क्षमता वृद्धि के साथ मेक इन इंडिया पहल को भी मजबूत कर रही है बरौनी रिफाइनरी
बेगूसराय,18 फरवरी(हि.स.)। इडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी से बिहार और आसपास के राज्यों के साथ नेपाल में पेट्रोलियम उत्पादों की तेजी से बढ़ती मांग पूरी करने का लगातार प्रयास कर रही है। इसके साथ ही यह मेक इन इंडिया पहल को भी तेजी से बढ़ावा दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को रिफाइनरी विस्तार परियोजना के तहत कच्चे तेल की संसाधन क्षमता को छह से बढ़ाकर नौ मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष करने का शिलान्यास किया है। यह विशाल परियोजना मौजूदा रिफाइनरी परिसर में नई यूनिटों की स्थापना, यूनिटों के पुनरुद्धार, ऑफसाइट सुविधाओं में सुधार से कार्यान्वित की जाएगी। इसके साथ ही एक विश्वस्तरीय पॉलिप्रोपिलीन यूनिट भी स्थापित होगी जिससे उद्योगों का मार्ग प्रशस्त होगा।
रिफाइनरी के तीन पुराने कॉलम (वायुमंडलीय वैक्यूम यूनिट) को 3.398 करोड़ की अनुमानित लागत पर एक सिंगल कॉलम से बदला जाएगा जिससे ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा और यह कच्चे तेल के आयात को कम करने में भी मददगार होगा। परियोजना के अंतर्गत आने वाली 16 यूनिटों में से तीन यूनिटों की प्रौद्योगिकी कोकर-बी, रेजिड फ्लुडाइज्ड कैटेलिटिक क्रैकिंग यूनिट (आरएफसीसीयू) और डीजल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट (डीएचडीटी) को इंडियन ऑयल के आरएंडडी केंद्र की ओर से मेक इन इंडिया के तहत स्वदेश में ही विकसित किया गया है। इंडजेट यूनिट जेट ईंधन (एटीएफ या विमान टर्बाइन ईंधन) के उत्पादन के लिए ऊर्जा कौशल और किफायत की दृष्टि से करीब 189 करोड़ की लागत से स्थापित की जा रही है। इस परियोजना में भी इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र की ओर से विकसित स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया जाएगा जो केन्द्र सरकार की मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करेगी। यह यूनिट नागरिक एवं सैन्य, दोनों विमानन ईंधन की आवश्यकता को पूरा करेगी। इसके माध्यम से 250 किलो टन एटीएफ प्रतिवर्ष के उत्पादन की योजना है। यह बिहार एवं आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन की आवश्यकता को पूरा करेगा जो वर्तमान में बिहार से बाहर की इंडियन ऑयल रिफाइनरी की ओर से आपूर्ति की जाती है।
इस समय इस रिफाइनरी को हल्दिया के माध्यम से पूर्वी तट पर स्थित पारादीप से पाइपलाइन के माध्यम से कच्चा तेल प्राप्त होता है। बरौनी रिफाइनरी में विभिन्न सुधारों और विस्तार परियोजनाओं के साथ उच्च सल्फर क्रूड को संशोधित करने की क्षमता को जोड़ा गया है जो सऊदी अरब और इराक जैसे मध्य पूर्व के देशों से आयातित होता है। उच्च सल्फर कच्चा तेल, कम सल्फर कच्चे तेल से सस्ता होता है। बरौनी रिफाइनरी मुख्य रूप से डीजल उत्पादक रिफाइनरी है। इसका 54 प्रतिशत से अधिक उत्पाद मिश्रण एचएसडी के रूप में है। उत्पादों में केरोसिन, पेट्रोल, एलपीजी, नेप्था, कच्चा पेट्रोलियम कोक, फर्नेस ऑयल, कार्बन ब्लैक फीड स्टॉक, सल्फर और कोलतार है जो बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ईंधनकी मांग को पूरा करती है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन भी बरौनी रिफाइनरी से एलपीजी समेत अन्य ईंधन आयात करता है। बरौनी रिफाइनरी वर्तमान में बीएस-4 मानक एमएस और एचएसडी का उत्पादन कर