केन्द्रीय दल ने जैसलमेर में जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से ली सूखे से फसलों में हुए नुकसान के बारे में जानकारी

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जैसलमेर, 16 फ़रवरी (हि.स.)। खरीफ फसल में सूखे की स्थिति के कारण हुए नुकसान के आंकलन के लिए जैसलमेर पहुंचे अन्तर मंत्रालय केन्द्रीय दल ने बुधवार को जैसलमेर जिला कलक्ट्री सभा कक्ष में जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ चर्चा की और क्षेत्रवार, विभागवार एवं प्रवृत्तिवार विस्तृत जानकारी ली।
जिला कलक्टर डॉ. प्रतिभा सिंह ने केन्द्रीय अध्ययन दल को जैसलमेर जिले की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं आदि के मद्देनज़र सूखे व इससे प्रभावित जनजीवन और पशुओं पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ ही इससे संबंधित तमाम पहलुओं पर पीपीटी के माध्यम से विस्तार से अवगत कराया और दल से आग्रह किया कि जैसलमेर जिले के इन वास्तविक हालात और तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त सहायता मुहैया कराई जाए।
बैठक में केन्द्रीय अध्ययन दल के अधिकारियों केन्द्रीय जल आयोग के निदेशक एच.एस. सेंगर एवं नीति आयोग नई दिल्ली के सहायक निदेशक शिवचरण मीणा ने जिले के हालात के बारे में विस्तार से जानकारी ली और खरीफ में सूखे की स्थिति के कारण हुए नुकसान के बारे में कृषि, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना, पशुपालन, राजस्व आदि से संबंधित अधिकारियों से चर्चा की और जानकारी पायी।
बैठक में जन प्रतिनिधियों ने भी जिले को अधिक से अधिक सहायता एवं राहत मुहैया कराने का आग्रह किया और कहा कि जिले में अकाल की परिस्थितियों को देखते हुए मनरेगा में भी रोजगार दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 200 की जानी चाहिए ताकि लोगों को रोजगार प्राप्त हो एवं आसानी से अपना जीवनयापन करने में सम्बल प्राप्त हो सके।
केन्द्रीय अध्ययन दल के अधिकारी एच.एस. सेंगर ने इस अवसर पर विश्वास दिलाया कि जिले के इन विषम हालातों के बारे में केन्द्र सरकार को अवगत कराया जाएगा और जैसलमेर जिले को हरसंभव राहत एवं सहायता के लिए प्रयास किए जाएंगे।
जिला कलक्टर डॉ. प्रतिभा सिंह ने दल का स्वागत करते हुए जिले की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि खरीफ फसल 2021 में जिले के लगभग 1 लाख 90 हजार 540 कृषक प्रभावित हुए हैं जिन्हें कृषि आदान-अनुदान की राशि वितरित की जानी है। इसके लिए 242.72 करोड़ रुपये की धनराशि के बजट का प्रावधान करने के लिए प्रस्ताव भिजवाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि जिले के 859 में से 628 गांव अभावग्रस्त हो गए हैं। इसके लिए आगामी दिनों की योजना, ग्रीष्मकाल में पेयजल परिवहन आदि पर विस्तार से जानकारी दी।
अतिरिक्त जिला कलक्टर हरि सिंह मीना ने जैसलमेर जिले में फसलों से हुए नुकसान के बारे में वांछित जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि मरुस्थलीय क्षेत्र होने तथा विषम भौगोलिक हालातों के चलते क्षेत्र में सूखे व अकाल के कारण किसानों और पशुओं के लिए कई समस्याएं सामने आती हैं और इससे जनजीवन दुष्प्रभावित होता है।
जिला प्रमुख प्रतापसिंह सोलंकी व पूर्व जिलाप्रमुख अंजना मेघवाल व प्रधानों ने दल को बताया कि क्षेत्र में बरसात कम होने के कारण अकाल के हालात बने रहते हैं। इस बार भी 22 जुलाई के बाद 45 दिन तक बारिश नहीं हुई। इससे किसानों की बोयी गई फसलें खराब हो गई। इसी प्रकार नहरी क्षेत्रों में भी आवश्यकता से कम पानी की उपलब्धता के कारण भी फसलों में व्यापक पैमाने पर नुकसान हुआ है। उपनिवेशन क्षेत्र में भी अकाल रहा है।
जनप्रतिनिधियों से राय जाहिर की कि ऐसे कठिन हालातों में पशुधन को बचाने के लिए जल्द से जल्द व्यापक पैमाने पर राहत एवं सहायता के साथ ही पशु शिविरों के संचालन, पशुपालकों को चारा उपलब्ध कराने और भूमिहीन पशुपालकों के पशुओं के लिए भी पशु शिविरों का लाभ दिए जाने और सभी प्रकार के पशुओं के साथ ही ऊंटपालकों को भी सहयोग दिए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए लघु एवं सीमान्त कृषकों को लाभान्वित करने के लिए 2015 में बने एक्ट में भी बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि ऐसा होने पर अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।


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