंड) और एक केन्द्रशासित प्रदेश (लक्षदीप) में शराब पर प्रतिबंध है वहीं सबसे ज्यादा शराब का सेवन छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा के लोग करते हैं। शराब संबंधित बीमारियों से पीड़ित होने वाले राज्य (10 प्रतिशत से अधिक) त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश हैं।
समाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय ने सोमवार को ‘भारत में अत्याधिक उपयोग होने वाले मादक पदार्थ’ विषय पर राष्ट्रीय सर्वक्षण रिपोर्ट जारी की। राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर शराब का उपयोग करने वाले 14.6% प्रतिशत लोग हैं, यानि 16 करोड़ लोग। रिपोर्ट के मुताबिक शराब का इस्तेमाल महिलाओं की तुलना में पुरुषों में 17 गुना ज्यादा हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शराब का सेवन करने वाले लोगों में, देशी शराब लगभग 30% और भारतीय निर्मित विदेशी शराब भी लगभग 30% मुख्य रूप से पेय पदार्थ हैं।
5.7 करोड़ से अधिक लोगों को शराब से संबंधित समस्याएं
रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 5.2% भारतीय (5.7 करोड़ से अधिक लोग) हानिकारक शराब के उपयोग से या उसके उपर निर्भर होने से प्रभावित है। दूसरे शब्दों में, भारत में हर तीसरे शराब उपयोगकर्ता को शराब से संबंधित समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता होती है।
कैनबिस (भांग/चरस/गांजा)
लगभग 2.8 प्रतिशत यानि 3.1 करोड़ लोगों ने पिछले 12 महीनों में (भांग का 2% यानि 2.2 करोड़ लोग, गांजा / चरस 1.2% यानि 1.3 करोड़ लोग) ने किसी भी भांग उत्पाद का इस्तेमाल किया है।
72 लाख लोगों को भांग से संबंधित समस्याएं
राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 0.66% भारतीय (या लगभग 72 लाख व्यक्ति) को अपनी भांग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भांग का सबसे ज्यादा उपयोग उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में किया जाता हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर, सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ओपियोड हेरोइन है जिसका वर्तमान 1.14 प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। इसके बाद फार्मास्युटिकल ओपिओइड वर्तमान उपयोग 0.96 प्रतिशत और केवल ओपियम का वर्तमान उपयोग 0.52 प्रतिशत है।
ओपिओइड के वर्तमान में इस्तेमाल कुल 2.06प्रतिशत है जिसमें लगभग 0.55 प्रतिशत भारतीयों को इसके उपयोग से संबंधित समस्याएं (हानिकारक उपयोग और निर्भरता) के लिए मदद की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओपियम और फार्मास्युटिकल ओपिओइड की तुलना में अधिक लोग हेरोइन का इस्तेमाल करते हैं।
इसके अलावा देश में कुल अनुमानित 60 लाख लोगों को ओपिओइड इस्तेमाल करने से होने वाली बीमारी है। जिनमें आधे से ज्यादा का योगदान उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात राज्य का हैं ।
वहीं प्रभावित जनसंख्या प्रतिशत के मामले में, देश के शीर्ष राज्य पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के साथ उत्तर पूर्व (मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर) हैं।
सेडेटिव और इनहेलेंट
(नींद, दर्द बुखार आदि की दवाएं बिना किसी डॉक्टर की सलाह पर लिया जाना)
वर्तमान में 10 से 75 साल के बीच 1.08% प्रतिशतलोग बिना कीसी चिकित्सीय सलाह और पर्चे के दवाएं ले रहे हैं। इसमें सबसे उपर सिक्कि, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम हैं। हालांकि इसमें सबसे ज्यादा सेडेटिव का इस्तेमाल करने वाली आबादी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश और गुजरात में है।
इनहेलेंट ऐसा पदार्थ जिसका वर्तमान में बच्चों और किशोरों के बीच वर्तमान में व्यस्कों से ज्यादा है। वयस्कों में (0.58प्रतिशत) जबकि किशोरों और बच्चों में (1.17 प्रतिशत) है।
राष्ट्रीय स्तर पर, अनुमानित 4.6 लाख बच्चों और 18 लाख वयस्कों को इनहेलेंट उपयोग (हानिकारक उपयोग / निर्भरता) के लिए मदद की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त दिए गए आंकड़ो में इनहेलेंट के सही उपयोग में मदद करने की आवश्यकता सबसे ज्यादा वाले राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा के बच्चों को है।
भारत में वर्तमान में कोकीन (0.10 प्रतिशत) एम्फ़ैटेमिन टाइप स्टिमुलेंट्स (0.1 प्रतिशत) और हॉलुकिनोजेन्स (0.12 प्रतिशत) सबसे कम उपयोग किया जाने वाला मादक पदार्थ है।
राष्ट्रीय स्तर पर, यह अनुमान है कि लगभग 8.5 लाख लोग हैं जो ड्रग्स (पीडब्ल्यूआईडी) इंजेक्ट करते हैं जिसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर और नागालैंड में इस्तेमाल किए जाने वालों की संख्या ज्यादा है। जिसमें ओपिओइड समूह के मादक पदार्थों को पीडब्ल्युआईडी के माध्यम से लिया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह सबसे जोखिम भऱा माध्यम है मादक पदार्थ लेने का।