कैट ने सुरेश प्रभु से की घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों पर प्रतिबंध की मांग
नई दिल्ली, 03 फरवरी (हि.स.)। कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) ने रविवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र भेजकर ई-कॉमर्स पोर्टलों द्वारा ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) पॉलिसी के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। कैट ने मांग की है कि इस पॉलिसी को घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी लागू किया जाए, जिससे देश के ई-कॉमर्स बाजार में एकरूपता बनी रहे।
पॉलिसी को देश में सख्ती से लागू करने की सरकार की मंशा का समर्थन करते हुए कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु को भेजे पत्र में कहा है कि अब जबकि पॉलिसी देश में एक फरवरी से लागू हो चुकी है और एफडीआई प्राप्त सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को उसका पालन करना अनिवार्य है। बावजूद अमेजन एवं फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां अभी भी अपने पोर्टल पर काफी सामान एकल रूप से बेच रही हैं जो पॉलिसी का सरासर उल्लंघन है।
बीसी भरतिया ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ‘ओप्पो’ कम्पनी अपनी ‘के’ सीरीज के मोबाइल फ्लिपकार्ट के पोर्टल पर एकल रूप से बेचने के लिए तैयार है। व्यापारी नेताओं ने पत्र में आशंका जताई है कि इसी तरह के उल्लंघन अन्य ई-कॉमर्स पोर्टल पर भी हो रहे होंगे, जो बेहद चिंताजनक है।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने सुरेश प्रभु को सुझाव दिया है कि इस प्रकार के उल्लंघन आदि को देखने एवं शिकायतों के तुरंत निस्तारण के लिए फिलहाल वाणिज्य मंत्रालय में एक स्पेशल सेल गठित किया जाए, जिससे पॉलिसी सही तरीके से देश भर में लागू हो सके।
कैट ने सुरेश प्रभु से मांग की है कि ई-कॉमर्स बाजार की देखरेख और समुचित संचालन के लिए अविलम्ब एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाए, वहीं पिछले काफी समय से लंबित ई-कॉमर्स पॉलिसी को तुरंत घोषित किया जाए। उन्होंने मांग की है कि ई-कॉमर्स में एफडीआई पॉलिसी में उल्लेखित शर्तों को घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी लागू किया जाए जिससे बाजार में समान प्रतिस्पर्धा हो बराबरी रहे।
कैट ने यह भी कहा है कि गत दो वर्षों में ई-कॉमर्स कंपनियों ने बड़े स्तर पर पॉलिसी का उल्लंघन अपने निजी लाभ के लिए किया है और इस दृष्टि से इन ई-कॉमर्स कंपनियों के इस अवधि के कार्यकलापों की जांच करने के लिए एक स्पेशल जांच टीम का गठन किया जाए और दोषी पाई गई कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।