गंगा अवतरण दिवस पर मां गंगा का षोडषोपचार विधि से पूजन, श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
वाराणसी,11 मई (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी में शनिवार को गंगा सप्तमी (गंगा अवतरण दिवस) पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और उनका विधिवत पूजन अर्चन किया।
गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला भोर से ही गंगा तट पर पहुंचने लगा। स्नान ध्यान का सिलसिला पूर्वांह तक बना रहा। इस पर्व पर भगवान सूर्य के उदय होते ही प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर सर्वोदय सेवा समिति की ओर से मां गंगा का अभिषेक कर षोडषोपचार विधि से पूजन अर्चन किया गया।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक पं.श्रीकान्त मिश्र के अगुवाई में ब्राम्हणों ने वैदिक मंत्रोच्चार से गंगा की आराधना की। इस दौरान घाट पर आध्यात्मिक छंटा देखने श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मां गंगा की आरती देखकर श्रद्धालु भावविहोर हो गए।
शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था। वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन ब्रह्मा के कमंडल से मां गंगा की उत्पत्ति हुई थी। माना जाता है कि इसी दिन भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर गंगा स्वर्ग से उतर शिव की जटाओं में समाई थी।
इस सम्बन्ध में प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगोत्री सेवा निधि के संस्थापक पं. किशोरी रमन दुबे उर्फ बाबू महाराज ने बताया कि आज ही के दिन मां गंगा भगवान विष्णु के चरण कमल से निकलकर शिव की जटाओं में समाई थी। मां गंगा जब भगवान विष्णु के चरण कमल से निकली थी तब उनका वेग बेहद तेज था। भगवान शंकर ने अपनी जटाओ में गंगा का वेग समा कर उन्हें शांत किया था।
उन्होंने कहा कि गंगा नदी ही नहीं है वरन लोगों की आस्था की प्रतीक भी है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। उन्होंने बताया कि गंगा सप्तमी के दिन किए गए गंगा स्नान और दानपुण्य से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।