कुम्भ में आज आधी रात शुरू होगी मौन की डुबकी, शाही स्नान कल सुबह छह बजे से

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कुम्भ नगर (प्रयागराज ), 03 फरवरी (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग में चल रहे कुम्भ के प्रमुख स्नान पर्व, मौनी अमावस्या की मौन डुबकी रविवार को आधी रात ही शुरू हो जाएगी। अखाड़ों का शाही स्नान कल सुबह करीब छह बजे से प्रारम्भ होगा। कुम्भ मेला प्रशासन ने इसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
मौनी अमावस्या के अवसर पर पूरा कुम्भ मेला क्षेत्र स्नानार्थियों की भीड़ से पट गया है। दो दिन पहले शुरु हुआ श्रद्धालुओं का रेला अभी भी मेला क्षेत्र की तरफ अनवरत चला आ रहा है। मेला प्रशासन का अनुमान है कि मौनी अमावस्या के अवसर पर करीब तीन करोड़ श्रद्धालु संगम समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर पुण्य की डुबकी लगाएंगे।
ज्योतिषाचार्य डा0 ओमप्रकाशाचार्य के अनुसार माघ मास में अमावस्या की तिथि का स्नान बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। इस बार अमावस्या तिथि रविवार की रात 11.12 बजे लग रही है, जो सोमवार को देर रात 1.13 बजे तक रहेगी। ऐसे में मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त सोमवार को दिन भर है। श्रद्धालु पूरे दिन किसी भी वक्त स्नान या दान कर सकते हैं।

डा0 ओमप्रकाशाचार्य बताते हैं कि इस बार मौनी अमावस्या को सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग है, जो करीब पांच दशक बाद बन रहा है। सोमवार का दिन, श्रवण नक्षत्र, सिद्धि योग के अलावा मकर राशि में सूर्य, चंद्र व बुध का संचरण होने से त्रिग्रहीय योग का संयोग बन रहा है।
मौनी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालु मौन व्रत धारण कर पवित्र संगम में डुबकी लगाते हैं। माघ मेला, अर्धकुम्भ और कुम्भ के अवसर पर मौनी अमावस्या का स्नान मुहूर्त अन्य सभी स्नान पर्वों में सर्वोत्तम कहा गया है। मौनी अमावस्या के विशेष पुण्यकाल पर स्वयं का उद्धार तथा पितरों को तारने के लिए संगम के अक्षय क्षेत्र में दान का विशेष विधान शास्त्रों में वर्णित है।
अखाड़ों का दूसरा शाही स्नान
मौनी अमावस्या के पर्व पर अखाड़ों का दूसरा शाही स्नान होगा। पहला शाही स्नान 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर सम्पन्न हुआ था। इसके बाद बसंत पंचमी पर 10 फरवरी को अखाड़े तीसरा शाही स्नान करेंगे। प्रथम शाही स्नान की तरह ही अमावस्या पर भी सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा के संन्यासी शाही स्नान करेंगे। शाही स्नान के लिए सबसे पहले महानिर्वाणी और अटल अखाड़े का जुलूस सुबह 5.15 बजे अखाड़े की छावनी से निकलेगा। जुलूस 6.15 बजे संगम नोज पहुंचेगा और 40 मिनट स्नान करने के बाद 6.55 बजे घाट से वापस लौटेंगे और 7.55 बजे तक अपने शिविरों में पहुंच जाएंगे।
इसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़े के संन्यासी जुलूस की शक्ल में सुबह 6.05 बजे छावनी से निकलकर 7.05 बजे संगम नोज पहुंचेंगे और स्नान कर अपने शिविर वापस आएंगे। इन दोनों अखाड़ों को स्नान के लिए 40 मिनट आवंटित है।
जूना के साथ अग्नि, आवाहन और किन्नर अखाड़ा के संन्यासी शाही स्नान के लिए अपनी-अपनी छावनी से सुबह सात बजे निकेंलेंगे और करीब आठ बजे संगम नोज पहुंचेंगे। स्नान के लिए इन सब को 40 मिनट का समय आवंटित है।
इसके बाद बैरागी परंपरा वाले निर्मोही अखाड़े का जुलूस सुबह 9.40 बजे शाही स्नान के लिये निकलेगा। और 10.40 बजे यह संगम नोज पहुंचेगा। तीस मिनट तक स्नान के बाद यह अखाड़ा वापस लौटेगा। फिर दिगंबर अनी अखाड़ा दिगंबर अनी अखाड़े और बाद में निर्वाणी अखाड़े के साधु-संत अपराह्न 12.20 बजे संगम नोज पहुंचकर 30 मिनट तक शाही स्नान करेंगे।
फिर नया पंचायती अखाड़ा उदासीन और बड़ा पंचायती अखाड़ा के साधु संत स्नान करेंगे। सबसे अंत में निर्मल अखाड़े के संत अपराह्न 3.40 पर संगम पहुंचेंगे और 40 मिनट शाही स्नान करेंगे।

सुरक्षा के व्यापक प्रबंध
मेला प्रशासन ने मौनी अमावस्या के अवसर पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये हैं। कुम्भ मेला क्षेत्र के अलावा प्रयागराज जिले और शहर में भी हर जगह यातायात प्रतिबंधित कर दिये गये हैं। बड़े वाहनों को नगर से बाहर बने पार्किंग स्थलों पर ही रोक दिया जा रहा है। वहां से श्रद्धालुओं को निःशुल्क शटल बसों के माध्यम से नगर क्षेत्र में प्रवेश कराया जा रहा है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से श्रद्धालुओं की भीड़ पिछले तीन दिन से लगातार मेला क्षेत्र में आ रही है। श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला अभी तक थमा नहीं है।
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रयागराज जिला प्रशासन ने जिले के सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कालेजों को दो से चार फरवरी तक के लिए बंद कर दिया है। सुरक्षा की दृष्टि से किला स्थित अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन भी अमावस्या के अवसर पर पांच फरवरी तक बंद रहेंगे। 


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