जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र की नीति

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लोकसभा चुनाव का चौथा चरण पूरा हो चुका है। केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले पांच साल के किये गए कार्य कसौटी पर हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर का आतंकवाद और उस राज्य का विकास भी एक बड़ा विषय है। आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए केन्द्र सरकार ने 22 मार्च को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 की धारा 3.1 के तहत जेकेएलएफ (यासीन गुट) को गैरकानूनी संगठन करार दिया। उसका पिछले एक माह में बड़ा अंतर देश के इस राज्य में देखने को मिला है। केंद्र सरकार ने सुरक्षाबलों को आतंक से लड़ने के लिए खुली छूट देकर यह बता दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति का पालन आगे कठोरता के साथ करती रहेगी। साथ ही जब तक कश्मीर की धरती से आतंकियों का पूरी तरह से सफाया नहीं हो जाता, कार्रवाई जारी रहेगी।
वस्तुत: सरकार लगातार यहां बिना किसी अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय राजनीतिक दबाव में आए अलगाववादी संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने की नीति का पालन कर रही है। एनआईए और प्रर्वतन निदेशालय इन संगठनों के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि ऐसी गतिविधियां देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं। उक्त उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 की धारा 3.1 के प्रावधानों के तहत जमात-ए-इस्लामी (जेएंडके) को गैरकानूनी संगठन करार दे चुकी है। सरकार की ओर से यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया है कि जमात-ए-इस्लामी (जेएंडके) जमात ए इस्लामी हिन्द से अलग है। 1953 में इसने अपना संविधान बनाया। जमात-ए-इस्लामी (जेएंडके) हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के गठन के लिए जिम्मेदार है। हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जम्मू कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़ा आतंकी गुट है। जमात-ए-इस्लामी (जेएंडके) हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) को भर्ती, धन, स्थान, लॉजिस्टिक आदि सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराता है।
सरकार न केवल जम्मू-कश्मीर को बल्कि देश को तथ्यों के साथ यह बताने में सफल रही है कि यासीन मलिक के नेतृत्व में जम्मू व कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट ने घाटी में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दिया है। नब्बे के दशक 1988 से यह अलगाववादी गतिविधियों की अगुवाई करता रहा है। हिंसा फैलाता रहा है। 1989 में जेकेएलएफ द्वारा कश्मीरी पंडितों की सामूहिक हत्या की गई थी। इस घटना का मास्टर माइंड यासीन मलिक ही था। उसके बाद कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए।
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जेकेएलएफ के खिलाफ कई गंभीर अपराध दर्ज हैं। यह संगठन भारतीय वायुसेना के चार सैन्य कर्मियों की हत्या तथा डॉक्टर रूबैया सईद (मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी) के अपहरण का जिम्मेदार रहा है। यह संगठन आतंकवाद को फैलाने के लिए अवैध धन के इस्तेमाल के लिए भी जिम्मेदार है। जेकेएलएफ ने धन इकट्ठा करने और इसे पत्थर फेंकने वालों को वितरित करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। अंतत: सच यही है कि जेकेएलएफ की गतिविधियां देश की सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता के लिए गंभीर खतरा हैं। जेकेएलएफ के खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 37 एफआईआर दर्ज किये हैं। स्पष्ट है कि जेकेएलएफ अलगाववाद तथा आतंकवाद को समर्थन देने तथा उकसाने की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। यह संगठन वैधानिक रूप से बनी सरकार के खिलाफ शत्रुता की भावना व घृणा फैलाने तथा सशस्त्र विद्रोह पैदा करने के लिए सक्रिय है। इस संगठन पर पूरी तरह से रोक लगाकर मोदी सरकार ने यह बता दिया है कि वास्तव में सरकार केसर की वादी में आतंक की फसल बो रहे लोगों को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए संकल्पित है।
सरकार ने यहां के उन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा भी वापस ले ली है जो कहीं न कहीं अलगाववाद और नफरत की आग फैलाने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार रहे हैं। साथ ही यह प्रक्रिया आगे भी जारी रखने की मंशा जाहिर कर बता दिया है कि अब केंद्र सरकार किसी दबाव में झुकनेवाली नहीं है।
इसे भी मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में ही गिना जाएगा कि जम्मू कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए 2005 के बाद पहली बार 2018 में शहरी स्थानीय निकायों तथा 2011 के बाद पंचायतों का शांतिपूर्ण चुनाव संचालित हो सका। इन चुनावों में लोगों ने सक्रिय भागीदारी की। औसत मतदान 74 प्रतिशत रहने से यह तो साफ हो गया कि जम्मू-कश्मीर की आम जनता अमन चाहती है न कि आतंकवाद। यही कारण है कि उन चुनावों में 3652 सरपंच और 23629 पंच चुने गये थे। मोदी सरकार की इच्छाशक्ति से ही यह संभव हो सका कि पंचायतों को सशक्त बनाया गया है। उन्हें आम लोगों के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाया जाना संभव हो सका। पंचायतों की वित्तीय क्षमता को 10 गुना बढ़ाया गया। लगभग 20 विभागों को पंचायती राज के अंतर्गत लाया गया है। कह सकते हैं कि वास्तविक धरातल पर केंद्र की मोदी सरकार जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीनों क्षेत्रों के सम्मिलित विकास के लिए प्रतिबद्ध रही है।

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