नई कृत्रिम बौद्धिकता आधारित तकनीकों को नियोजित किया जाना जरूरी : प्रो. धर्मेन्द्र
‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड मशीन लर्निंग’ पर एफडीपी का समापन
हिसार, 15 फरवरी (हि.स.)। यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के सौजन्य से ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड मशीन लर्निंग’ विषय पर एक सप्ताह तक चला एआईसीटीई द्वारा प्रायोजित ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम मंगलवार को सम्पन्न हुआ। पीडीयूआईआईसी के निदेशक प्रो. धर्मेन्द्र कुमार समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। डीन एफईटी प्रो. सरोज समारोह की विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रही। इस अवसर पर विश्वविद्यालय एफडीपी समन्वयक प्रो. संदीप के. आर्य व कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के अध्यक्ष प्रो. धर्मेन्द्र कुमार उपस्थित थे।
पीडीयूआईआईसी के निदेशक प्रो. धर्मेन्द्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि समाज की बेहतरी और उनके दीर्घकालिक विकास के लिए नई कृत्रिम बौद्धिकता आधारित तकनीकों को नियोजित किया जाना चाहिए। एफईटी की डीन प्रो. सरोज ने कहा कि हमें एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए कृत्रिम बौद्धिकता-आधारित आविष्कार के सकारात्मक पहलुओं का लाभ उठाना चाहिए। कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष एवं एफडीपी के संयोजक प्रो. धर्मेन्द्र कुमार ने मानव बुद्धि के महत्व को एक सुंदर उदाहरण के साथ समझाया। उन्होंने कहा कि एआई एल्गोरिदम इंसानों की तुलना में अलग तरह से सीखते हैं, क्योंकि वे चीजों को अलग तरह से देखते हैं। इस विश्वास को दोहराते हुए कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के पास सबसे महत्वपूर्ण संसाधन उसके संकाय सदस्य होते हैं, जो विद्यार्थियों को ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं। इस एफडीपी का उद्देश्य संकाय सदस्यों और शोधार्थियों का व्यावसायिक विकास करना है। यह एक इस आभासी कार्यक्रम में प्रतिभागियों को एआई, मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग में नवीनतम उपकरणों और तकनीकों के बारे में ज्ञान दिया गया।
इस प्रकार के आयोजनों को नियमित रूप से करने की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि प्रतिष्ठित और प्रमुख संस्थानों और उद्योगों के प्रख्यात वक्ताओं ने अपने ज्ञान को सांझा किया और प्रतिभागियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में चुनौतियों और आवश्यकताओं से अवगत कराया। प्रतिभागियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराने के लिए थ्योरी और हैंड्स-ऑन प्रैक्टिकल सत्रों में विभाजित 18 सत्रों का आयोजन किया गया।