त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी कुशीनगर की सीट

0

गोरखपुर, 12 मई (हि.स.)। पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह को हराकर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर सीट पर कब्जा हुई भाजपा अब त्रिकोणीय संघर्ष में फंस गई है।
  गठबंधन उम्मीदवार नथुनी कुशवाहा के चुनाव मैदान में आने से सारे समीकरण बदलने लगे हैं। हालांकि भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार और सांसद राजेश पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय का टिकट काटकर भाजपा ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी और लोगों का आक्रोश थामने की भरपूर कोशिश है। कुशीनगर सीट से चुनावी भाग्य आजमा रहे कांग्रेस के आर.पी.एन. सिंह ने अपने कार्यकाल में काफी कुछ काम किया है। यह उनकी ताकत के रूप में देखा जा रहा है, जबकि इनकी कमजोरी आमजन से दूर रहने की बताई जा रही है। गठबंधन की वजह से भी इन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  भाजपा के विजय दूबे की ताकत सांगठनिक कार्य है। हियुवा में रहते हुए जमीनी स्तर में कार्यकर्ताओं से अच्छा जुड़ाव और हँसमुख स्वभाव है। भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ता में रूप में कार्य करने से जमीनी स्तर पर अच्छी पकड़ है। केंद्र सरकार की योजनाओं से लाभान्वित मतदाताओं के रुझान का लाभ मिल सकता है। किसी एक दल में न टिकना इनकी कमजोरी है। गठबंधन उम्मीदवार की वजह से भी नुकसान हो सकता है। गठबंधन उम्मीदवार नथुनी कुशवाहा को अपने जातिगत मतदाताओं पर भरोसा है। इसे मजबूती मान रहे हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं से आच्छादित मतदाताओं का इनसे मोहभंग हो सकता है। कांग्रेस उम्मीदवार की अच्छी छवि भारी पड़ सकती है।
यह भी जानें
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र वर्ष 2002 में परिसीमन आयोग के सुझाव पर संसदीय सीट कुशीनगर के नाम से अमल में लाया गया। इसके पहले यह पडरौना संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर को संसदीय सीट का दर्जा मिला। पहले चुनाव में कांग्रेस ने खाता खोला। कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) ने 2009 में जीत हासिल की थी। बहुजन समाज पार्टी के स्वामी प्रसाद मौर्य को 21 हजार 094 मतों से हराया था। भाजपा के विजय दूबे तीसरे और सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी चौथे स्थान पर रहे थे। इससे पूर्व आर.पी.एन. सिंह के पिता सी.पी.एन. सिंह (कुंवर चंद्र प्रताप नारायण सिंह) वर्ष 1980 और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर पडरौना से सांसद रह चुके हैं। 1977 के बाद वर्ष 1989 में जनता दल ने यहां से चुनाव के जीत का स्वाद चखा था। लेकिन इसके बाद वर्ष 1991 से 1999 तक लगातार चार बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार रामनगीना मिश्र ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वर्ष 2004 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के बालेश्वर यादव ने जीत हासिल की। उस समय बालेश्वर ने सपा से बगावत कर लोकतांत्रिक पार्टी का दामन थामा था। वर्ष 2014 में भाजपा ने आरपीएन सिंह को हराकर एक बार फिर विजय पताका फहराने में कामयाबी हासिल की।
एक नज़र में कुशीनगर
 – कुशीनगर की आबादी 35.6 लाख (35,64,544)
– पुरुषों की संख्या 51 फीसदी यानी 18.2 लाख
– महिलाओं की संख्या 17.5 लाख यानी 49 फीस
– जातिगत आधार पर सामान्य वर्ग 82 फीसद
– अनुसूचित जाति 15 फीसद
– अनुसूचित जनजाति 02 फीसद
– 95 फीसदी आबादी ग्रामीण
– धर्म के आधार पर हिन्दू 82.28 फीसद यानी 29 लाख 28 हजार 462
– मुस्लिम आबादी 17.4 फीसद यानी 14 लाख 97 हजार 055
 (2011 जनगणना के मुताबिक)

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *