जांबाज सेना के साथ मजबूत नेतृत्व का महत्व
इसमें कोई संदेह नहीं कि भरतीय सैनिक जांबाज और सर्वश्रेष्ठ हैं, लेकिन मुम्बई हमले के बाद पाकिस्तान को सबक नहीं सिखाया गया, क्योंकि नेतृत्व मजबूत नहीं था। सैनिकों पर तो पूरे देश को गर्व है। विश्व शांति सेना में इसीलिए भारतीय सैनिकों को बहुत महत्व दिया जाता है। लेकिन सैनिक अपनी मर्जी से किसी देश की सीमा के पार जा कर सर्जिकल स्ट्राइक या युद्ध नहीं करते। इसके लिए नेतृत्व का निर्देश आवश्यक होता है। सैन्य कमांडर भी उसी के साथ बैठ कर रणनीति बनाते हैं। ऐसे में सफलता का श्रेय सेना के साथ-साथ नेतृत्व को भी दिया जाता है। लेकिन भारत में विपक्ष के कुछ नेता नरेंद्र मोदी का सकारात्मक राजनीति व राष्ट्रनीति के अनुरूप नाम लेने से घबड़ाते हैं। उन्हें लगता है कि इससे मोदी की लोकप्रियता पहले के मुकाबले ज्यादा हो जाएगी। वैसे भी वह इस समय लोकप्रियता के शिखर पर हैं। विपक्ष का कोई भी नेता उनके आस-पास भी नहीं है। इसलिए नेतृत्व को दरकिनार कर ये नेता अपने संकुचित विचारों का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा नहीं होता कि सेना उठे और दूसरे देश में सर्जिकल स्ट्राइक करके आ जाये। नेतृत्व इसके लिए रणनीति बनाता है, उसी के अनुरूप कूटनीतिक प्रयास करता है। नरेंद्र मोदी ने इन दोनों मोर्चों पर दिन-रात मेहनत से कार्य किया। इसी का परिणाम था कि पाकिस्तान को कहीं से भी समर्थन नहीं मिला। अमेरिका ने फटकारा। श्रीलंका ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, यहां तक कि चीन ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर रोक लगाने को कहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव किया है।
यदि ऐसा हुआ तो उसे मिलने वाले धन पर रोक लगेगी। पाकिस्तान को हथियार देने पर अंकुश लगेगा। अमेरिका वैसे भी एफ-16 के पाकिस्तान द्वारा प्रयोग से नाराज है। क्योंकि ये विमान अमेरिका ने उसे आतंकवाद पर निगरानी के लिए दिए थे। यह भारतीय नेतृत्व की मजबूती के प्रमाण हैं कि उसने इमरान के वार्ता के प्रयासों को दो बार इनकार कर दिया। मोदी ने कहा कि वार्ता का समय निकल गया है, अब आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई होगी। यह नेतृत्व की मजबूती के प्रमाण हैं कि भारतीय सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने एक साथ पाकिस्तान को चेतावनी दी। कहा कि भारतीय सेना पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तैयार है। नेतृत्व का आदेश मिलते ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी। रूस के राष्ट्रपति ने मोदी को फोन करके समर्थन का वादा किया
मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया, तो विपक्ष परेशान हो गया और विंग कमांडर अभिनन्दन के लिए अपने को गंभीर और मोदी को लापरवाह जैसा प्रदर्शित करने लगा। जबकि नरेंद्र मोदी उनकी रिहाई के बंदोबस्त करने के बाद ही भाजपा कार्यकर्ताओं से मुखतिब थे। उनके प्रयास दो स्तर पर थे। एक तो उन्होंने पाकिस्तान को सीधे चेतावनी दी कि अभिनन्दन को कोई नुकसान पहुचाया गया तो पाकिस्तान को गंभीर प्रयास करने होंगे। दूसरा यह कि कूटनीतिक प्रयास किये गए। वियना संधि को उठाया गया। इसमें युद्धबंदी को सुरक्षित छोड़ने का