गाजीपुर के चुनाव मैदान में 15 वर्ष बाद आमने-सामने हुए दो पुराने ‘अखाड़ेबाज’
-मनोज सिन्हा को अफजाल अंसारी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में हराया था
गाजीपुर, 23 अप्रैल (हि.स.)। चुनावी महासमर में केंद्रीय रेल राज्यमंत्री, संचार मंत्री व गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा का मुकाबला 15 वर्ष बाद अफजाल अंसारी से आमने-सामने है। यह बात इसलिए भी काफी मायने रखती है क्योंकि जब 2004 के लोकसभा चुनाव में दोनों गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से आमने-सामने थे, उस वक्त का चुनाव गाजीपुर के इतिहास का सबसे हिंसक चुनाव माना गया था। चुनाव के दिन सरेआम दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
लोकसभा चुनाव-2004 के समय गाजीपुर में 2 लोकसभा क्षेत्र हुआ करते थे। गाजीपुर जनपद के सैदपुर, जखनिया व सादात विधानसभा और जौनपुर के केराकत व बयालसी विधानसभा को मिलाकर सैदपुर सुरक्षित के नाम से एक लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था। इसी तरह गाजीपुर के सदर, जमानियां, दिलदारनगर, जहूराबाद व मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर गाजीपुर लोकसभा सामान्य सीट हुआ करती थी। 2004 लोकसभा चुनाव के समय मनोज सिन्हा गाजीपुर सांसद थे और उनका मुकाबला सपा उम्मीदवार रूप में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी से था। उस समय जनपद में लगातार हत्याओं का दौर चल रहा था, जिसे लोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और गुटबाजी से जोड़कर देख रहे थे।
जनपद की कानून व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के दिन भाजपा कार्यकर्ता गुड्डू गिरहार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह सूचना मिलने पर वहां जा रहे सांसद मनोज सिन्हा के भतीजे शेषनाथ राय की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। मतदान के दिन एक ही विधानसभा क्षेत्र में दो-दो हत्याओं व हिंसक घटनाओं से जनपद दहल उठा। भाजपा कार्यकर्ता मतदान का बहिष्कार कर धरने पर बैठ गए। हालांकि चुनाव आयोग ने मतदान रद्द नहीं किया और परिणाम घोषित होने पर अफजाल अंसारी भारी मतों से जीत कर गाजीपुर के सांसद बने और मौजूदा सांसद मनोज सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद परिसीमन में सैदपुर सुरक्षित लोकसभा सीट समाप्त की कर दी गई। गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से मोहम्मदाबाद व जहूराबाद विधानसभा को निकालकर बलिया लोकसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया। इसके बाद 2009 लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा बलिया से और अफजाल अंसारी बसपा के टिकट पर गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े। 2014 में अफजाल अंसारी बलिया चले गए और मनोज सिन्हा गाजीपुर से सांसद चुनकर मोदी सरकार में मंत्री बने।
अब फिर 15 वर्ष बाद दोनों प्रत्याशी गाजीपुर सीट पर आमने-सामने हैं। एक तरफ मनोज सिन्हा अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दम पर पुनः जीत का दावा कर रहे हैं तो अफजाल अंसारी सपा-बसपा गठबंधन के जातीय समीकरण के दम पर चुनावी मैदान में हैं। अब देखना है कि 15 वर्षों बाद चुनावी जंग कौन जीत पाता है लेकिन इतना तो तय है कि दोनों अखाड़ेबाजों के मध्य गाजीपुर का चुनाव फिर से चढ़ने को आतुर है।