बेगूसराय, 24 मई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुनामी और गिरिराज सिंह के चुनाव प्रबंधन में बेगूसराय के खामोश मतदाताओं ने यहां के इतिहास में जो नई इबारत लिखी उसकी कल्पना एनडीए कार्यकर्ता तो दूर खुद गिरिराज सिंह ने भी नहीं की होगी। किसी को आशा नहीं थी कि देशभर में चर्चित बेगूसराय लोकसभा से गिरिराज सिंह इतने बड़े अंतर से विजयी होंगे कि सभी उम्मीदवारों के मत मिलाने पर भी उनको मिले मतों की बराबरी न हो सकेगी।
बेगूसराय में 19 लाख 58 हजार 382 में से 12 लाख 17 हजार 416 मतदाताओं ने ईवीएम के माध्यम से वोटिंग किया था। जबकि पोस्टल बैलट के माध्यम से 9087 लोगों ने वोटिंग किया था। इसमें पोस्टल बैलट के 909 वोट रद्द होने के बाद कुल बचे 12 लाख 26 हजार 503 में से छह लाख 92 हजार 193 वोट गिरिराज सिंह को मिले।
बात विधानसभा क्षेत्रवार वोटिंग की करें तो चर्चित छात्र नेता और सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार के गृह विधानसभा तेघड़ा, राजद उम्मीदवार तनवीर हसन के गृह विधानसभा साहेबपुर कमाल, वामपंथ के गढ़ बखरी और बछबाड़ा में भी गिरिराज सिंह को जबरदस्त बढ़त मिली। चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही देश-विदेश के लोगों की नजर बेगूसराय पर थी। यहां देशभर के लोग प्रचार करने आए तो विदेश से भी हजारों वोटर को युवा जोश कन्हैया तथा कौम के नाम पर तनवीर हसन को वोट देने के लिए फोन आए। चुनाव प्रचार के समय और चुनाव के बाद यहां के खामोश मतदाता और महिलाओं का करीब नौ प्रतिशत अधिक वोट करना राजनीतिक विश्लेषकों का सभी समीकरण ध्वस्त कर रहा था और हुआ भी।
नरेन्द्र मोदी की चली सुनामी में बेगूसराय में ईवीएम से बहुत बड़ा जिन्न निकाला और उस जिन्न ने प्रखर राष्ट्रवादी गिरिराज सिंह को बिहार का सबसे बड़ा विजेता बना दिया। टिकट बंटवारे के समय तेजस्वी यादव के अड़ियल रवैये के कारण जब कन्हैया कुमार और तनवीर हसन दोनों चुनाव मैदान में उतरे तो लोगों को लग रहा था कि हिन्दू वोट विभाजन में तनवीर हसन निकल सकते हैं। 2018 से ही कन्हैया कुमार द्वारा की जा रही चुनावी कैंपिंग, उनके पक्ष में बाहरी लोगों द्वारा किए जा रहे प्रचार-प्रसार तथा कन्हैया के साथ रहने वाले युवाओं के जोश से लग रहा था कि या तो बेगूसराय का चुनाव परिणाम 2009 की तरह अप्रत्याशित होगा या फिर कभी मिनी मास्को रहे बेगूसराय में लाल झंडा फिर से लहराएगा। लेकिन गिरिराज सिंह और एनडीए के घटक दलों के प्रमुख नेताओं के प्रबंधन तथा घर-घर सरकार की बातों को पहुंचाने के कारण सभी समीकरण ध्वस्त हो गए।
बेगूसराय में एनडीए के बढ़ते वोट प्रतिशत की बात करें तो 2009 के चुनाव में विजेता रहे जदयू के डॉ मोनाजिर हसन को 28.64 तथा 2014 में विजेता रहे भाजपा के डॉ भोला सिंह को 39.72 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि इस बार बेगूसराय के 56.48 प्रतिशत मतदाताओं ने एनडीए के प्रति अपना विश्वास जताया।
गुरुवार देर रात प्रमाण पत्र लेने के बाद नेतृत्व के बुलावे पर गिरिराज सिंह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि ऊपर महादेव तथा नीचे नरेन्द्र मोदी और बेगूसराय के जनता की यह जीत हुई है। पूरे देश में एक ही उम्मीदवार था नरेन्द्र मोदी और मैं भी यहां उन्हीं के प्रतिनिधि के रूप में था। विपक्ष में भी कोई उम्मीदवार नहीं था। हम नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते थे, उनके द्वारा किए गए कामों की तारीफ करते थे। लेकिन विपक्ष नरेन्द्र मोदी को गाली देता था। जनता ने नरेन्द्र मोदी को गाली देने वालों को नकार कर हिसाब कर दिया। नरेन्द्र मोदी की सुनामी में बिहार के 40 में से 39 सीट हम जीते और दो तिहाई सीटों पर जीत का अंतर एक लाख से ऊपर रहा।
गिरिराज सिंह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने इस सुनामी में जातिवाद की राजनीति, वंशवाद की राजनीति, क्षेत्रवाद की राजनीति और छद्म धर्मनिरपेक्षता की बात करने वालों की छुट्टी कर दी। नरेन्द्र मोदी सबका साथ सबका विकास का नारा देकर दिन-रात केवल विकास करते हैं। नरेन्द्र मोदी के सपनों का विकास और जनता की अपेक्षा को हम पुल बनकर पूरा करते रहेंगे। बेगूसराय हमारी थी, हमारी है और हमारी रहेगी।