चीन में भूस्खलन के बाद रुका पानी ऊपर से बहा, हाई अलर्ट जारी
इटानगर (अरुणाचल), 20 अक्टूबर (हि.स.)। पड़ोसी देश तिब्बत के इलाके में (यारलुंग जांग्बो) ब्रह्मपुत्र नद में हुए भारी भूस्खलन की वजह से ब्रह्मपुत्र नद के बहाव में आयी रुकावट को लांघते हुए पानी का बहाव तीव्र गति से शुरू हो गया है। इसकी वजह से अरुणाचल प्रदेश के सियांग नदी के साथ ही असम में ब्रह्मपुत्र नद के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहायक नदियों का जलस्तर काफी बढ़ जाएगा। हालांकि स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 8 टीमें उड़ीसा से अरुणाचल प्रदेश के लीलाबारी हवाई अड्डे पर तथा चार टीमें कोलकाता से डिब्रूगढ़ हवाई मार्ग से शनिवार तड़के पहुंच चुकी हैं। किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीमें तैयार हैं।
इधर केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के साथ हुई बातचीत के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जिला उपायुक्तों को हाई अलर्ट जारी कर किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने एवं एहतियात के तौर पर चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था करने का निर्देश शुक्रवार की रात को जारी किया था। जिसके बाद राज्य भर में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। ब्रह्मपुत्र में फेरी समेत किसी भी प्रकार की नावों का चलना बंद कर दिया गया है। साथ ही ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के आसपास रहने वाले लोगों को ऊंचे स्थानों पर रहने का निर्देश दिया गया है।
जानकारी के अनुसार नदी का पानी शनिवार तड़के 4 बजे के करीब अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट तक पहुंचा था। जिसकी वजह से अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था। असम के धेमाजी, बिश्वनाथ, लखीमपुर, शोणितपुर, समेत सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों के जिला उपायुक्तों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भूस्खलन के कारण कारण चीन के नुक्सिया हाइड्रोलोजिकल स्टेशन से 70 किलोमीटर निचले इलाके में ब्रह्मपुत्र के पानी का भारी जमाव शुरू हो गया था। केंद्रीय विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए एक एलर्ट के अनुसार ब्रह्मपुत्र में चीन के इलाके में यह रुकावट 2500 मीटर की लंबाई तथा 2500 मीटर की चौड़ाई में थी। जिसकी वजह से पानी का बहाव पूरी तरह से अवरुद्ध हो चुका था। नदी की वर्तमान धारिता के अनुसार 500 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक पानी का जमाव होने लगा था। इस कारण ब्रह्मपुत्र के निचले हिस्से में भयंकर खतरा उत्पन्न हो गया था। इस खतरे के मद्देनजर एनडीआरएफ द्वारा ब्रह्मपुत्र के किनारे मछली मारने अथवा ब्रह्मपुत्र में नौका आदि लेकर उतरने से मना किया गया था। यदि पानी 700 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक जमा हो हो गया होता तो एक साथ रुकावट खुलने की संभावना बन जाती। ऐसे में ब्रह्मपुत्र में भारी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाने का खतरा जताया गया था।
ऐसा होने से 80,000 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड की दर से पानी ब्रह्मपुत्र के निचले इलाके में बहने लगता। यह भूस्खलन चीन में ब्रह्मपुत्र के तट पर वर्ष 2008 में हुए भूस्खलन से कई गुना अधिक था। जिस कारण ब्रह्मपुत्र नद का बहाव पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया था। इस कारण कहीं से भी पानी का बहाव नहीं हो रहा था। हालांकि, इसमें कहीं-कहीं से लीकेज होने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन, इससे पानी नहीं के बराबर बह रहा था और पानी काफी तेजी से जमा होता जा रहा था।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि चीन द्वारा इस इलाके में किसी भी भूकंप अथवा भारी वर्षा होने की जानकारी नहीं मिली है। केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा एनडीआरएफ मुख्यालय से शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया था कि इस मसले पर आम लोगों को तथा मीडिया को संयम बरतने की आवश्यकता है। क्योंकि, इस मसले का समाधान भारत और चीन के बीच के आपसी सहयोग से ही संभव हो सकेगा।
इधर, शुक्रवार को इस भूस्खलन की घटना को लेकर केंद्रीय जल संसाधन विभाग तथा केंद्रीय जल आयोग सीडब्ल्यूसी के डिब्रूगढ़ कार्यालय से एक बयान जारी किया गया। उसमें यह कहा गया था कि शुक्रवार की शाम 8 बजे तक 484 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ब्रह्मपुत्र में बढ़ चुका है। इसकी जानकारी चीन सरकार के अधिकारिक सूत्रों द्वारा दी गई है। प्रत्येक घंटे पानी की मात्रा में 8 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) की बढ़ोतरी हो रही थी। जो बेहद खतरनाक की स्थिति में पहुंच रही थी। लेकिन पानी का जमाव इतनी तेजी से इतना ज्यादा हो गया कि तट कटाव की वजह से नदी में जमा हुई मिट्टी के ऊपर से पानी बहने लगा। हालांकि, पानी ऊपर से बहने के कारण एकाएक पूरी तेजी के साथ नीचे नहीं आ पाया।
पानी धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा। इधर गुरुवार को हुए इस रुकावट के बाद से अरुणाचल प्रदेश के सियांग तथा असम के ब्रह्मपुत्र नद का पानी प्रायः सूख चुका था। इसलिए पानी के चीन की ओर से उतरने के बावजूद अरुणाचल प्रदेश और असम में ब्रह्मपुत्र का जलस्तर एकाएक अब तक उस गति से नहीं बढ़ा है, जिसकी आशंका थी। क्योंकि खाली नद की धारिता क्षमता के अनुसार उसमें पानी भरता हुआ आगे बढ़ रहा है। हालांकि किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए अरुणाचल प्रदेश और असम सरकार पूरी तरह तैयार हैं।