चुनाव में धन का दुरुपयोग चिंताजनक, सुधारात्मक उपाय की तलाश में आयोग: ओपी रावत

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नई दिल्ली, 15 सितम्बर (हि.स.)। मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत ने भारत के चुनावों में बड़े पैमाने पर धन के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि इस दिशा में मौजूदा कानून कारगर नहीं होने से आयोग सुधारात्मक उपाय तलाशने में जुटा हुआ है। शनिवार को रावत ने अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर भारत में चुनावी लोकतंत्र की चुनौतियां विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि चुनाव में धन का दुरुपयोग भारत और भारतीय चुनावों के लिए प्रमुख चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा कानूनी ढांचा इस समस्या से निपटने में पूरी तरह से उपयुक्त नहीं है। इसलिए आयोग ने इस दिशा में कई सुधारात्मक उपाय सुझाये हैं।’ रावत ने कहा कि जहां तक स्टेट फंडिंग का सवाल है, आयोग यह महसूस करता है कि धनबल पर प्रभावी नियंत्रण करना जरूरी है, क्योंकि जब तक चुनावी अखाड़े में धनबल के स्रोत मौजूद रहेंगे तब तक स्टेट फंडिंग जैसी पहल अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाएगी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली राज्य निर्वाचन कार्यालय द्वारा आयोजित इस तरह की संगोष्ठियों के माध्यम से चुनाव सुधार के कारगर उपायों को उपयुक्त मंथन के बाद लागू करना प्रभावी पहल साबित होगी। भारत सहित अन्य लोकतांत्रित देशों में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए तकनीक के दुरुपयोग से डाटा चोरी और फर्जी खबरों का प्रसारण भी प्रमुख खतरे हैं।
रावत ने केंब्रिज एनालिटिका मामले का जिक्र करते हुए कहा कि फर्जी खबरों के बढ़ते खतरे से वैश्विक जनमत प्रभावित होने की चिंता भी बढ़ गई है। उन्होंने प्रेस की आजादी को बढ़ावा देने और सोशल मीडिया के सदुपयोग की वकालत करते हुए कहा कि मीडिया संगठनों को फर्जी खबरों का प्रसार रोकने के लिये वैश्विक स्तर पर अपनाये जा रहे कारगर उपायों को स्वत: अपनाने की पहल करनी चाहिए।


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