निर्देश है। पाकिस्तान चाहता था कि अभिनन्दन को अपनी जेल में रखकर भारत पर दबाब बनाया जाए। इसलिए उसने कहा कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक युद्ध नहीं है। लेकिन मोदी की चेतावनी और कूटनीति ने असर दिखाया। मोदी सभी कार्यक्रम त्याग कर बैठेते तो पाकिस्तान को गलत सन्देश जाता। उसे लगता कि भारत उसे अत्यधिक महत्व दे रहा है। मोदी के सभी कार्यक्रम सुनियोजित रणनीति के तहत हो रहे थे। मोदी के भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करने की आलोचना की गई। लेकिन मोदी ने तो इसमें राष्ट्रीय हित को ही महत्व दिया। अभिनन्दन पर पाकिस्तान को चेतावनी व कूटनीतिक प्रयासों के बीच उन्होंने यह संबोधन दिया। एक बार वह फिर पाकिस्तान को भारत का आत्मविश्वास दिखाना चाहते थे। वह बताना चाहते थे कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हम अपनी गति और प्रगति नहीं रोकेंगे। हमारा देश और प्रजातंत्र सहजता से आगे बढ़ता जाएगा। मेरा बूथ, सबसे मजबूत कार्यक्रम का विचार यह था कि भाजपा कार्यकर्ता समाज के सभी वर्गों तक पहुंच बनाएं, तभी उनका बूथ सबसे मजबूत होगा। भारत के मन की बात के अंतर्गत प्रत्येक देशवासी अपने मन की बात सीधे मोदी तक पहुंचा सकता है। गौर कीजिए इस वाक्य में मोदी ने सभी देशवासी शब्द का प्रयोग किया। मतलब भाजपा के इस कार्यक्रम में भी वह राष्ट्र का सन्देश दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि आप सुनिश्चित करें कि आप के बूथ के ज्यादा से ज्यादा लोग अपने सुझाव दें। इससे हमारा लोकसभा चुनाव का संकल्प पत्र सही मायने में जनता का संकल्प पत्र बन जाएगा। इसी क्रम में मोदी ने कार्यकर्ताओं से राष्ट्र निर्माण के काम में मेहनत और तेजी लाने का आह्वान किया। इस समय देश की भावनाएं एक अलग स्तर पर हैं। मतलब मोदी देश की वर्तमान परिस्थियों को ही महत्व दे रहे थे। देश का वीर जवान सीमा पर और सीमा के पार भी अपना पराक्रम दिखा रहा है। पूरा देश एक है और हमारे जवानों के साथ खड़ा है। दुनिया हमारी इच्छा शक्ति को देख रही है। देश का अभूतपूर्व विश्वास ही हमारी पूंजी है। पहले से मजबूत भारत हमें दिखाई दे रहा है। इसके लिए कोटि-कोटि जनों के संवाद और भागीदारी की जरूरत है। परीक्षार्थी पढ़ने में कितना भी मेधावी क्यों न हो, उसे परीक्षा के आखिरी दिनों में ताकत झोंकनी ही पड़ती है। हमारे बूथ कार्यकर्ता हमारे नायक हैं। अगर वो प्रयास करेंगे तो नए राष्ट्र के निर्माण के काम में हम सब कामयाब हो जाएंगे। हमारी पार्टी को असली बल, कार्यकर्ताओं से मिलता है। यहां कार्यकर्ता फैसले लेता है और इसीलिए मेरे जैसा एक कार्यकर्ता प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा कर सकता है। यहां इससे फर्क नहीं पड़ता है कि एक परिवार क्या चाहता है या एक शख्स क्या चाहता है। लोकतंत्र भाजपा के डीएनए में बसा है। हमारी पार्टी के प्रधानमंत्री साधारण परिवारों से हुए हैं। स्पष्ट है कि मोदी का मुख्य जोर देश की वर्तमान परिस्थितियों पर ही था। उन्होंने सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग पर बल दिया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने के लिए छोटी-छोटी पार्टियों के साथ अपनी गुंजाइश ढूंढ रही है। जो लोग आंखें मिलाकर बात नहीं करते थे आज कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। याद किजिए, सपा ने मायावती जी के साथ क्या किया था। वामपंथ ने ममता बनर्जी के साथ क्या किया था, शरद पवार कांग्रेस से क्यों अलग हुए थे। देवगौड़ा जी को कांग्रेस ने कैसे अपमानित किया था।
