देश में शांति व उन्नति को नष्ट करने वालों को भारतीय सैनिक देंगे मुंहतोड़ जवाब : मोदी
नई दिल्ली, 30 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ जवाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति व उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 48वें संस्करण में भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की सराहना करते हुए कहा कि हमारे जवान देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर मुस्तैदी से डटे रहते हैं और उनके साहस पराक्रम और वीरता की गाथा से भावी पीढ़ीयों को प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ को देशभर में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया। पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को हमारी सशस्त्र सेना की गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है। प्रत्येक भारतीय चाहे वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म, पंथ या भाषा का क्यों न हो; हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी अभिव्यक्त करने और समर्थन दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए कहा कि कल भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए पराक्रम पर्व मनाया, जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में छद्म युद्ध की धृष्टता करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब दिया था और सीमा पार जाकर आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों को ध्वस्त कर दिया।
वर्ष 2016 में 28-29 सितम्बर की मध्यरात्रि में भारतीय सेना के जवानों ने सीमापार कर आतंकियों के शिविर ध्वस्त कर दिए थे। सेना की इस वीरता और साहस का परिचय देने वाली इस घटना को दो वर्ष हो गए हैं। रक्षा मंत्रालय और सरकार इसे पराक्रम दिवस के रूप में मना रहे हैं। इंडिया गेट पर सेना द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच कर सैनिकों की वीरता को सम्मान दे रहे हैं।
उन्होंने कि दूसरे देशों के मुकाबले संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) की शांति सेना में भी सबसे अधिक सेना भेजने वाले देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शांति कायम करने के लिए भारतीय सेना अपना श्रेष्ठ योगदान देती है।
उन्होंने कहा कि दो विश्व युद्धों में हमारे एक लाख से अधिक सैनिकों ने शांति के प्रति अपना सर्वोच्च बलिदान दिया जबकि उन युद्धों से हमारा कोई वास्ता भी नहीं था।
हाइफा में लड़े बहादुर भारतीय सैनिकों का स्मरण करते हुए मोदी ने कहा कि 23 सितम्बर को हमने इजराइल में हाइफा की लड़ाई के सौ वर्ष पूरे होने पर मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स के हमारे वीर सैनिकों को याद किया, जिन्होंने आक्रांताओं से हाइफा को मुक्ति दिलाई थी। यह भी शांति की दिशा में हमारे सैनिकों द्वारा किया गया एक पराक्रम था। उन्होंने कहा कि दशकों से हमारे बहादुर सैनिकों ने नीला हेलमेट पहन विश्व में शांति कायम रखने में अहम भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री ने 8 अक्टूबर को मनाये जाने वाले वायु सेना दिवस के मद्देनजर वायु सेना के गौरवमयी इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि 1932 में मात्र छह पायलट व 19 वायु सैनिकों के साथ शुरू हुई वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे शक्तिशाली वायु सेना बन गई है। उन्होंने लिंग समानता के लिए भी भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा कि वायुसेना ने मिसाल कायम करते हुए अपना हर विभाग महिलाओं के लिए खोल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत गर्व से कह सकता है कि भारतीय सशस्त्र बलों में पुरुष शक्ति ही नहीं, स्त्री-शक्ति का भी बराबर योगदान है।
मोदी ने गत दिनों हिन्द महासागर में फंसे भारतीय नौसेना अधिकारी अभिलाष टॉमी के साहस की सराहना की। उन्होंने कहा कि अभिलाष जब जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे थे तब पूरा देश उन्हें बचाने के लिए चिंतित था। वह अकेले एक छोटी सी नाव लेकर विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने अभिलाष को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बताया।