नवी मुंबई-मुंबई को समुद्री मार्ग से जोड़ने वाला हॉवर क्राफ्ट के फिर से शुरू होने का इंतजार
मुंबई, 03 जनवरी (हि.स.)| कभी हॉवर क्रॉफ्ट के दमक से आबाद गुलजार रहने वाले नवी मुंबई की खाड़ी तट अब बेजान निर्जन उजाड़ खंड बना है और अपनी ब्यथा पर विलख रहा है। जानकार लोग इसे सिडको की वादा खिलाफी बता रहे हैं । अभिजात्य ब्यवसाई वर्ग के लिए तो यह किसी धोखे से कम नहीं है | कहा जा रहा है कि सिडको ने मकानों की मंडी सजाने के लिए इसे हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किया था, जिसके लपेटे में छोटे-बड़े अमीर-गरीब सभी लोग आए। खाड़ी पार के इस भूखण्ड को 21वीं शदी के शहर का दर्जा दिलाने के लिए जल-सड़क और रेल तीनों मार्गों से आवागमन की सुविधा देने का वचन था। बड़े ब्यवसाइयों के लिए अपनी जेब से 100 डेढ़ सौ रुपए ढीली करना कोई बड़ी बात नहीं थी | हॉवर क्रॉफ्ट के जरिए लोग वाशी से 20 से 25 मिनट में दक्षिण मुंबई पहुंच जाते थे और फिर शाम को इतने ही समय मे वापसी होती थी, ना कोई थकान न प्रदूषण, नौका विहार का सुख भी अलग से मिलता था। लेकिन जलमार्ग की यह यात्रा अधिक दिनों तक न चल सकी, किसी को कुछ खबर भी नहीं कि इतने शोर-शराबे से चालू यह लोक लुभावन सेवा बंद क्यों हुई ? चर्चाओं का बाजार काफी दिनों तक गर्म रहा, अब तो इसे एक तरह से लोग भूलने लगे हैं लेकिन आज भी गाहे-बगाहे बात छिड़ ही जाती है ।
बीते दिनों की याद कर जयंती भाई लोढ़ा बहुत कुपित दिखे और उन्होंने जो कुछ बताया चौंकाने वाला तो था ही, इशारा निर्माणाधीन एयरपोर्ट की तरफ गया कि कहीं उस क्षेत्र के भूखंडो के दाम को सिडको आसमान पर रखकर कहीं वही हाल उसकी भी तो नही करने वाली है, जो उसने हॉवर क्रॉफ्ट सेवा का किया था।
विदित हो कि सिडको ने श्री कृष्णा स्टीप्स (एस.के.एस.) नामक कंपनी के साथ मिलकर वर्ष 1994 में जलमार्ग की सेवा वाशी के सागर विहार, बेलापुर के सरोवर विहार तथा न्हावा शेवा में शिशु विहार से शुरू किया गया था। तब 125 रुपए में वाशी से गेटवे ऑफ इंडिया तक सफर तय किया जाता था, पहली बार वाशी में हॉवर क्रॉफ्ट शुरू होने की खबर फैलते ही विरान सूनसान वाशी के सागर विहार परिसर में चहल-पहल शुरू हो गई, भले ही उस हॉवर क्रॉफ्ट में सफर करने की क्षमता न थी फिर भी मध्यम वर्गीय लोगों की भीड़ पानी वाले जहाज को देखने के लिए जुटने लगी, धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार बढ़ने लगा फिर क्या हॉवर क्रॉफ्ट से समुद्र की सफर करने के कुछ शौकीन लोग तो कुछ उद्योगपति छुट्टियों के दिन अपने परिवार के साथ सफर की शुरुआत की | उसके बाद तो जिनका दक्षिण मुंबई, जैसे चर्चगेट, नरीमन प्वाइंट एवं सीएसटी में नौकरी या कार्यालय था, उनके लिए हॉवर क्रॉफ्ट से सफर करना बेहतर दिखा, और फिर नियमित ऐसे लोग सुबह और शाम समुद्री जलमार्ग से अपने कार्यालय के लिए आवागमन शुरू कर दिया। कुछ ही माह के बाद 125 रुपए से बढ़ाकर 150 रुपए