जाहिर है कि मोदी ने अपने सभी दायित्वों का बखूबी निर्वाह किया है। कैसी बिडंबना है कि भारत के कई नेता अभिनन्दन को छोड़ने के लिए इमरान खान की तारीफ तो कर रहे हैं, लेकिन क्या मजाल कि वह अपने प्रधानमंत्री की कूटनीति को भी इसका श्रेय दें। यह वियना संधि का नहीं मोदी की कूटनीति का कमाल है। पाकिस्तान चाहता था कि अभिनन्दन को अपनी जेल में रोककर वह भारत पर दबाब बनाएगा। इसीलिए पाकिस्तान ने कहा था कि भारत की ओर से हुई सर्जिकल स्ट्राइक युद्ध नहीं थी। इसलिए वियना संधि अभिनन्दन मसले पर लागू नहीं होती। पाकिस्तान वैश्विक संधियों का कितना पालन करता है यह भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में देखा जा सकता है। उन्हें ईरान सीमा से गिरफ्तार किया गया और आरोप लगाया गया कि वह पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे। उन्हें नियमानुसार कानूनी सहायता नहीं दी गई। उनका मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में है। जहां भारतीय वकील के तर्क विश्वस्तर पर चर्चा में हैं। भारत उन्हें छुड़ाने का कानूनी व कूटनीतिक प्रयास कर रहा है। यह भी कहा गया कि मोदी ने पहले ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं की। पहली बात यह कि मोदी सरकार इसके पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक कर चुकी है। यदि कुछ वर्ष पहले का सवाल होगा तो इसका जबाब कांग्रेस को देना होगा। यूपीए के 10 वर्षीय शासनकाल में सामरिक तैयारियों के प्रति कोई गम्भीरता नहीं दिखाई गई। दस वर्ष में एक राफेल विमान भी नहीं आया। नरेंद्र मोदी के प्रयासों से इसका आना तय हुआ। उसे भी राहुल गांधी निरस्त कराने के लिए जमीन आसमान एक किए हुए हैं। यह अच्छा है कि नरेंद्र मोदी नकारात्मक आलोचनाओं पर ध्यान नहीं देते। ऐसे हमले वह गुजरात के मुख्यमंत्री के समय से झेल रहे हैं। वह अपने अंदाज में आगे बढ़ते रहते हैं। वह राष्ट्र और समाज की ही चिन्ता करते हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करने से पहले उन पर निशाने साधे जा रहे थे। लेकिन मोदी ने अपना कार्यक्रम नहीं बदला। इसी दिन शाम से रात तक वह सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे। अभिनन्दन की रिहाई का बंदोबस्त करने के बाद वह अगले दिन कन्याकुमारी भी गए। पुलमावा के बाद वह खुद बहुत तनाव में रहे, लेकिन भारत के आमजन को तनाव से मुक्त रखने का प्रयास किया। यह भी एक कारण था कि मोदी सामान्य रूप से अपने कार्यक्रम करते रहें। उनके आलोचकों को आमजन के मिजाज को भी समझना चाहिए। सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता, फिर अभिनन्दन की रिहाई ने अद्भुत उत्साह का माहौल बना दिया है। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ही विपक्ष को परेशान कर रही है। यह परेशानी उनके बयानों से साफ झलक भी रही है। जांबाज सेना के साथ मजबूत नेतृत्व का होना अनिवार्य होता है। यह ऐतिहासिक तथ्य है।