जमात-ए-इस्लामी से जुड़े संस्थानों व कार्यकर्ताओं के लगभग 60 बैंक खाते सीज
जम्मू, 02 मार्च (हि.स.)। केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी पर लगाये गए प्रतिबंध के चलते शनिवार को भी इनके खिलाफ कार्रवाई जारी रही। शनिवार को जमात-ए-इस्लामी से जुड़े संस्थानों व कार्यकर्ताओं के लगभग 60 बैंक खातों को सीज किया गया। पुलवामा व कुलगाम में इसके कई कार्यालयों को भी सीज किया गया है।
प्रतिबंध के चलते अभी तक इसके 500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 400 स्कूल, 350 मस्जिदों व एक हजार के करीब मदरसों को बंद किया जा चुका है। जमात-ए-इस्लामी की लगभग 45 करोड़ की प्रापर्टी बताई जा रही है।
पुलिस ने गुरुवार देर रात त्राल के विभिन्न गांवों में छापेमारी कर जमात-ए-इस्लामी के छह कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। केंद्र सरकार द्वारा जमात-ए-इस्लामी (जेईएल) को प्रतिबंधित करने के बाद पुलिस द्वारा छापेमारी जारी है। बीते एक सप्ताह के दौरान पुलिस द्वारा जमात-ए-इस्लामी के करीब लगभग 500 से ज्यादा नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बचने के लिए जमात-ए-इस्लामी के कई नेता व कार्यकर्ता अंडरग्राउंड हो गए हैं।
नेकां, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और माकपा सहित घाटी के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी जमात-ए-इस्लामी पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध करना शुरू कर दिया है।
हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में संरक्षण और बड़े पैमाने पर फंडिंग करने वाले जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू हो गई है।
जमात.ए.इस्लामी की कई संस्थाओं की पहचान की गई है, जिसमें कई शैक्षणिक संस्थान, मदरसे, कार्यालय व स्कूल शामिल हैं।
इससे पहले भी दो बार जमात-ए-इस्लामी संगठन को प्रतिबंधित किया जा चुका है। पहली बार जम्मू-कश्मीर सरकार ने इसे 1975 में दो साल के लिए प्रतिबंधित किया था जबकि दूसरी बार केंद्र सरकार ने 1990 से 1993 तक इसे प्रतिबंधित किया था। माना जा रहा है कि इसके बाद अगला नंबर हुर्रियत का हो सकता है।
जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है। हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन को इसी ने बनाया है और उसे बड़े पैमाने पर फंडिंग के साथ-साथ संरक्षण, प्रशिक्षित करना इस का मुख्य काम है।
जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी में काम करता है। ये संगठन अलगाववादी आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है। उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है।
ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना के पीछे भी जमात-ए-इस्लामी का बड़ा हाथ रहा है।