देश की जरूरत बन गई है सहकारिता : राधामोहन सिंह

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लखनऊ, 19 दिसंबर (हि.स.)। सहकार भारती के सातवें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि सहकारिता अब देश की जरूरत बन गई है। सहकारिता को अपनाकर ही देश आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सहकारिता भारत के लिए नई बात नहीं है। यह यहां के वातावरण और लोगों में अनादिकाल से रचा-बसा है। यह लोगों के स्वभाव में है। गुलामी के हजारों वर्ष पूर्व से ही ग्रामीण परंपरा में सहकारिता है। हालांकि आधुनिक भारत में इसकी शुरुआत गुजरात के बड़ौदा से माना जाती है।

उन्होंने सहकार भारती को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि सहकारिता के कार्य को पूरे देश मे फैलाने की जिम्मेदारी सहकार भारती की ही है। इसे अब आंदोलन का रूप दिया जाना नितांत जरूरी है और देशहित में भी है।

राधामोहन सिंह ने कहा कि वर्ष 1904 में देश में ऑपरेटिव सोसाइटी बनी। आज भारतीय सहकारी विश्व के सबसे बड़े सहकारी आंदोलन के रूप में विद्यमान है। इसकी वजह से आज आठ लाख से अधिक सहकारी समितियां देश में स्थापित हैं। गांव-गांव में पैक्स हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में सहकारी समितियों का काफी योगदान रहा है। इसे और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।

उन्होंने भारतीय सहकारिता के बैंकिग, विवरण, कृषि आदि क्षेत्रों में किये गए कार्यों को गिनाया। गुजरात-महाराष्ट्र में स्थापित सहकारी चीन मिलों और दक्षिण के राज्यों में होने वाले मत्स्य पालन आदि की चर्चा की। एनसीडीसी को तीन साल पहले मिलने वाले धन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में मिलने वाले धन का विवरण भी दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 तक इस मद में महज 15 हजार, 343 करोड़ रुपये मील थे, जबकि मोदी सरकार ने अगले तीन वर्षों में 28 हजार, 277 करोड़ रुपये दिए। मंत्री ने नाबार्ड द्वारा पैक्स समितियों को कम्प्यूटराइज करते हुए उसे आधुनिक बनाने वाले क्रियाकलाप में पारदर्शिता लाने की बात भी कही।


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