रही है। लेकिन डीएचडीटी, प्राइम जी प्लस और एआरयू की अतिरिक्त इकाइयों की क्षमता वृद्धि के साथ 2020 से बीएस-6 ग्रेड के एमएस और एचएसडी के उत्पादन लक्ष्य पर तेजी से काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को रिफाइनरी विस्तार परियोजना के तहत कच्चे तेल की संसाधन क्षमता को छह से बढ़ाकर नौ मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष करने का शिलान्यास किया है। यह विशाल परियोजना मौजूदा रिफाइनरी परिसर में नई यूनिटों की स्थापना, यूनिटों के पुनरुद्धार, ऑफसाइट सुविधाओं में सुधार से कार्यान्वित की जाएगी। इसके साथ ही एक विश्वस्तरीय पॉलिप्रोपिलीन यूनिट भी स्थापित होगी जिससे उद्योगों का मार्ग प्रशस्त होगा।
रिफाइनरी के तीन पुराने कॉलम (वायुमंडलीय वैक्यूम यूनिट) को 3.398 करोड़ की अनुमानित लागत पर एक सिंगल कॉलम से बदला जाएगा जिससे ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा और यह कच्चे तेल के आयात को कम करने में भी मददगार होगा। परियोजना के अंतर्गत आने वाली 16 यूनिटों में से तीन यूनिटों की प्रौद्योगिकी कोकर-बी, रेजिड फ्लुडाइज्ड कैटेलिटिक क्रैकिंग यूनिट (आरएफसीसीयू) और डीजल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट (डीएचडीटी) को इंडियन ऑयल के आरएंडडी केंद्र की ओर से मेक इन इंडिया के तहत स्वदेश में ही विकसित किया गया है। इंडजेट यूनिट जेट ईंधन (एटीएफ या विमान टर्बाइन ईंधन) के उत्पादन के लिए ऊर्जा कौशल और किफायत की दृष्टि से करीब 189 करोड़ की लागत से स्थापित की जा रही है। इस परियोजना में भी इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र की ओर से विकसित स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया जाएगा जो केन्द्र सरकार की मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करेगी। यह यूनिट नागरिक एवं सैन्य, दोनों विमानन ईंधन की आवश्यकता को पूरा करेगी। इसके माध्यम से 250 किलो टन एटीएफ प्रतिवर्ष के उत्पादन की योजना है। यह बिहार एवं आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन की आवश्यकता को पूरा करेगा जो वर्तमान में बिहार से बाहर की इंडियन ऑयल रिफाइनरी की ओर से आपूर्ति की जाती है।
इस समय इस रिफाइनरी को हल्दिया के माध्यम से पूर्वी तट पर स्थित पारादीप से पाइपलाइन के माध्यम से कच्चा तेल प्राप्त होता है। बरौनी रिफाइनरी में विभिन्न सुधारों और विस्तार परियोजनाओं के साथ उच्च सल्फर क्रूड को संशोधित करने की क्षमता को जोड़ा गया है जो सऊदी अरब और इराक जैसे मध्य पूर्व के देशों से आयातित होता है। उच्च सल्फर कच्चा तेल, कम सल्फर कच्चे तेल से सस्ता होता है। बरौनी रिफाइनरी मुख्य रूप से डीजल उत्पादक रिफाइनरी है। इसका 54 प्रतिशत से अधिक उत्पाद मिश्रण एचएसडी के रूप में है। उत्पादों में केरोसिन, पेट्रोल, एलपीजी, नेप्था, कच्चा पेट्रोलियम कोक, फर्नेस ऑयल, कार्बन ब्लैक फीड स्टॉक, सल्फर और कोलतार है जो बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की ईंधनकी मांग को पूरा करती है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन भी बरौनी रिफाइनरी से एलपीजी समेत अन्य ईंधन आयात करता है। बरौनी रिफाइनरी वर्तमान में बीएस-4 मानक एमएस और एचएसडी का उत्पादन कर रही है। लेकिन डीएचडीटी, प्राइम जी प्लस और एआरयू की अतिरिक्त इकाइयों की क्षमता वृद्धि के साथ 2020 से बीएस-6 ग्रेड के एमएस और एचएसडी के उत्पादन लक्ष्य पर तेजी से काम किया जा रहा है।