गाजीपुर: विकास की धारा में डूबेगी जातिवाद की नैया!
-मुस्लिम मतदाता भी विकास के नाम पर मनोज सिन्हा को दे रहे समर्थन
लखनऊ, 14 मई (हि.स.)। एक तरफ केंद्रीय राज्य मंत्री, गांधीवादी व विकासवादी नेता के रूप में प्रसिद्ध मनोज सिन्हा तो दूसरी तरफ कई अपराधों में वांछित मुख्तार अंसारी के भाई बाहुबली अफजाल अंसारी के बीच मुकाबला होने के कारण गाजीपुर लोकसभा सीट भी काफी दिलचस्प हो गयी है।
हालांकि आमने-सामने की लड़ाई में कौन बाजी मारेगा, यह तो 23 मई को ही पता चल पाएगा, लेकिन वोट के माहिर खिलाड़ी अफजाल अंसारी के दांव इस समय उन्हीं को मात देते दिखाई दे रहे हैं। इसकी चर्चा लोगों के बीच चल रही है। वहीं हर वर्ग में पहुंच बनाने वाले मनोज सिन्हा की पकड़ मुस्लिम मतदाताओं में बढ़ती जा रही है। इससे महागठबंधन उम्मीदवार की चिंता की लकीरें स्पष्ट रूप से दिख रही है।
विकास के आगे जातिवाद नतमस्तक
कुछ जानकार इस जिले को जातिगत आंकड़ों से जोड़कर देख रहे हैं लेकिन गाजीपुर सदर के निवासी जावेद अहमद का कहना है कि जहां विकास की धारा बहती हो, वहां पर जातिगत या धर्म के आधार पर विकास की धारा को रोकना बिल्कुल उपयुक्त नहीं होगा। यह पहला चुनाव है, जब मुस्लिम समाज के लोग भी जाति-धर्म को छोड़कर विकास की धारा में बह रहे हैं। निश्चय ही इसका परिणाम सकारात्मक होगा और मनोज सिन्हा की विजय होगी।
वहीं फैयाज का कहना है कि आजादी के बाद भी अब तब हम आजाद नहीं थे। पहली बार मनोज सिन्हा ने अपने कार्यकाल में हमें आजादी का मतलब विकास से बताया है। ऐसे विकास पुरुष के लिए जो भी सीमाएं हैं, सब पार कर जाने की जरूरत है।
मुख्तार अंसारी का बयान हार की बौखलाहट
बाहुबली अफजाल अंसारी के भाई मुख्तार अंसारी द्वारा सोमवार को कोर्ट में विकासवादी नेता मनोज सिन्हा से जान को खतरा का बयान दिया जाना भी समीक्षक अफजाल की बौखलाहट से लगा रहे हैं।
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक हर्ष वर्धन त्रिपाठी का कहना है कि जिस व्यक्ति ने आज तक चिंटी पर भी हमला न किया हो, उससे दो दर्जन से अधिक हत्याओं में वांछित अपराधी को खतरा महसूस होने लगे। यह हास्यास्पद लगता है। इसका एकमात्र लक्ष्य सहानुभूति वोट बटोरने के रूप में हो सकता है। ऐसा लगता है कि अपने भाई के चुनाव में मुस्लिम वोटरों के भी खिसकते देखकर मुख्तार अंसारी ने यह बयान दिया है।
जातिगत आंकड़े
यदि गाजीपुर के जातिगत आकड़ों पर ध्यान दे तो यहां लगभग 3.60 हजार के साथ सबसे अधिक यादव मतदाता हैं। दलित वर्ग के मतदाताओं की संख्या तीन लाख के लगभग है, जबकि क्षत्रीय समाज के लोग एक लाख 75 मतदाता हैं। बिंद समाज के 1.50 लाख मतदाता, कुशवाहा समाज के 1.50 लाख मतदाता, जबकि मुस्लिम समाज के 1.50 लाख मतदाता (लगभग 50 प्रतिशत अंसारी, 30 प्रतिशत खान, सैयद, 10 प्रतिशत धुनिया) हैं। इन मतदाताओं में यादव वर्ग का भी एक अच्छा मत भाजपा के खाते में आने की उम्मीद है, वहीं पिछली बार शिवकन्या के खड़े होने के कारण भाजपा का परंपरागत वोट सपा की तरफ जाने वाला कुशवाहा मतदाताओं के भी भाजपा के पाले में आने की उम्मीद राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं।
वोट कटवा की भूमिका में कांग्रेस
हालांकि कांग्रेस ने अजीत कुमार कुशवाहा को मैदान में उतार कर बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है लेकिन गाजीपुर में कांग्रेस का संगठन न के बराबर होने के कारण वे वोट कटवा की भूमिका में ही हैं। गाजीपुर में सीधा मुकाबला बाहुबली बनाम विकासवाद की है।
ओम प्रकाश को टिकट न मिलने से नाराजगी
बसपा उम्मीदवार बाहुबली अफजाल अंसारी को भीतरघात का डर काफी सता रहा है। इसका कारण है कि सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह को भी अफजाल अंसारी की जीत से अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है। हालांकि अभी तक वे मंच पर जा रहे हैं लेकिन उनके समर्थक काफी निराश हैं। उनके निराशा का कारण है कि जब गाजीपुर की सीट बसपा के खाते में गई तो चर्चा थी कि ओम प्रकाश को निकट की लोकसभा सीट चंदौली से टिकट मिलेगा। वहां पर ओम प्रकाश ने टहलना भी शुरू कर दिया था, लेकिन अंत में वहां से भी टिकट नहीं मिला और पूर्वांचल में अपनी अच्छी पहचान बनाने वाले ओम प्रकाश को अफजाल अंसारी की सभाओं में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
टोपी पहनकर न जाने की अपील की चर्चा
बाहुबली अफजाल अंसारी ने वोट से पहले अल्पसंख्यक समाज के लोगों से गुप्त रूप से सभाओं में टोपी पहनकर न आने की अपील की थी। वहीं खुद यादव और दलित वर्ग में जाना शुरू किये थे, जबकि मुस्लिम बस्ती में उनका जाना कम ही हो रहा है। इससे यादव व दलित वर्ग के लोग तो उनकी चाल को समझकर किनारा करने ही लगे हैं। मुस्लिम समाज का एक तबका भी विकास के नाम और अफजाल की बेरूखी से उनसे बिदकने लगे हैं।
सैनिक परिवारों में ‘राष्ट्रवाद’ की भावना प्रबल
शहर का प्राचीन नाम गाधिपुर था जिसका 1330 में बदलकर गाजीपुर कर दिया गया। महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ने इसी शहर में जन्म लिया था। सातवीं सदी में भारत की यात्रा पर आए प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी इस शहर का जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है।
उन्होंने इस स्थान को चंचू यानी ‘युद्ध क्षेत्र की भूमि’ यानी गर्जनपति (गर्जपुर) कहा है। इस गर्जनपति की गर्जना अब भी सुनाई पड़ती है। सेना में सर्वाधिक गाजीपुर के लोगों की भागीदारी है। अनेक कारणों में एक कारण यह भी है कि लोगों के बीच अफजाल अंसारी के प्रति धीरे-धीरे दूराव होता जा रहा है।