किराया कर दिया गया। मुंबई जाने वालों की भीड़ यहां बढ़ने लगी, लेकिन तब हॉवर क्रॉफ्ट से जाने के लिए लोगों को एक या दो दिन पहले ही टिकट बुकिंग करना पड़ता था। हॉवर क्रॉफ्ट शुरू करने वाली सुपर क्रॉफ्ट कंपनी की तरफ से नियमित सफर करने वालों के लिए गेटवे ऑफ इंडिया से नरीमन प्वाइंट व चर्चगेट जाने वालों के लिए बस की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। कहने का तात्पर्य यह है कि वाशी सागर विहार से चलने वाला हॉवर क्रॉफ्ट हाऊस फुल चलने लगा था, इसलिए लोगों को एडवांस बुकिंग करना पड़ता था। बेलापुर सरोवर विहार से 55 शीटर के हॉवर क्रॉफ्ट को न्हावा शेवा और वाशी की तरफ से होकर चलाया जाता था, इस तरह से कुल 5 हॉवर क्रॉफ्ट नवी मुंबई के सागर विहार, सरोवर विहार व शिशु विहार से शुरू किया गया। मॉर्निंग ग्लोरी, मेरी गोल्ड, जास्मिन, ट्विलिप एवं डॉल्फिन नामक पांच हॉवर क्रॉफ्ट सुपर क्रॉफ्ट कंपनी के मालिक अरविंद श्रॉफ ने सिडको के साथ समझौता करके शुरू किया था। इसमें से 4 हॉवर क्रॉफ्ट इंग्लैंड से खरीदकर लाया गया था जबकि एक पुराने हॉवर क्रॉफ्ट से ही काम चलाया जा रहा था। शनिवार व रविवार को छुट्टी होने के कारण ‘ज्वॉय राईट्स’ शुरू किया गया था, जिसमें सामान्य लोग भी 50 रुपये में 15 मिनट तक हॉवर क्रॉफ्ट से समुद्री सफर करके लुफ्त उठाते थे। इस तरह से देखा जाए तो हॉवर क्रॉफ्ट की अपनी मार्केट खूब चल पड़ी थी, वाशी का सबसे प्रसिद्ध और सौंदर्यता के मामले में सागर विहार का नाम हो गया जहां बड़े भवन निर्माता, बिजनेस मैन, एवं कुछ राजनेताओं ने उस परिसर में अपना आलीशान आशियाना खड़ा कर लिया है। विशाल गार्डेन, समुद्री तट पर बने होटल में आने जाने वाले लोग समुद्र की लहरों से उठने वाली ठंडी हवाओं का भरपूर लुफ्त उठाते थे, लेकिन आज वही सागर विहार फिर से अपनी विरान-बेजान जैसी स्थिति पर आंसू बहा रहा है। वर्तमान में सागर विहार प्रेमी युगलों का अड्डा बन चुका है ।
वाशी का सागर विहार इतना प्रसिद्ध हो गया था कि यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई थी, अक्षय कुमार की खिलाड़ियों के खिलाड़ी फ़िल्म की शूटिंग भी इसी हॉवर क्रॉफ्ट में की गई थी । हॉवर क्रॉफ्ट में बतौर असिस्टेंट टेक्नीशियन का काम करने वाले अर्जुन राय ने बताया कि हॉवर क्रॉप्ट की सर्विस में ना तो कोई कमी थी ना ही यात्रियों की कमी थी, फिर भी किस कारण से बंद किया गया यह बात समझ से परे है। भारत में सबसे पहले गुजरात के महेंद्र भाई ने 1990 में हॉवर क्रॉफ्ट भावनगर से गोवा तक शुरू किया था। उसके बाद नवी मुंबई से शुरू करने के लिए सिडको के एमडी आर.सी.सिन्हा के हांथों 1994 में उद्घाटन किया गया और 2001 में हॉवर क्रॉफ्ट को बंद कर दिया गया। कुछ जानकारों का मानना है कि जब सब कुछ ठीकठाक चल रहा था तो फिर क्या वजह थी कि हॉवर क्रॉफ्ट को बंद करना पड़ा, बंद करने के पीछे का राज क्या है? यह बताने के लिए कोई तैयार नहीं है।